कुलवंत नारी
नर-नारी हे जीवनरूपी रथका चाक।
समकार्यलं योव रथ चलसे बिनधाक।।
नारी पुजनिय जगमा सेती देविको रुप।।
लक्ष्मी काली सरस्वती दुर्गा भयी कार्य अनुरूप।।
सब कार्य मा कार्य दक्ष सब नारी सेती।
माय मावशी काकी फुपा सब हे नारीच आती।।
घर आवसे लक्ष्मी रूपमा घरला करसे स्वर्ग।।
आपलं प्रेम भावलं देखावसे सुखी प्रगत मार्ग।
भारतमा सीता सावित्री देवी रनमा झासीकी रानी।
हात मा होती तलवार असी सुरविरांगनी।।
नारी तू नारायनी अशी भयी सेव भारतमा।
चरीत्र कुलवंत नारी तब विकास से जीवनमा।।
वाय सी चौधरी
गोंदिया
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