♟️ चुकेव तोरो गांधारी♟️
तू हस्तिनापुरकी महाराणी होतीस
राजा धृतराष्ट्र की होतीस प्यारी
संभाल न सकीस घरवालला
चुकेव तोरो गांधारी,
चुकेव तोरो गांधारी।। १।।
पट्टी बांधेस आपलच डोराला
तोला दुपारबी लग् अंधारी
अहंकार को तून् करेस समर्थन
चुकेव तोरो गांधारी,
चुकेव तोरो गांधारी।। २।।
धर्म मनुन पट्टी बांधेस डोराला
तोरी शिव भक्ती बी होती न्यारी
पुत्र मोहमाच साधना व्यर्थ
चुकेव तोरो गांधारी,
चुकेव तोरो गांधारी।।३।।
वऱ्या वऱ्या की तोरी आत्मीयता
तोर् अंतर मन मा खुन्नस भारी
भगवान कृष्णला बी सराप देयेस
चुकेव तोरो गांधारी,
चुकेव तोरो गांधारी ।।४।।
कायला नही देखेस तू खुल् डोरालक्?
भाई भाई की मारामारी
मुकी रयकन चूप रहीस
चुकेव तोरो गांधारी,
चुकेव तोरो गांधारी।। ५।।
डोरा खोलस्यानी देखी रवतीस
तोरा पुत्र केताक अहंकारी
कान खाल्या दुय देनको होतो
चुकेव तोरो गांधारी,
चुकेव तोरो गांधारी।। ६।।
विवशता मनुन लाभ उठायेस
तोरो घरवालो बी अहंकारी
विवश विवश मनुन रोवत रहीस
चुकेव तोरो गांधारी,
चुकेव तोरो गांधारी।। ७।।
कपटी भाईला बढावा देयेस
वला काय नही टोचेस तुतारी?
महायुद्धला तू बी जबाबदार सेस
चुकेव तोरो गांधारी,
चुकेव तोरो गांधारी।। ८।।
कुटनिती का फासा पडत दरबारमा
पुरी रोवत होती हस्तिनापुरी
मुकी रयकन समर्थन करेस
चुकेव तोरो गांधारी,
चुकेव तोरो गांधारी।। ९।।
युग बीत गयोव महाभारतला
आब् बी सेत यहान अहंकारी
अहंकारी ला जो समर्थन देसे
चुकसे वको बी गांधारी,
चुकेव तोरो बी गांधारी । ।१०।।
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✍ डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर नागपूर २४/५/२०२०
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