Monday, May 25, 2020

अहंकार (kalyani patle) 11

अहंकार मनुष्य को शत्रु

अहंकार से मनुष्य को शत्रु बडो,
येला त जीवन लक दुर ठेयकेच काम करो।।

अहंकार मा आदमी नहीं होय सीक कोनीको,
धर्मी,अधर्मी सबलाच काम पडसे पानी को।।

अहंकार लक रावन की लंका भी जर गई,
आखिरकार रावन की आत्मा राम की शरणार्थी भय गई।।

हर मनुष्य को आत्मा मा से अहंकार,
पर येला आत्मसात कर्योलकाच होसेत दुर घर-दार।।

अहंकारी आत्मा मा नही रव वास भगवान को,
पर मरन को बेरा रावन न लेईतीस नाव भगवान श्री राम को।।

पहचान करन की से जरूरत आपरो गुनी स्वभाव की,
खुद खुश रहो, सबला खुश ठेवो पहचान होये तुमरो हाव-भाव की।।

हिवारो की ठंडी मारसे उन्हरों को तपन ला,
निसर्ग मा हरियाली आनसे फायदा होसे सारो जन ला।।

धरती को हर मनुष्य मा से अहंकार,
पर ईमानदारी को सागर मा नही होय सीक येकि नैया पार।।

आमरो पूर्वज की जन्मभूमि आय धार,
आम्ही आज क्षत्रिय पोवार।।
       
       - कल्याणी पटले
          दिघोरी, नागपुर

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