Monday, May 25, 2020

अहंकार (chhaya surendra pardhi) 11


परम शिवभक्त, महा बलशाली
सुंदर सोनो की लंका को अधिपती।
लंका की नहीं बची महालमाळी
अहंकार लक् मारी गई ओकी मती।।

अहंकार को मणमा धससे भूत
माणूस की होसेत भाऊ बडी गती।
चार लोक नहीं रवत सकोली जवर
पैसा की गरमी होसे आगमा सती।।

जब सत्ता आयजासे एकबार हातमा 
अहंकार को पिल्लू होयजासे साथमा।
स्वार्थ साती देसे समाजको बलिदान
नहीं रव ईमानदारी नेता को बातमा।।

कायला येत्तो अहंकार से मानव तोला
कब काया को पक्षि पिंजरा तोड़ उडाये
पंच तत्व की बनी या नश्वर नर काया
एक दिवस येन माटी मा मिल  जाये

अच्छो काम कर समाजसाती काही
समाजका आमी सेजन शतशत ऋणी।
अहंकार को जारवा तोड होय तय्यार
पोवारी साती बन तू वाल्मिकी  मुनी।।

✍️सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

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