Thursday, May 28, 2020

मुंगुस (नेवला) rajesh rane 001


एक घरमा एक मुंगूस पाली होतीन. वोनं घरकी बाईला तीन महिना को बच्चा होतो.मुंगूस घर भर हिंडत रव. एक रोज बाई आपलो टुराला माच घर मा दोरी को पारणा (झूला)  पर सोवाय कर पितर को गुंड धर के बिहिर (कुआ) पर पानी आणन जा से. बाई जबं भरेव गुंड धर के वापस आवसे त देखसे, मुंगूस को टोंड रकत लं लहु लुहान से.(बाईला लगेव मुंगूस न वोको टुरा ला मार टाकिस) बाई न भरेव गुंड मुंगूस पर कचळ देईस.  मुंगूस न केक नारी करिस ना मर गयेव. बाई माच घरमा परानी पारणा जवर. टुरा किलकारी मार कर खेलत होतो. पर वोको पारणा जवर एक मोठो नांग सरप का टुकळा टुकळा पळ्या होता. बाईला समझ मा आय गयो होतो का जेणं सरप पासुन मुंगूस न वोको टुरा की रक्षा करीस वोनच मुंगूस पर बाई नं भरेव गुंड कचळी सेस. बाई छपरी पर धायी जहां वोनं मुंगूस पर गुंड कचळी होतीस. मरेव मुंगूस ला देखकर बाई धळधळा रोवन लगी. 
रात भय गयी बाई न ना सयपाक बनाईस ना ढोर बासरू बांधिस. परसुभाऊ तिरूळा ल घर आवनो पर देखसे, अवार भर ढोर मोकाट फिर रह्या सेती. लेहळी चांदी भस को टापरू को आवाज आयेव, जाय कर देखीस त भस न बाळी मा लाल भाजी चर कर वाफा हिन ला खुंद रवंद कर के डेहेन कर टाकी सेस. वोला लिजाय कर कोठा मा बांधिस ना  सपरी पर आयकर लाइट पेटावनो पर देखं से त गुनवंती कोणटो मा उगीमुगी बसी से. परसुभाऊ न वोला पचारीस (पुछिस) का भयेव? गुनवंती धळधळा अठावन लगी ना परसुभाऊला लपट गयी. गुनवंती : धनी मोरो मुंगूस, मोरो मुंगूस. 
परसुभाऊ : अरे बाबा का भयेव, काही सांगजो बी का? 
गुणवंती :मी पापीन आव. मीनच मोरो मुंगस्या को जीव लेय टाकेव. मोरो मुंगस्या. 
(गुणवंती को डोरा हिन ल सतत आसु बव्हत होता)थोळी शांत होनो पर पुरी काहानी परसुभाऊला सांगीस. आता परसुभाऊ गुणवंतीला समझावन लगेव. आता रोवन को का फायदा जेव भयेव वू भयेव. पर एक बात को ध्यान ठेव. कबी बी हरबळी मा निर्णय नही लेये पायजे. तुनं हरबळी मा तसी हरकत करी नवतीस त आपलो मुंगूस मरेव नही रवतो. वू बी वू मुंगूस जेनं आपलो टुरा की रक्षा साठी वोनं भुजंग (बड़ा सांप) का टुकळा टुकळा कर टाकीस. 
वोनं रोज मी तोला सांगेव का, वोनं हरयाणा को जालमसिंग परमार को एक्सीडेंट भयेव त तू का कहीस, अं, आमला का करनो से, आमरो जात को ना पात को. 
वोनं रोज वोनं "सुखवाळा "को वल्लभ डोंग-या ला मीनं 1000 रूपया चंदा देयेव त तु कारा पिवरा डोरा करके बोलन लगीस वोनं भोयर पोवार ला चंदा देनं को का फायदा?  
देख गुणवंती तु भले ही तालेवर (रईस) बाप की बेटी रवजो, तोरा भाई भले ही मोठा अफसर रहेत पर मी अर्जूणी जसो लहान सो खेळा को किरसान (किसान) आव. मोरो जीव जालमसिंग परमार साती बी झुरंसे. वल्लभ डोंगरे को "सुखवाळा" समाज को उन्नति की किरण दिस से. मानुसू आमी 36 कु-या पोवारच आजन ना आपली पोवारी बोलीच आपलो बाणा से परंतु पोवार भोयर पवार परमार सबको एकच ताणाबाना से. 
आखरी मा तोला एकच बात समझाय कन सांगू सू गुणवंती समाज मा लेहळा लेहळी बहुत भेट जायेत पर आपलो समाज रुपी टुरा ना बोली रुपी टुरी हिन की रक्षा करनेवाला मुंगुस बहुत कमी सेत उन पर गुंड कचळो नोको. पछतावन की गन आनो नोको. 🙏

राजेश राणे 
खाडीपार/गोंदिया
26.05.2020
7774045036,7620488498

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