Monday, June 15, 2020

बटवारा Dhanraj bhagat 001



 _(पिता /बाबूजी  :- रामकिशन, मोठो बेटा :- विवेक, मंजलो बेटा :- प्रेम, लहान बेटा :- विनोद सरपंच :- नरेशजी गौतम)_ 

 विवेक :- "बाबूजी ! पंचायत जमा भयी, सरपंच साहेब आय गया, आता तरी हिस्सा बटवारा कर् देवो।"
 सरपंच :- "काहे , रामकिशन भाऊ जब् एक मा रहेके निभनो संभव नाहाय त् औलाद ला बेगरा कर् देव । बेगरचार ( विभक्त) करनोच् ठीक रहे , रोज - रोज को खट - फ़ट ल् दूर?"
 रामकिशन :- ठीक से...!
 सरपंच :-  आता सांगो, रामकिशन भाऊ, तुम्ही कोनतो बेटा जवर रव्हो?
 विवेक :- अरे, एकोमा पुछन की का बात  से? बाबूजी /पिताजी,च्यार महीना मोरो जवर रहेत, च्यार महीना  
प्रेम (मंजलो भाई)जवर ,ना च्यार महीना *विनोद* (लहान भाई) जवर रहेत।
 सरपंच :- चलो, तुम्हरो रव्हन को फैसला त् भय गयेव, आता जमीन जायदाद को भी लगेव हात कर् लेव बटवारा !
 रामकिशन :- चुपचाप सबकी बात आयक कर एकदम चिल्लाय उठ्या..!
" कोनसो फैसला?"
आता मी करू फैसला, तुम्ही  तिनही भाई (औलाद) मोरो घर ल् निकल जाव !!!!
      च्यार महीना को पारी - पारी लक मोरो जवर रव्हो। ना बाकी को महीनाइनको  इंतजाम तुम्ही खुद करो.....!
 मी जायदाद को मालिक आव । 
( तिनही बेटा ना पंचायत रामकिशन जी को फैसला आयक कर(आश्चर्यचकित) तोंड देखत रहे गया,जसी काही नवीन बात भय गई....)
 येला कसेत फैसला/निर्णय
 टिप :- फैसला औलाद न् नही माय - बाप न् करे पाहिजे ।
धनराज भगत 
आमगांव
15/06/2020

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