एक समय बात आय , एक गांव मा दूय संगी /मित्र दिवस बूड़ता को बेरा गांव को चंडी नामक टेकरा पर फिरन ला निकल्या।
टहलता - टहलता दुहि जन की आपस मा चर्चा चली की, पहिलो मित्र न् भगवान ला प्रार्थना करिस की, हे भगवान मोला अगलो जीवन असो पाहिजे की " मोला सिर्फ धन भेटत रव्ह..! भेटत रव्ह..!" " कोनोली देनो भी नोकों पड़" या मोरी इच्छा पूरी करो भगवान
दुसरो मित्र न् भी भगवान ला प्रार्थना करिस की, हे भगवान "मी हमेशा देतो रव्हू"....! देतो रव्हू....! मोरो जवर जो भी रहे बाटत रहू या इच्छा पूरी करो भगवा
कालांतर मा दुहि मित्र मर् गया। काही दिवस को बाद ओन् दुहि मित्र को एकच गांव मा दुसरो जनम भयेव .....!
पहिलो मित्र को इच्छानुसार आजीवन भिकारी को घर् जन्मेव ।
दूसरों मित्र को इच्छानुसार आजीवन अमीर को घर् जन्मेव।
तात्पर्य:- असो की जसी जेकी भावना तसो तसो प्रतिफल जसो भिकारी लक काहीच अपेक्षा नही रव्ह , वोकि अपेक्षा याच की भेटत रव्ह.....! भेटत रव्ह.....!
देतो रव्हू ,दान धर्म को भाव ठेयेव लक अमीरत्व प्राप्त होसे ।
सकारात्मक सोच मा फायदा येव से प्रगतिपथ पर जानला मार्ग प्रसस्थ रव्ह् से ना नकारात्मक सोच मा मनुष्य पतन (रसातल)को दिशा मा जासे।
"सही सोच सही दिशा"
धनराज भगत
आमगांव/ बाम्हणी
9420517503
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