बरसात
बढीया मीरुग को वारा, मोर फोडसे टाहो
आये तुफान पानी, मोऱ्या संभालकन ठेवो
भरो मीरुग मा खारी, नोको कवोजी हो हो
टाको धुरापर माती, वडगा संभालकन ठेवो
राबसेव कास्तकारी, तुमी बेरापर च जेवो
आंबीलसंग पीवनला, रायता संभालकन ठेवो
भयी सेत हिवरी बांदी, खेती का गुण गावो
परा लगावनसाती, मजुर संभालकन ठेवो
आये बरसात को पानी, पानी मा खेत् जावो
नोको वला होवोजी, मोऱ्या संभालकन ठेवो
सरसर आवसे पानी, धुरा पारीलक जावो
काटा गोटा चिखलमा, संभालकन पाय ठेवो
लगे बरसात को पानी, अदरककी चाय पीवो
सगडी पेटावनसाती, काडी संभालकन ठेवो
डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर
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