Tuesday, June 23, 2020

बरसात vandana katre 15


बरसात
दिल मा छाय जासे बरसात को महिना
हिवरो सिवार सुनावसे चैतन्य को गांना ।।

मोर कि केकावली, भेपका कि टर टर
किसान कि सुरू भयी खेत मा मर मर ।।

सण इनकि फुलवारी नाचसे हर मन मा
द्रोपदी को किसना धावसे घर घर मा ।।

नदी, झरणा, तरा, बोडी होसेती तृप्त
ताजी तवानी होसे अचेतन बि सुप्त ।।

शारदा माय कि वीणा छेडसे सप्त झंकार
रस्ता, पहाड, चोवसे आरसपानी हार ।।

झगडा भुलस्यान टुरु पोटू कागज को नाव संग
आई माई, मरदमाना काम मा भया दंग ।।

कौल ,झाड इन पर लंपटन बस्या बेला
रंग रंग को पान अन फुल इन को मेला।।

चित्रकार ला मिल्या चित्र को आकार
इंद्र धनुस न करिस सबको मन साकार ।।

रिमझिम, टिपटिप, मुसला केता सेती रूप
बरसात होसे परमेश्वर को परम स्वरूप ।।

एकच से प्रार्थना वरुण राजा तोरो जवर
वोलो दुसकार पाडन कि नको लगो नजर ।।

प्रकृती को उपकार बरसात कि से सवगात
वचन से आमरो नहि करजन प्रकृती पर आघात ।।

वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया

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