(चाल--चंदन सा बदन)
गरमी से छटी हवा बोवंन लगी बिजली भी करं से चमचमं अभारं मा आया बादल कारा देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
फुलवारी महकी चिडीया भी चहकी
जंगल मा नाचं से मोर छमछमं
कोयार भी गाना गावंन लगी
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
तरा-बोडी भरी नदी भी भरी
जबं आवन बसेव पाणी जमजमं
मेंडकी भी रात मा टर्रावन लगी
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
लगी हरणी धावन देखो कसी बनबन
माती की सौंधी खुशबू सुंघकनं
इन्द्रधनुष मा सेती सातं रंगं
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
अज येव कास्तकार खेती को तारणहार
देख पाणी की बाट जो हरदमं
चलेव नांगर ला बैल जोतकरं
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
बखर को मंगं चली किसान की घरवाली
घमेल पावडा अना बिजाई समं
धुरो पर आता लगाये तोरं
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
लहानसा ये टुरा दिल का सेती खरा
पाणी को संग से इनको पिरमं
कागज की नाव बनावणं बस्या
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
शारदा चौधरी
भंडारा
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