भोला भंडारी
कसेत जेला भोला भंडारी,
वोकी महिमा सबलक न्यारी।
निलकंठ नाव पड़यो तोरो
कालकुठ विष होतो प्यारो।
शृष्टी पर आयी जब विपदा भारी,
विष पिवनारो तुच जटाधारी।
गंगा ला देयोस जटा मा स्थान,
हिमालय पर्वत को बढायोस मान।
हर संकटला टारने वालो,
कामारी पड़यो नाव तोरो।
नंदी की से तोरी सवारी,
काल को भी काल सेस तु भारी।
अनेक नाव लक सेस तु अलंकृत,
परमपिता परमेश्वर सेस तु जग मा विस्तृत।
घोर तपस्या लक तोला जगाईन,
त्रिकालदर्शी नाव देईन।
तपस्या करती जब भी तोरी,
प्रसन्न होयके वरदान देत होतोस तु मोठो-मोठो।
असो होतोस तु भोला भंडारी,
तोरी महिमा सबलक न्यारी।
कु. कल्याणी पटले
दिघोरी, नागपुर
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