Sunday, June 7, 2020

निलकंठ महादेव vandana katre 13


ऋषी शाप लक गयव इंद्र को राज
दैत्य भया खुस ,करीन आपलो साज
चिंता मग्न देवता न करीस बिनती
विष्णु को हातमा आता होती गिनती ।।1

समुद्र मंथन कि कल्पना भयी उजागर
मंद्रचल कि मथनी न वासुकी को दोर
क्षीरसागर मा होता चौदा रत्न को भंडार
दैत्य न दानव करन बस्या दिल मा चिंतन ।।2


सबसे पयले निकल्यव हलाहल रत्न
देव दानव मा मचेव मंग कोलाहल
हलाहल को आग मा भया लाई लाई
कैलास पर गया सब बिनती करन लायी ।।3

शिवशंकर न करिस भक्त कि चिंता दूर
उनको सुक साती पिवन बसेव जहर
गटागटाकरिस विष को जहर प्रासन
कंठ भयव निरो नहि करिस अनसन ।।4

शंकर भया आता नीलकंठ महादेव
तिन लोक मा महान नहि दुसरो देव
ओम नमः शिवाय जाप को से मंत्र
दूर करसे महादेव बिगड्या सप्पा तंत्र ।।5

वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
०७/०६/२०२०

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