देव ना दानव मा पहेले भई लळाई मनमानी ।
निलकंठ महादेव की अजबगजब से कहानी ।।
दूही करका सैनिक मारेगया नूकसान भयेव भारी ।
संधी करीन दूही जनन करीन सागर मंथन की तयारी ।।
मंदराचल की रई बनाईन वासूकी सरप को नाळा ।
विषणू भगवान कासव बनेव चलेव वाहां घूसाळा ।।
सागर मंथनमा निकलेव हलाहल जहेर मोठो भारी ।
देखशानी हलाहल जहेर ला हिंमतच सबकी हारी ।।
तब सब देखनबशा महदेवकर बिनती करसेती भारी ।
तूमरबिना कोणी नाहाय आता देवईनको हितकारी ।।
पियीस हलाहल महादेव न ओक गरोमा अटक गयो ।
ओन जहर लकाच महादेव को गरो निळो भयेव ।।
ओनच निलकंठ महादेव की मानता करे दूनियासारी ।
महिमा ओकी निराली से पूजा करसेती नरनारी ।।
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डी पी राहांगडाले
गोंदिया
9021896540
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