Wednesday, June 3, 2020

भरम mahen patle 002


रात्रि आपलो समाप्ति को कगार परा होती । कारो कूट आसमान मा चान्दनी बी आब फीकी पडन लगी होती । वोतरो मा जंगल को राजा शेर का डोरा खुल्या । राजा न जंगल को किरकिर की आवाज को बीच मा जम्भाई लेइस अन आपलो पुरो शरीर ला सीधो करकर झुंझुरका को बेरा सैर सपाटा करन को मन बनाइस । राजा निकल्यव । फिरता फिरता कब जंगल को बाहर आय गयव पता च नही चल्योव । जनम भयव तब लका , कबी जंगल को बाहर की दुनिया , वोको देखनो मा नही आयी होती । जंगल को बाहर खेती, गाँव माका घर देखकर त् वोला बड़ो अजीब लग्योव । गाँव को बाहर झाड़ी मा लका फिरत च होतो , वोतरो मा सन्नाटा ला चिरके एक नवो च आवाज आयोव । गाँव मा लका कोंबडा आरवनो की आवाज होती ।  वोला आयककर जंगल को राजा शेर चकराय गयोव । वोन जिंदगी मा पयलो च बेरा असो आवाज  आयक़ी होतिस । शेर ला लगयव की का आय न कहाय नही । सबदुन बढ़िया जंगल मा जानो च अच्छो से । शेर न आव देखिस न ताव , जो परानो शुरू करिस त् थाम्बन को नाव च नही लेइस । रस्ता मा एक खेत मा एक गधा चरत होतो । वोकी नजर जंगल को राजा पर पड़ी । वोला लगयव की शेर वोला देखकर पराय रही से । वोला शेर की मजा लेन की सूझी । गधा जंगल को  राजा को मंग धावन लग्योव । गधा ला बड़ी मजा आय रही होती । वोला देखकर शेर पराय रहयव होतो येन बात की खुशी लका गधा अखिन जोर लका शेर को मंग धावन लग्योव । वोतरो मा  जंगल को राजा शेर ला लगयव की कोनि तबी वोको मंग आय रही से । वोन मंग देखिस । त् गधा वोको मंग आय रही से । शेर ला लगयव की वा आवाज येन प्राणी की होती । यव त् नाहंसो प्राणी से अना वु फालतू च पराय रही से । ऐला आज को शिकार बनावनो बेहत्तर से । शेर पट न्यारी वहाच पलट्यव अन जसो गधा पास मा आयोव वोला एकच पंजा मारकर वहाच समाप्त कर देइस । गलतफहमी अन बेअकली  मा गधा की  जान गयी । अगर गधा आपली ताकत  पहचान कर  रव्हतो  त  असो  नही होतो  ।

तात्पर्य : 
बिना कोनीला जाने , बिना पूरी परिस्थिति ला समझे , अंदाज नही लगाए पायजे ।

इंजी. महेन पटले

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