Monday, June 1, 2020

मोरो देश pankaj tembhre 12


उत्तर   मा  बसी   से  उत्तुंग   हिमालय ,
दक्खिन  मा    हिन्द     महासागर   से 
पूरब    बसी   सेत    सात   बहिनिया  
पश्चिम   सोमनाथ   को   मन्दिर   से ।।
  
शून्य    को    खोज    आमी    करया 
जग  ला   सभ्यता   को  पाठ  पढ़ाया
सूरज ,   पृथ्वी ,  ग्रह  अना   चंदा  को 
सबले   पयले   आमी    दूरी   बताया ।।

से   विलक्षण   प्रतिभा,  येने   देश  मा  ।
अनेकता   मा  एकता   को  विचार  से 
बच्चा  - बच्चा   मा   श्रीराम  बसी   से 
माय ,बहिन ,बेटी मा देवी की  बहार से ।।

राम ,किशन , बुध्द   को यहां जनम भयो  
विक्रम ,सिन्धु , भोज  यहां राज करी सेत
विवेकानंद ,  राममोहन  संगा   मिलकन
सनातन  धरम  को  परचार  करी  सेत  ।। 

 रामायण   अना  ,गीता  वैदिक ग्रंथ मा 
सकल   जीवन    को   सार   भरयो   से 
चाणक्य   अना   विदुर    की   नीति  मा 
धरम , करम  को   व्यापार  रचयो  से ।।

धन्य -  धन्य  ओ !  मोरी   भारत   भूमि 
निछावर करसू तोला , मोरो   तन , मन      
तोरी  माटी   को‌  कण - कण   सोन्नो  से            
तोला  पायके धन्य  भयो  आमरो जीवन ।।

रचनाकार - पंकज टेम्भरे 'जुगनू'
परसवाड़ा  , बालाघाट
सम्पर्क - ७५८३८६०२२७

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