लाख्तखाड
लगेव लाख्तखाड आब् , पानी आयेव भारी
किसान राजाला लगत होतो, फुले कास्तकारी
पानी आयेव दाना वापेव, धरती भयी हिवरी
हिवरो शालू पांगरीस वन्, लग् नवी नवरी
झीमुर झीमुर पानी मा, भेपका मार् किलकारी
सांगसे फसल मस्त होये, भरेत घरकी बकारी
लाख्तखाड किसान राजाकी, खुशी मोठी न्यारी
किसान बईलक् मंग फिरसे, धरकन कासरा तुतारी
लाख्तखाड हर खेतमा, किसान की जत्रा न्यारी
धुरा बांदी मा अनाज पेरसे, धरती माय को पुजारी
डॉ. शेखराम परसराम येळेकर
२८/६/२०२०
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