बहुत दिवस पयले की बात आय एक बार एक साधू आपरो शिष्यगीनं संग आश्रम मा शिक्षा ज्ञान दान को कार्य करत होता l एक दिवस साधू महात्मा बिचार करीस की अज आपरो शिष्य इनकी परीक्षा लेये पायजे l गुरुजी न सब शिष्य इनला आदेश देयीन,की सकारी सब जन आपरो संग एक एक आलू आनो अना आलू पर जेकी सबलक ज्यादा गुस्सा करसेव उनको नांव वोन आलू पर लिख स्यान आनो, जेतरो लोग इनकी तुमि गुस्सा करसेव सबको नांव का आलू आनो l गुरूजी को आदेशानुसार सब शिष्यइन दुसरो दिवस कोनी न एक आलू, कोनी न दुय आलू, कोनी न तीन आलू ,कोनी पांच आलू, कोनी सय असा सबन आपरो हिसाबलक आलू रोज आनत लग्या l असो काम पुरो सात दिवस तक सब न नांव लिख्या वाला आलू आणत होता l मग गुरुजी न एक दिवस सबला बीचारिस की तूमला येन सात दिवस मा कसो अनुभव आयेव सांगो सबन आपरी आपरी कहानी सांगणं लग्या,कोणी कसे मी परेशान भय गयव गुरुजी,कोनी कसे आलू बास मारण लग्या सेती जी, कोणी कसे तरास आवसे गुरुजी l तब गुरुजी कसे यव सब मिन तुमला शिक्षा देन लाईक असो करेव,मात्र सात दिवस माच तुमला आलू बोझ लगन लग्या त सोचो तुमि जेन व्यक्ती की गुस्सा करसेव त उनको बोझ को असर तुमरो दिमाग पर कसो होत रये
येको कारण तुमरो मन नही लग अना बाकी का काम बी बरोबर नही होत रहेत l
बोध: अगर तुमि कोनी संग प्यार लक हासी खुशी नही बोल सको त उनको लक नफरत बी नही करे पायजे नही त आलू जसी गत होय जाये सबकी l
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प्रा.डाँ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो. दासगांव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
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