Monday, July 6, 2020

उभारी


(आन तो रे वा उभारी असो येको अर्थ नोको काहाडो) 

अशी उभारी देव मोला आन के, 
ग्रुप मा ठेवू मी सबला सम्हाल के।धृ।

ख-यान मा आनन साती बोझा होत धानका, 
या घर आनन साती बेठ तनीस का, 
सबला ठेवसे या सम्हाल के.
अशी उभारी देव मोला आन के। १।

लकडा हो या लकडी जलावनकी,
बिह्या मा मांडोधरी होय मांडोकी, 
गाडो मा रव्हसे उभारी ठनके, 
अशी उभारी देव मोला आन के। २।

खरकाळी होयेत या काटी बोरकी,
या मांडो साती डगाल जांभुर की, 
येको बीन नही सम्हलत सम्हाल के, 
अशी उभारी देव मोला अान के। ३।

खात की पेटी हो या बंडी कुटार की, 
आंगन साती आननो रव्ह मुरूम खदान की, 
खातकडी ला ठेवसे या बांध के, 
अशी उभारी देव मोला आन के। ४।

दंगा फसाद मा दुय हात देखावन ला, 
सरप, बिच्छू ला समयपर सुतावन ला, 
उभारी समयपर देसे ठास के, 
अशी उभारी देव मोला आन के। ५।

संगठन येव गाडो आय असो समझोना, 
वोक् कार्यकर्ता इनला उभारी समझोना, 
सबला सांगू सु मी पटाय के, 
अशी उभारी देव मोला आन के। ६।

             रचना - चिरंजीव बिसेन 
       परमात्मा एक नगर, गोंदिया

No comments:

Post a Comment

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...