जीवन संस्कार
पुरानो जमानो की बात निराली,
आजा-आजी लक होती संस्कार की जागवली ll
आजा आजी की कहानी आता भय पुरानी, दुनिया भई इंटरनेट की दिवानी ll
आयकसेती कथा कहानी पर नही बन बात,जसी सुनाव आजी माय कहानी ll
संस्कार विहिन टूरु-पोटू भया गुगल ज्ञान का गुरू,
समझ नही आव आता कसी होये संस्कार शाळा घर की सुरु ll
पाश्चात्य संस्कृती ला धरनो आय,
आपरो संस्कृती संस्कार को नाश करनो ll
टुरी को मंग होय स्यारी दिवानो,
फिरसे पगला वानी जमानो ll
माय-बाप को कमाई पर करसे मनमानी,
गलत काम मा बीत गयी जवानी ll
माटी मोल होय जाये संस्कार-संस्कृती,
मन मा आये जब गलत बिचारं की विकृती ll
जगावो सबमा आता जनजागृती,
बचावनो से अगर संस्कार संस्कृती ll
प्रा.डाँ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगांव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
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