संस्कार
माय तोरा संस्कार करीन मोला गुणी
तोरो ममता को रहु मी सदैव ऋणी।।
लहानपण की वा थापड तोरी
आबबी से मोरो ध्यान मा कायम
वोको बादमा माय तोरा शब्द
कान मा पड्या होता मुलायम।।
संस्कार की शिदोरी तु आमला देयेस
खरो खोटो की समज मनमा भरेस
आई होती गरीबी घरमा तरी माय
स्वाभिमान आपलो नही सोडेस।।
आपलो घरकी होतीस तू मोठी बहु
बहुत गरीबी देखेस माय तून घरमा
कभी कभी चाऊर को कण नही रव्हत होतो
पोटखोली को खालत्या को भदाडमा।।
शेन पुंजा बाहार,बोहोर अना सयपाक पाणी
कसी सांगु माय तोरो कष्ट की मी कहाणी
आबबी याद आया वय दिवस म्हणजे
मोरो डोरा मा भरके आवसे बडो पाणी।।
माय घरका तोरा संस्कार जपेस तू
घरकी बात कभी बाहेर नही काहाळेस तू
वयच संस्कार धरके मी बी आब सेव
जसो बालशिक्षण देयेस तून मोला तू
सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
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