Monday, July 20, 2020

नोको रोवु माय मोरी shekhramji yedekar 02



नोको रोवु माय मोरी

लेखक:- डॉ. शेखराम परसराम येळेकर
अंक पहिलो

(उनारोका दिवस, रातक १०बजे की बेरा, बंडू भाऊ आंगणमा खाट टाकस्यानी लेटेव होतो. वोतमाच रामु काकान टवकारा देईस)
बंडू:- कहान जासेवत् काकाजी
रामु:- जेवन भयोवत् पाय मोकरा करनला आयेव गा.
बंडू:- आवो ना काकाजी बसोनाजी. 
रामु:-  नही गा, सकारी आंबा उतरावनका सेती, कोनी उतरावनेवाला भेटसेती का मनुन देखुसु. 
बंडु :- मोडकुकाका उतरावसे पन वु बियायी क् गाव् गयी से. 
रामु:- जानदे बटाला गयेव त्. केताक बज्या गा बंडु. 
बंडू:- १० बज्या ना काकाजी. 
रामु:- जेवन भयोव का त? 
बंडु:- हो आबच भयेवना काकाजी. 
रामु:- काजक मालपाणी होतोत्
बंडु:- अं होतो असोच. बाल्याक मायन्  मस्त आंबाको रस ना घीवारी बनायीस, डटके जमायव मनुन  यन खाटपर लेटी सेव. अभारकन देखकन बुडगीकी खाट देखुसु. रातभर या बुडगी चीच का पाला हतरावत रवसे असी मोरी स्यायनी माय कवत होती. मनुन देखुसु येन् बुडगी जवर मोरी स्यायनी चोवसे का त् ? मनुन एकदुय दिवस आड अभारमा देखत रवुसु
रामु:- देख बुगी, तोर् स्यायनीला,  चोयीत् मोरीबी रामरामायी सांग देजो. मी जासु, कोनी आंबा उतरावनेवाला भेटसेती का त् देखुसु गावमा.
*(रामु गावमा गयेव ना बंडु ला गयरी निंद लग गयी. बंडुला सपनमा वक् स्यायनीन दर्शन देयीस, हाका मारन बसी.)*
स्यायनी:- बंडु अ बंडु, का करसेस त. 
बंडु:-  आयीस का व् मोरी स्यायनी, कसोटी से व् कुबड तोरो, टेकनकी काडी बी नही चोव् तोर् हातमा, आव बस मोर् जवर. मी जरासो पोवार समाज ना संस्कृतीक् बारामा लिखुसु. 
स्यायनी:- अरे व्वा, मोरो नाती त आब् समाजसुधारकच भयेव. 
बंडु:- मोरो सोड दे , जरासी करनो पडसे समाजसेवा. तू कशी सेस त व् स्वर्गमा. वन् अभारमाक बुडगी संग तोरी मुलाकात भयी का नही त? वा बुडगी रोज रोज रातमा चिचकोपाला हतरावसे कसेत, या गोष्ट खरी सेका? स्यायनी तू असी करजो, वक् खाटजवर  आपली खाट पाडजो ना जांबुरका पाला हतरावजो, मनजे वक् दुन तोरी खाट लवकर हतरायकन होये. स्वर्गमा बहुत पॉवरफुल होल्टवाला बल रवसे कसेत. वहानलक बल चालुबंद करजो मंग मी समज जावु या मोरी स्यायनी आय मनुन. पन तोरी टेकनकी काडी नोको फेकजो वऱ्यालक, नहीत् फोडजो मोरो डोस्का.
स्यायनी:- (मुसुर मुसुर हासन बसी) 
ह ह ह.. 
बंडु:- कायला मुसुर मुसुर हाससेस त् व् स्यायनीमाय. 
स्यायनी:- पयले दुन आब् तोरो दिमाक ज्यादा चलसे मनुन, तसोच मोरो नाती समाजसुधारक बन रही से मनुन मोला खुशी होसे. 
(अंक दुसरो)

बंडु:- काव् स्यायनी, समाजसुधारक बननो का बुरी बात से का? 
स्यायनी:- नही मोर् नाती, बिल्कुल बुरी बात नाहाय. समाजसेवा सारखो साजरो काम दुनिया मा कोनतोच नही. पन तू कोणतो समाजसुधारणा को काम करसेस मोर् नाती. 
बंडु:- मी समाज जनक् मनमा प्रेरणाकी ज्योत जगावनसाती हातमा प्रेरणा की ज्योत धरनको बिडाच उचली सेव.
बुडगी:- बंडु तू सबक् मनमा प्रेरणाकी ज्योत जलावनसाती हातमा ज्योतच धर, मोठो टेंबा नोको धरुस, मनजे भयेव.
बंडु:- अव स्यायनी, समाजहितसाती हातमा टेंबा बी धरनो पडसे. 
स्यायनी:-अरे बेटा, तोरो गलत वापर होय रही से. तोला लगसे घरघरमा ज्योत जलावनसाती हिंडुसु पन तू ज्योत जलावनसाती नहीत् घर जलावनसाती हिंडसेस. 
बंडु:- बयी भयीस काव्,अशी कशी कसेसव स्यायनी? तोरो गलत से. 
स्यायनी:- नही मोर् नाती नही, तोरो मन साफ से बेटा, तू दुसरोक घरमा प्रेरणा की ज्योत जलावसेस  या बात बराबर से पन आपल् मायको दिवो कायला बुजावसेस, मोर् सोन्या. तोरच सरीका टुरु पोटु ला सामने करस्यानी आपलच मायको अस्तित्व मिटावनको षडयंत्र रच रही सेस. पोवारी मायको  अस्तित्व मिटाय रही सेस. 
बंडु:- नही स्यायनी असो नही होय सिक. 
स्यायनी:- तू पोवार तोरी माय पोवारी बोली पोवारी पन तोला पोवारी लिखनकी उजागरी नाहाय. पवार लिखो कसेत ना तोला! तू हो मा हो मिलावसेस. धिक्कार से तोरो जिंदगानीपर. तोरा साथी आमला काही फरक नही पड कसेत, संस्कृतीक् अस्तित्व पर आघात सबदुन मोठो आघात रवसे बेटा. चारपाच जनन मिलस्यारी पोवार को पवार करस्यानी *नवपवार* अशी जात बदलायीन  बदलायीनत बदलायीन किताबमा पोवारी नावला जराशी जागा नही देयीन.पवारी ना पवारीच लिनक्स कोशिश करीन. पोवारका  बेटा बी मोरो का जासे? असो सोचकन चुपच बस्या. अस सोच न् साजर् सागुनक् लाकुडला उधयी को किडा लगेव असोच भयोव. पयले बी इतिहास संग छेडछाड भयी आब् होय रही से. 
तोर् मायको गुणगान वय नही करत, तेरा तथाकथित नेता बी नही करत.  पोवारी शब्द को पोवारइनक मनमा नफरत फैलावनकी साजीस होय रही से. एक लिखा सौ बखा, कयकन      तुमीच गलत संभ्रम मा पड जावो बेटा. 
जेला माय को नाव गलत लगसे वला का कये पाहिजे? यवच समजमा नही आव्.
बंडु:- स्यायनी माय, तोरी बात सोळाना सही से. तुन् मोरा डेरा खोलेस. मी बी त् उनक टोलीमा रयकन बाजा बजायेव. आपल पोवारी संग गलत व्यवहार करेव असो मोला लगसे. आब मी का करु. मोरी पोवारी माय मोला माफ नही करनकीव् स्यायनी. 
स्यायनी:- असो नोको सोचुस मोर् नाती. मोरो जीव दुकसे तोर् साती. तसो मोला मालुम से तोर् पोवारी माय मोठ मन की से, वको हृदय डगर से. वा तोला माफ करे, सिर्फ वको अस्तित्व नोको मिटावु ना मिटावन् वालोको साथ बी नोको देवु, मनजे भयेव. 
बंडु:- स्यायनी मी का कसु, मोर हातलका मोठी गलती होत होती. दुसर् क् माय की सेवा करनो साजरी बात से पन,  आपलच मायक सातीपर लात मारस्यानी आपलच मायको अस्तित्व मिटावनो यक् सारखो पाप यन दुनियामा कोणतेच नही. या बात मोला आब समजी. पोवारीको अस्तित्व मिटायकन पवार करनको कारस्थान आबबी मोर समजमा नही आय रही से. 
(वोतमाच नाराज नाराज पोवारी माय रोवत रोवत् आपल पदरलका डोरा पुसत प्रकट भयी) 
पोवारी माय:- बेटी तोरी स्यायनी कसे वा बात सोळाना सच से. मोरो संग सौतेलो व्यवहार होय रही से. मोर् बेटाइनला पोवारी नाव कायला खटकसे यवच समजमा नही आव. बेटा बंडु, तू बी त् बयकेव होतोस , मोलाच भुलस्यानी मोरचा आंगनमा दुसरोक् मायको दिवाना भयेव होतोस. दुसरा मोर् पोवारी नावकी नफरत करसेतच पन मोरा बेटा बेटी बी नफरत करसेत यकोच मोला दर्द से. पैसावाल् जवर पैसा मोजनला टाईम नाहाय, कास्तकारला काम धंदालक् फुरसत नाहाय, ड्युटीवालला ड्युटीक् नावपर फुरसत नाहाय, यको फायदा कारस्थानी  उठावसेत. लुगडावाली माय शहरमा आयी त वक् संग मोलकरीन सारखो व्यवहार नोको करो, बेटा. 
बंडु:- माय माय मोरी पोवारी माय, नोको रोवुस मोरी माय, तोरो अस्तित्व मीटावनक कारस्थानमा मी कबच सम्मिलीत नही होवु , यव बचन देसु. 
पोवारी माय:-बेटा मोरी लाज रख, तोला मोरो आशीर्वाद से. 
स्यायनी:- सोन्या मोरो बी तोला आशीर्वाद से. 
(पोवारी माय ना स्यायनी माय अंतरध्यान भयी. तसीच बंडु की निंद खुली.) 
बंडु:- (बंडु जोरलका नारा लगावसे) 
माय मोरी नोको रुसु, 
तोरा आसु त् मोरा आसु, 

माय बढावबिन तोरो मान
खतम करबीन कारस्थान
(पडदा पडसे)
डॉ. शेखराम परसराम येळेकर (सिंदीपार) नागपूर
२०/७/२०२०

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