संस्कार
संस्कार से सोपस्कार
माय बाप घर का दान
गर्भगृह मा च भेटसेत
योग्य, अयोग्य उ वान ।।
धर्म कि वा सिदोरी
ठेवसे सज्जन को संग
दुर्जन को प्रतिकार
षड्रिपु ला करसे भंग ।।
कष्ट सांगसे महिमा
पसीना मा भेटे राम
कृष्ण को गीता सार
जीवन को मुक्तीधाम ।।
समभाव, भूतदया
प्रेमभाव कि से शान
परमहित साधन को
से यव अमृत ज्ञान ।।
सम्मान की परिभाशा
सुखी होसे तन मन
संस्कारित अमृत वानी
होसे अनमोल धन ।।
कर्म कर्तव्य को गाव
जपसे स्वाभिमान
निंगरा परा चलनोमा
बढावसे अभिमान ।।
टुरा हो या टूरी रहे
मान संस्कृती को ऋण
सुसंस्कार लक होये
भारत कि सिधी मान ।।
वंदना कटरे। "राम-कमल"
गोंदिया
12/07/2020
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