संस्कार
आदमी ला माणूस बनावन मा जिनको से हात,
वोको नाव से संस्कार,करसेत दुर्गुण पर मात.
संस्कार कई प्रकार का सेती पालन करन साती,
लहानपण पासून देया गया त् फायदा करसेती.
आपल् दून मोठो ईनके करसे आदर सन्मान,
संस्कार मा से येको समावेश बनसे वु महान.
गरीब,दुर्बल ला मदत,नारी को बी होसे सन्मान,
वु घर धरतीपर बनसे स्वर्ग समान.
परिश्रम की आदत अना समयपर करसे काम,
वोकी होसे तरक्की, पावसे जगमा नाम.
बुजुर्ग की देखभाल अना होसे जहॉ सेवा,
वोन् घर को सबला रव्हसे आदर ना हेवा.
लवकर उठनो,साफसफाई करनो, परिश्रम करनो,
येव बी संस्कार कोच् भाग आय सच जानो.
अतिथी सत्कार बी आय संस्कार कोच् भाग,
माय बाप गुरू को आदर करसेत वोय आत महाभाग.
भाई भाई जहॉ रव्हसेती मिल जुल कर संगमा,
धन,धान्य,संपत्ती वहॉ रव्हसे मुबलक हमेशा.
रचना- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया.
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