Thursday, July 23, 2020

श्रावण vandana katre 19


कारो कारो बादल को खेल
करसे उचो अंबरला आघात
सौदामिनी बि नाचे छमछम
बिन घुंगरु भयी से बरसात ।।1

बरस रइसे रिमझिम धारा
आयव केसर श्रावन मास
गर्भार धरती माय ला बि
भेटीसे नवांकुर कि रास ।।2

तपन,सावोली लुका छिपी
देसे जीवसृष्टी ला नवो सेज
इंद्र धनुस को सात रंग मा
चोवसे मुरलीधर को तेज ।।3

अधीर सरिता कवसे आता
कब करू सागर तोरी भेट?
पंख फडफडाय पक्षी गुंजन
पवन पिरम को संग मा थेट ।।4

रंग रंग का पान न फुल को
लतिका ला आयव सुंदर भेस
हिवरो सीवार को आयको ना
सन्मार्गी, चैतन्य भरेव संदेस ।।5

चिंब भिज्या पानदन ला बि
झलारसे रानफुल कि किनार
सुस्क पहाडीला आयी सोभा
केतरो सुंदर से यव धुवाधार!!।।6

जलाशय को आयना मा आभार
देखसे आरसपानी उ स्वरूप
रोम रोम मा पुलकित प्रकृती से
मंगल दुन मंगल सद् गुरु रुप ।।7

सांज सकारी झुला झुलन ला
आनंद विभोर होसेती सखी
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा मा
नाहती आता कोनी च दुखी ।।8

सन, त्योहार को फुल गुच्छा
मौलिकता को से सन्मान
संस्कृती, समृद्धी कि ठेव मा
श्रावन से आमरो अभिमान ।।9

श्रावन को सोरा सिनगार सदा
गावसे सुखी, तृप्ती को संगीत
निसर्ग को कोना कोना सांगसे
श्रावन!!तुच मोरो मन को मित ।।10

वंदना कटरे "राम-कमल'
गोंदिया
२९/०७/२०२०

No comments:

Post a Comment

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...