।। संस्कार।।
बरसातमा आयो ऋतु सावनको
बदल गयोव रंग रुप धरतीको।।धु।।
जिवती पासुन महिना भरं
पोरा मारबतला जासे सरं
तिस दिवस व्रत अहींसाको।।१।।
धार्मिकता जन मन मा आवसे
सात्विकता या सबमा दिससे
ज्ञान क वृत्तीला बढावनको।।२।।
भाई बहिनको स्नेह बंधन
नागपंचमी ना रक्षाबंधन
लाई चना उत्सव कानुबाको।।३।।
सब या परंपरा जपसेती
आस्तिक पंचागलं चलसेती
सत्कार्य योव ग्रंथ पठनको ।।४।।
हिंदू संस्कृती जगमा श्रेष्ठ
येन कुड़ीला नहि करत भ्रष्ट
संस्कार आपलं संस्कृति को।।५।।
वाय सी चौधरी
गोंदिया
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