श्रावण महीना खुशीसे मनमा जितऊत हीरवोगार।
घऴीभर मोठी तपन लगसे घऴीमा पाणी थंडोगार।।
वरत्या देखो इन्द्र धनूस से सात रंगमा ऊ सुंदर् ।
जसी तोरन बंधीसे वरत्या खुप दिससे मनोहर ।।
घऴीमा होसे अंधारो दिससे जसो दिवस बुऴजासे।
धऴीभरमा तपन निंघसे त दिवस वर्तया दिससे ।।
कावऴ धरशान भक्त नीकल्या कसेत हर महादेव।
कोणी मंदीर पुजा करसेत कसेत मोला सुखी ठेव।।
थंडीथंडी हवा चलीसे मनमा भई खुशी भारी।
श्रावणका गाना कसेती झुला झुल सेती नारी।।
जितऊत हीरवोहीरवो जसो हीरवो शालु आंगपरा।
भक्त भक्तिमा त-लीन होसे कर वीठ्ल जयकारा।।
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
No comments:
Post a Comment