पोवारी इतिहास साहित्य अन उत्कर्ष द्वारा आयोजित
बालकविता स्पर्धा-१
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1. चंदा मामा
चंदा निकल्यो तारा निकल्या,
आसमान मा मिलकर बोल्या।।
देखो इनकी शान से निराली,
सुरत केतरी भोली भाली।।
रात होताच आय जासेत,
रोज सकारस लुकाय जासेत।।
कोमलता को तोरो मन,
तोरी सुंदरता देखके होय जासेत दंग।।
चंदा मामा गोल मटोल,
तोरो संग से रिश्ता अनमोल।।
आमरो लक दूर से तोरो घर,
तरी एक डोर मा बंध्या रवबी हर पल।।
✍️ कु. कल्याणी पटले
दिघोरी, नागपुर
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2. चंदामामा
चंदामामा चंदामामा दिनमा कहा जासेस
लुकाछुपी लुकाछुपी काहे खेलसेस ll
चंदामामा रूप तोरो अति से सुंदर
कारो-कारो डाग दिससे तोरो अंदर
हरणी को रथ पर काहे परासेस ll
चंदा मामा काहे सेस तू गोलमटोल
तोरो मोरो रिश्ता से बडो अनमोल
तू मोला असो काहे प्यारो लगं सेस ll
चंदामामा निकलंसेस काहे तू रातमा
भेव नही लगं का लिजाय कोणीला साथमा
कभी अधुरो तं कभी पुरो कसो रवंसेस ll
चंदामामा फिरंसेस तू कहा कहा
कभी लुकासेस तू ढग रवसेत जहा
कभी लिंबोनिको झाड को मंगं काहे छुपंसेस ll
चंदामामा चांदणी से सखी तोरी
दोस्ती करावजो का वोको संग मोरी
वय बी चमकंसेत ना तू बी कसो चमकंसेस ll
चंदामामा अभार घर आय तोरो
मोठो होयेपर आवनो होये वहा मोरो
यहा लक बडो तू दूर काहे दिसंसेस ll
✍️ शारदा चौधरी
भंडारा
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3. चंदा मामा
देखो देखो झुम कर आई बरात चंदा मामाकी
झिलमिल करता बन्या सेत सब सितारा बराती
चांदनी मामी सजी से सुंदर साड़ी शुभ्र चांदिसी
देखो देखो अंबर सजीसे घाई सबला बिहयाकी
सूर्या काका भयेव नाराज आयेब नहीं बिह्यामा
उग्र रूप धारण करिस गंयेव आपलो पश्चिममा
धरती माय देख रही से बारातमा चांदा भाईला
घाई घाई आया सप्तरुशी सब आशीर्वाद देनला
धुंडत बसी बुळगी कोणीला बीह्यामा जान साती
चांदा चांदणी को बीह्या लगेव पौर्णिमा को राती
झुमेव अंबर झुमी धरती आब जेवण की बारी
जेवणखावन भयेवं सबको आता बिदाई की पारी
चांदा को मखमली रथमा सिमटकर बसी मामी
रथका घोडा उड चल्यां चांदा को घर जानसाती
आयेव सूर्या काका भेवं लक लुकायेव चांदामामा
आशीर्वाद देयकर बराती गया आपआपलो घरंमा
✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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4. चांदा
चांदा की परेसानी सांग ना माय मोला
सूरज निकलेव पर उ कहान झुलसे झुला?।।1
पानी आवसे सरसर, भिजावसे चांदाला
तरी काहे उ खासतो नहि चोयव मोला?।।2
पांढरो चमकिलो देह,रोज बदलसे कला
तरी कारो डाग की बेमारी भयी से ओला?।।3
कारो कारो बादर, बजावसेती बाजाला
लखलख बिजली को भेव नहाय का ओला?।।4
अडीअडचण मा उ कोनको लेसे सल्ला
चांदणीन घेरीन तरी काहे नहि कर कल्ला?।।5
रोज कसो आवसे, मोरो संग भेटनला
महिना मा एक गन कहान जासे लुकनला?।।6
✍️ वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
२४/०८/२०२०
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5. चंदा मामा
मोरो चंदा मामा
अभारमा चोवसे
मामाजीकी गाडी
जोरलका फिरसे
मामाजीक् गाडीला
चार चार घोडा
मामाजीक् हातमा
लंबो लंबो कोडा
मामा मोर चंदा
आननला आये
गाडीमा बसायकन
अभारमा फिराये
मामासंग फिरु
ढग देखु बहु
चांदनी अभारकी
खिसामा ठेवु
खिसामाकी चांदणी
संगीभाईला देवु
मामाजीक् गाव् मी
महीना महिना रहु
झोऱ्यामा की चादर
बुडगीला देवु
फेक कहु चिचपाला
भयेव लाळकपन बहु
खाली रहेत मामाजीत्
धृव घर जावु
विष्णू भक्त धृवला
नमन करकन आवु
मोरो चंदा मामा
राती राती फिरसे
दिनमा मालूमनही
कहान जायकन लुकासे
अभारमा मामाजीको
देखनको से ठाट
मामाजीला सांगु
लेय देवो मोला प्लाट
मोरो चंदामामा
मोरो लोभ करसे बहु
पुनवाक् दिवस मी
मामा गाव जावु
मी मामा गाव् जावु
✍️डॉ. शेखराम परसराम येळेकर २४/८/२०२०
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6. चांदा मामा
घर क् छतपर मी जासू,
वहॉ रव्हसे चांदा मामा.
मोर् संग खेलनला आवसे,
दिवस बुडता चांदा मामा.
कभी कभी पूरो,कभी अर्धो,
कभी लहानशो दिससे मामा.
कभी कभी नाराज होयकर,
गायब होय जासे चांदा मामा.
बरसात क् दिनमा बदली रव्हसे,
तब नही नजर आव् चांदा मामा.
बदली मा छिप जासे तब,
याद बहुत आवसे चांदा मामा.
कोजागिरी,पांड ना होरी ला,
बहुत मोठो रव्हसे चांदा मामा.
दिवारी ला दिवो क् रोशनी मा,
छुप जासे दिस् नही चांदा मामा.
कभी भी रात माच् दिससे,
दिवस् नही दिस् चांदा मामा.
केतरो अच्छो होतो अगर,
दिवस् बी दिसतो चांदा मामा.
✍️ चिरंजीव बिसेन
गोंदिया.
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7. चन्दामामा
चन्दामामा मोरो जरा उभो त रव्ह
एक्टोच फीरसेस नही लगका भेव
कभी ईराक कोरवाणी लहानसी धार
मंग मोठो होत जासेस पंधरवाडा भर
पुर्निमा ला दीससेस मोठो गोलगोल
चकाचक उजाळो देसेस तु अनमोल
छेळेस अहील्याला ऋषिला आयेव राग
मार मारीस तोला ओको पळेव डाग
मणुनच का इतउत लुकायशानरवसेस
लुका छिपीको खेल तु काहे खेलसेस
तोर जवळ से चांदणी राणीईनको भंडार
बीचमाच चमकसे आकाशगंगा की धार
बुळगीकी खाट ना तिन फिरसेती चोर
तोर ऊजाळोमा सब दिससेत झकझोर
रोजरोज रवतोस त केतरो बाका होतो
तोरो ऊजाळो देखदेखशानी सोयजातो
✍️डी पी राहांगडाले
गोंदिया
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8. चंदा मामा
रोवता रोवता सोय गयेव कुमार
तब भयेव अवचित एक चमत्कार
आयेव एक उडण खटोला ओको नाव
उड चलेव झोका लक चांदा को गावं
उड़न खटोला मा बसेव होतो कुमार
चांदनी चमचम चमकत होती वहान
आई कहीं जान नहीं दे मोला फिरण
मोला दुसरोच बनाय देव मज़ा करण
चांदा मामा ला बालक लगसेत साजरा
का बनाउ जल्दी सांग तू कासे माजरा
रंग बिरंगी चिमनी बनाऊ का तोला
नहीं मामा टुरू गुल्याल मारेत मोला
असो करो मामा सूर्य बनाय देव मोला
पर गर्मी ओकी पसंद नहाय कोनीला
तू मोला आब बादर को तुकड़ा बनाव
इतन उतन फिरूं मस्त मोरी मर्जीलक
पर मामा जब बिजली चमके कड़कड़
भेव लगे मोला ठंडी हवा चले फरफर
नहीं नहीं मामा मोला तू बनावजो तारा
येत्तो वर्त्या नहीं मायबाप दिसन का मोरा
मुन मामा मोला बालकच रवन देजो
चल मोला धरती पर सोड़कन आवजो
✍️ सोनू भगत
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9. चंदामामा
चंदामामा प्यारों, राज दुलारो।
आवो अंगना आमरो, खेलबीन संग तुमरो।।
चंदामामा आकाश मा चमके।
बुलायो पर आयो चुपके ।।
माय न् पानी भरी टमान ठेईस।
माय न् तोला आंगन मा देखीस।।
माय न् मोला जवर बुलाईस ।
सांगीस, तोरो चंदामामा बुलावे।।
मोला पानी मा चंदामामा देखाईस।
हाथ धरस्यान लुकाछूपी खेलाईस।।
जय राजा भोज, जय गडकालिका माय ला नमन!
✍️ सी. एच. पटले गोपाल नगर नागपूर ।
मो. 7588748606
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10. चंदामामा
चंदामामा चंदामामा सोयेस का
टिमटिम चांलणीसंग रमेस का !!
बिचारूसु मायला तोरो बारा मां
कसू जाऊ घर तोरो उनारो मां !!
माय कसे बहुत दूर तोरो से घर
मोरो माय न बी नही सांगीस पर !
येतरो मोटो अबार चांलणी खास
तरी पुरावसेस धरती ला प्रकाश !!
सूर्य तोरो भाऊ कसेत पर बेगर
कबं भेजसेव तं नही लगं खबर !!
सुंदर तोरो रूप डिट लगन घाई
धरती सुंदर दिससे तोरी पुण्याई!!
तोरी ठंडी सावली उनारो मां झोप
गरमी तडाखा होय जासेती लोप !
मोरो चंदामामा आऊ तुमरो घर
खेलु चालणी संग मज्या भरपूर !
✍️रणदीप कंठीलाल बिसने
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11. चांदा मामा
चांदा मामा टीकी दे
गोड गोड लाडू दे
लहानसो सोनुलीला
सुंदर वालो पापा दे।।
मामा को वाडा आमरो
जादा मोठो नाहाय
घीव रोटी यहा नाहाय
कळीकांजी खायले।।१।।
राती आंगन मा सोयेवपरा
शीतल,थंडी छाया दे
अजी अना माय ला मोरो
सुख अना समाधान दे।।२।।
पुनवा को उजारो मा
बुडगी की खाट दीसन दे
सकाळी सकाळी मासीइंधारोमा
सुकीर तारा आमला दिसन दे।।३।।
चांदा मामा सुंदर रूप तोरो
निर्मल तोरी काया दे
तान्हो मोरो छकुल्याला
राती तोला रोज देखन दे।।४।।
✍सौ.वर्षा रहांगडाले
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12 . चंदा मामा
अज गया गावो सब मिलकर एकच गाना,
लहान पन को साथी सबको चंदा मामा ll
टुरु पोटू भय गया सब जेका दीवाना,
सब बहिन को भाई चंदा मामा ll
शीतल ठंडी जेकी छाया,
स्वर्ग लोक मा जेकी माया ll
देसे सबला शीतलता की प्यारी माया,
चंदामामा टिकीं दे गाया बचपन मा गाना ll
माय बाप को कड्या बस कन लेया मज्या,
आजा आजी संग चंदा मामा की देख्या मज्या ll
पूर्णिमा की रात दिससे सबलक सुंदर,
सुंदरता समाय जासे चंदा मामा को अंदर ll
टिम टिम करसेती चालनी सुंदर,
सजाय देसेती धरती को आंगन सुंदर ll
बालक मनला जो सबदुन भाये,
वोको नांव चंदा मामा सब जग गाये ll
आवो आवो सब मिलकर गावो,
चंदा मामा को पोवारी मा मान बढावो ll
✍प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगांव ता.जि.गोंदिया
मो९६७३१७८४२४
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सहभागीकविकवयत्रियाें काे उत्तम काव्य रचना काे उपलक्ष्य मा हार्दिक अभिनंदन. पाेवारी मायबाेली ला भाषा काे दर्जा मिलाय देन की जिम्मेदारी नवी पीढ़ी पर से. येन् उद्देश्य मा तुम्हीं सफल हाेआें, असाे पूर्ण विश्वास से. जयहिन्द ! जय भारत ! वंदे मातरम् !! - प्राचार्य आे.सी.पटले इतिहासकार.
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