Friday, August 21, 2020

काजळतीज


      काजळतीज           

  तारीख - २२/०८/२०२०
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(चाल- आदमी मुशाफीर है )
गावुन गिरजाकी लिला -- उपास करीस नीर्जला।
करीस  भक्ती औन, ना शिव  पती भेटव ओला ॥धृ ॥
एकसौ  आठ नाव   मायका सेती।
कोणी कसेत उमा काली पारबती ॥
शैलपुञी गिरजाला -अजब माता तोरी लिला ॥१॥
बाप हिमालय तोरो मैना  माता ।
उनकं चरनमा ठेवून मोरो माथा ॥
भाद्रपद तृतीयाला - जन्म देईन पारबती ला ॥२॥
नारद आयेशानी कर गुणगान।
सब देवमा शिव से ऊ महान ॥
खुशी भयी गिरजाला -पती बनाऊन शिवभोला ॥३॥
कोणी कसेती शिव से मोठो भोळा।
ओक गरोमासे मोठी सरपकी माळा॥
समजावती गिरजाला - पती नोको करु शिवला॥४॥
शिवको  जप करण  बनमा  गई।
ओमको तप करीस तल्‌लीन भई ॥
सुध बुध नही ओला - धाव धाव  शिवभोला  ॥५॥
धन्य लीला तोरी से माय गीरजाई।
काजळतिजा करसेती आई ना बाई ॥
दरशन देजो उनला- यतरी बिनती माता तोला॥६॥
                           ॐॐॐॐॐ  
डी पी राहांगडाले
    गोंदिया

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काजळतीज

अच्छो वर भेटन् साती शिवजी की पूजा।
वोन् व्रत को नाव से काजळतीजा।

भाद्रपद शुक्ल तृतियाला आवसे येव व्रत।
हरतालिका बी कहलावसे येव व्रत।

पार्वती न् शिवजी ला करीस प्रसन्न।
कई साल तक नही ग्रहण करीस अन्न।

कुआरी कन्या अच्छ् पति साती करसेती व्रत।
सौभाग्यवती पति क् भलाई साती
करसेती व्रत।

दिवस-रात बिना अन्न पानी को व्रत मा से महत्व।
राती ला भजन अना जागरण को से व्रत मा महत्व।

शिवजी की पूजा साती पेरी जासे बुजली।
व्रत लका मनोकामना होसे मनकी पूरी।

                  ✍️ चिरंजीव बिसेन
                                   गोंदिया

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