Monday, August 17, 2020

असी पाहिजे टूरी D P Rahangdale 01


         असी पाहिजे टुरी
                         
               एक गावमा हरबा नावकॉ एक मजुर रवत होतो.ओक बायको को नाव हरका. ओला एक शिला नावकी    टुरी होती.  वा  दुसरी मा  शिकत  होती.वा 
मोठी हुशार होती.  हरबा  जवळ एक  शेरी ना ओका
 दुय पाठरू होता.
               एक    दिवस   शेरी  मोठांग क आंगनमा बांधशानी हरबा कामपर गये होतो.  हरका  सयपाक करत होती.सयपाक करता करता हरका  शिला  ला
 कसे,बेटी मी पाणीला जासु,तु सयपाक  कन ख्याल ठेवजो, एतरो सांगशान हरका पाणीला गयी.
             घळीभरमा शेरीको पाठरु ब्या ब्या बोंबलन लगेव,शिला मोठांग जायशान देखन बसी.ओला एक लांडगा आवतानी दिसेव.वा  घबरानी नही. वा रांधन 
खोलीमा गयी.ओन चुलोमाकी   एक जळती डुंडकी ( लकळी) आणीस ना लांडग्या क मंग धाई, ना जोर जोरलक आवाज देन बसी.
               लोक जमा भया,  आवाज आयकशानी
 ना शिला ला देखशानी लांडगा पराय   गयेव.अशी हिंमत देखायशानी शिलान आपलं शेरीको ना पाठरु 
को ज्यान बचाईस.लोकईन न  ओकी तारीफ करीन,
ना ओला शाबासकी देईन. 
दुसरं  दिवस स्कूल मा ओको गुरुजी ना सब टुराटुरी मिळशानी शिलाको सत्कार करीन.
सिख:-संकट काल मा घबराये नही पाहिजे, संकट को डटकर मुकाबला करे पाहिजे.

डी पी राहांगडाले
    गोंदिया

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