सकार की बात
रात को अंधारो गयो पर,
आवसे सुनहरी पहाट,
सकार को पाच बजे पासुन ,
होय जासे सुरु पक्षी की किलबिलाट।।
सकार को धंदा काम की,
रवसे मोठी घाईं,
शेन पुंजा करन लाईक,
कट नहीं करत कोई।।
भेली को चाय संग,
चाय मुरा खासेती,
बन्यार संग सब मिलके,
परा लगावन जासेती।।
दात घासता-घासता,
आवसेत मोठी गोष्टी,
मोला भी लगसे ,
पटलीन संग बसती।।
सकार भयो पर निकलसेत,
गयो दिन का किस्सा,
काहीं काहीं किस्सा की,
मोठीच आवसे हासा।।
कु. कल्याणी पटले
दिघोरी, नागपुर
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