Friday, August 7, 2020

पहाट y c choudhari 21


विषय-पहाट(सकाळ)
    पंचतत्व
(प्रकार -अभंगको)

सुर्य को प्रकाश,अंधारोको नाश।
लालीमा रंगकी ,तेजपुंज।।

निसर्ग देवता, पंचतत्व आता।
रूप ईश्वर का ,मानो खरा।।

धरतीकी गती,स्थिरता सुर्य की।
रात ना दिवस, होसेतीना।।

पुर्व ला सकाळी,सूर्योदयकी घड़ी।
किलबिल पक्षी,करसेती।।

सुष्टी या जागसे,कामला लगसे।
पशुपक्षी होसे, सुरवात।।

सकाळ की हवा,आयुर्वेद दवा।
निरोगी या काया,ठेवो आता।।

प्रभात प्रहरी, उठो गा श्रीहरी।
योग प्राणायाम, सबकरो।।

निरोगी या काया,बचावो ना माया।।
आचरन करो, स्वच्छताको।।

देखो पशु पक्षी,ऊठके सकारी
जीवन प्रवास, करसेती।।

निसर्ग कं संग, चलो आता सब 
निरोगी जीवन,होयतब।।

आठ बजेवरी ,खाटच से प्यारी।
रोगीट जीवन,होसे तब।।

बी पी ना सुगर, देखो जगभर
दवा मरत वरी  ,खात रहो।।

दिनचर्या बदलो.मंत्रसे  आपलो।
सुख जीवनको,उपभोगो।।

जय राजा भोज.जय माँ गड़काली
जय पोवार,जय पोवारी बोली।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया

No comments:

Post a Comment

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...