Friday, August 7, 2020

पहाट d p rahangdale 21


दिवस रातकी चार चार,आठ घळी रवसेती ।
रातक चौथ घळीला,पहाट(झुंझुरका)कसेती।। १।।

पयली घळी आय रोग,की दुसरी घळी या भोगकी।
तिसरी घळी चोर की,ना  चौथी घळी योग की।। २।।

चौध घळी मा जो जपत रहे,भगवान क नावला।
ब्रम्हमुहर्त यलाच कसेती,कमी नही भक्तीभावला।। ३।।

रात गयी पहाट भयी चंद्रमा भी निस्तेज भयेव।
कोंबळा न देईस बाग सबला कसे जगाय देयव।। ४।।

जुनं राजमा कोंबळा बोंबलं त पहाट भयी कवत।
सासु बोहु दरण दळत, चांगली गाणा भी गावत।। ५।।

पहाटलाच उठशानी गाईढोर काहाळकन सेन फेक।
सप्‌पाई काम करशानी मंग चाय की बाट देख।। ६।।

पर आता उलटोच भयेव गाई ढोर सप्‌पा गया।
मोठो आंगण सुनो भयेव पहाटभी बिसर गया।। ७।।

दिवस निघतावरी सोवसे नही ऊठनको ले नाव।
बिसर गया ब्रम्हमुहर्त,ना भगवान परको भाव।। ८।।

पहाटलाच उठो, योगा करो ना शुद्ध लेव हवा।
निरोगी रहे  काया, कभी नही लगनकी दवा।।९।।

डी पी राहांगडाले
   गोंदिया

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