Friday, August 7, 2020

पहाट mahendra patle 21


लगी पहाटकी झनकार 
कोंबडा आरायेवऽऽ आरायेव
मंदिर, मस्जित भया जागा 
पोंगा बोंबलेवऽऽ बोंबलेव||धृ||

उठो उठो ओऽऽ आयी मायी
चुलो ढिगावनकी करो घाई
देखो चाय खदरेवऽऽ खदरेव
पोंगा बोंबलेवऽऽ बोंबलेव||१||

झाडझडूला भया जागा 
जोडन बस्या मायाको धागा
पारीजात हतरेवऽऽ हतरेव
पोंगा बोंबलेवऽऽ बोंबलेव||२||

पाखरू निकल्या फेरीफर
बसेत हिरवो टेकरीपर
उजारो पसरेवऽऽ पसरेव
पोंगा बोंबलेवऽऽ बोंबलेव||३||

आयेव आता नवो दिवस
पुरा करो आपला नवस
जीवनचक्र समजेवऽऽ समजेव
पोंगा बोंबलेवऽऽ बोंबलेव||४||
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✍महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले(ऋतुराज), किडंगीपार
ता. ०२/०८/२०२०

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