गवळन
जरा धीरू मुरली बजाव कान्हा
कान्हा जरा धीरू मुरली बजाव ।। धृ।।
मधुर से तोरो मुरली की तान
मन मोरो डोलसे बिसरसे भान
राधा तोरी बुलावसे तू आव।।१।।
गाई बासरू जम्या तोरो संग
बनसरी लका भया वय दंग
भक्त बुलावसेत तू आव।।२।।
पेंद्या सुदामा तोरो संगमा
खेल खेलसेत गोकुल बनमा
काला खानला कृष्णा आव।।३।।
राधा रानी से प्रिया तोरी गोरी
रुक्मिणी भई भार्या तोरी
मीरा को निर्मल भक्ति भाव।।४।।
निर्गुण निराकार रूप सुंदर
हातमा बासुरी तू चक्रधर
सदा सत्य स्वरूप देखाव।।५।।
- सोनू भगत
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