गवळण
यशोदा तोरो कान्हा न सप्पा लाज सोडीस
राधिका संग आब येन प्रीत जोडीस ।।धृ।।
मथुरा को गवळणी को डोई पर माठ
यमुना नदी को वय चढत होती घाट
येन मुरारी न घडाला मोठो छेद पाडीस
राधिका संग आब येन प्रीत जोडीस ।।1
जात होता पाणीला जमुना को तीर
हात मा को नवरचुडा देत होतो धीर
मंगलक आयकन येन बंगडी फोडीस
राधिका संग आब येन प्रीत जोडीस ।।2
सिकोपर होतो बाई दही, दुध, लोणी
पेंद्या, सुदामा संग खासेत चोर वानी
माया को जार येको बासुरी न टाकीस
राधिका संग आब येन प्रीत जोडीस।।3
जसोदा तोरो कृष्णा ला करुसू विनंती
सुसरो घर नहाय बाई ओती श्रीमंती
मुरारी न आमरी मोठी छेड काढीस
राधिका संग आब येन प्रीत जोडीस ।।4
सारो त्रिलोक से कृष्ण भक्ति मा लीन
गवळणी भयी आता मोहना मा तल्लीन
सुखी रवनको कान्हा दे आमला आशिस
सुखी रवनको कान्हा दे आमला आशिस ।।5
वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
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