Monday, August 17, 2020

सच्ची दोस्ती varsha patle rahanhdale 01



       सच्ची दोस्ती

सोनेखारी नावक गाव होतो।वहा सोनू अना मोनू नावका दुय टुरा होता।दुहीजन साजरा संगी .होता।गावमा उनको दोस्ती की सबलोक मिशाल देत होता।संगी पायजे त सोनू मोनू सारखा म्हणून।अर्धो पानमाको पान बाटके खात होता।सोनू घर अक्शा बनत त मोनू ला बूलावत होतो अना मोनू घर घुया को पानकी बळी बनत त सोनू ला बुलावत होतो।म्हणजे काही बी जुनुस वय दुय झन मिलबाटके खात होता।अना एकच सातरो मा जेवत होता।
   एक बार उनको गावमा थंडी को दिवसमा 'हिवाळी टुर्नामेंट' को आयोजन जिल्हा परिषद करलका करनोमा आयोव होतो।गावमा वोकी तयारी जोरसोरलका चलत होती।सोनू मोनू बी संग संगमा काम मा हात बटावत होता।सोनू ला अगर कोनी भलोबूरो कय दे त मोनू कावरोबावरो होय जात होतो।
   टुर्नामेंट साठी गावमा का जे मोठा घर सेत वहा बाहेर गावका खेलनेवाला विद्यार्थी आवनेवाला होता उनको रव्हन की व्यवस्था होणार होती.म्हणजे उनका कँप रव्हनेवाला होता।सोनू को घरमा बी जामखारी जिल्हा परिषद इस्कुल का विद्यार्थी की रव्हन की व्यवस्था भयी होती।
   गावको आखरपरा कबड्डी, खो-खोखो का मैदान आखनो चालू भयोव।आता पुरो सोनेखारी गाव टुर्नामेंट साठी सज्ज भय गयेव होतो।
    अना ऊ दिवस भी आयेव।टुर्नामेंट को पयलो दिवस दिप प्रज्वलित करके लेझीम, डबेल्स की रँली सहीत जोरदार उद्घाटन भयेव।टुर्नामेंट को कारण गावमा आखर परा दुकान बी लग्या होता।खाजो खजकुला,टीकली,फनी का दुकान लग्या होता।गावमा मंडई रहेव वानी लगत होतो।गावनगावका विद्यार्थी (खिलाडी) खेलनसाठी आया होता।अना खेरप्रेमी खेल का सामना देखन आया होता।सामना बडा बढिया रंगत होता।
   सोनू मोनू बी दिवसभर खेल देखनसाठी दिवसभर आखरपराच रव्हत होता।खेल का सामना भया म्हणजे येन वोन दुकानपरा खाजोखजकुला लेत अना खात।सोनू मोनू की उमर काही जास्त नोहोती।इतउतलका वय दस बारा सालका रहेत।सोनू मोनू कीत मस्त चांदीच होती।काही अभ्यास बी करनो पडत नोहोतो।दिवसभर मस्त मस्तीच मस्ती।
     टुर्नामेंट को दुसरो दिवस होतो ।वोन दिवस लेझीम को आयोजन रात्री करनोमा आयो होतो।मनमानी लोक जम्या होता।बडी गर्दी भय गयी होती।दुकान दार बी बहुत आया होता।एकदम सुंदर सजावट भयी होती आखरपर।सोनू मोनू न घडीभर लेझीम देखीन अना संत्रा बिकने वालो बुडगी माय जवळ गया।सोनू जवळ पैसा नोहोता पर मोनू जवळ एक रूप्या होतो वन एकच संत्रा लेईस अना दुयी झन बाटके खायीन।पर सोनू ला अनखी संत्रा खानकी इच्छा भयी होती पर पैसा नोहोता म्हणून उ चूपच रहेव।घडीभर मालका अनखी वय लेझीम देखन गया।सोनू को डोस्का मा काही तरी चलत होतो।मोनूला वन काही च सांगीस नही अना वापस सोनू संत्रा वालो बुडगी माय जवळ गयेव घडीभर उभो रहेव,भाव खबर लेईस अना बुडगी माय की नजर चुकायके दुय संत्रा चोरीस अना पराय गयेव।अना मंग सोनू मोनू जवळ जायके उभो रहेव।घडीभर मालका उगोमुगो संत्रा काहाळके खान बसेव।मोनू न सोनूला खबर लेईस की तोरो जवळ त पैसा नोहोता मंग ये संत्रा आया कहानलका।सोनू जरासो घबरायेव वानी बोलन बसेव।मोनूला जेव समजनो होतो उ समजेव अना सोनूको गालपरा वन जोरदार थापड देईस।अना सीदो लीजाईस वोको बाबूजीजवळ।मोनू सांगन बसेव की काकाजी सोनू न अज संत्रा की चोरी करीस म्हणून।
     सोनू की बोलती बंदच भय गयी होती।वोला आपलो करेव परा बहुत पछतावा भयेव होतो।
सोनू न कसम खाईस की आता ऊ कभीच चोरी नही करनको।


बोधःसच्चो मित्र की संगत खराब माणूस ला बी अच्छो बनावसे।गलती होयेव परा सच्चो मित्र मारनलाबी मंग पुढ नही देख।

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी (आमगांव)
जि.गोंदिया

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