Tuesday, September 1, 2020

पोवारी काव्यसंग्रहण विषय गणपती निरोप

 



पोवारी इतिहास साहित्य एंव उत्कर्ष द्वारा आयोजित राष्ट्रिय काव्यस्पर्धा, काव्यस्पर्धा क्र. 26, दि. 30/08/2020 रोज ईतवार

विषय : गणपती निरोप

क्रमांक

रचना

रचनाकार को नाव

1.        

गणपती निरोप

श्री डी पी राहांगडाले

2.        

नोको जाऊ बाप्पा

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

3.        

गणपती...... विसर्जन

श्री सी. एच. पटले

4.        

मोरो गणपति देवा

श्री ऋषि बिसेन

5.        

विघ्नविनायक

श्री वाय सी चौधरी

6.        

गणपती निरोप

श्री पालिकचंद बिसने

7.        

गणपती निरोप

सौ वंदना कटरे  "राम-कमल"

8.        

गणपती निरोप

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

9.        

गणपती निरोप

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर

10.    

गणपती निरोप

    सौ शारदा चौधरी

11.    

विदर्भ मा अष्टविनायक दर्शन'

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे

                      

                                     आयोजक                              परिक्षक

                                 श्री सोनू भगत                     डॉ.अनिल बोपचे

 

1.   गणपती निरोप (चाल - तेरे मेरे ओठोपे)

 

गणा गौरी को गणराया भक्त परा ठेव छाया

कहां जासेस सोळशानी तोळकर या माया ॥धृ ॥

 

दस दिवस पुजा  तोरी तनमन लक करेव।

पहेल करु पुजा तोरी असो नियमच धरेव॥

तोर भक्ती मा देवा सब आम्ही लीन भया।

कहां जासेस सोळशानी तोळकर या माया॥१॥

 

जब आयेस घर मोरं खुशी मावत  नोव्होती।

तोरच ध्यान मा कसा निकल गया दिनराती॥

मालुम नही पळेव ये दस दिवस कसा गया।

कहां जासेस सोळशानी तोळकर या माया॥२॥

 

सकाळ संध्याकाळ करू तोरीच आरती।

चढावु बेलफुल लगावत होतो उदबत्ती ॥

दुर्वा चढायशानी तोला नारेन भी चढाया।

कहां जासेस सोळशानी तोळकर या माया ॥३॥

 

मोदक को भोग तोला रोज रोज देयेव।

गुलाल अबीर बुका दही दुध चळायेव ॥

रातदीन सेवा  तोर  कृपा लक कर पाया।

कहां जासेस सोळशानी तोळकर या माया ॥४॥

 

करुसु बिनती तोला मोरं संकट मा धावजो।

पुळसाल मोर घर देवा लवकर तु आवजो॥

बाट देखबिन तोरीच पर आब निरास भया।

कहां जासेस सोळशानी तोळकर या माया ॥५॥

दुमाळी

गणपती बापा आबजाव- आब जाव

 पर पुळ साल लवकर आव।ॐॐॐ।

✍️डी पी राहांगडाले

   गोंदिया

 

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2.   गणपति निरोप

          🌷🌷🌷 नोको जाऊ बाप्पा 🌷🌷🌷

 

शिवगवरा को गवरी गणेशा बिनती मोरी तुमला

सुखकर्ता तू सोडकर नोकों जाऊ आमला।। ध्रु।।

 

पिता तोरो शंकर भोला पारवती तोरी माता

सबसे पहले तोला सुमरू तोरो चरणों माथा।।

वाहन तोरो मुसक लहानसो मारं फेरा जगला

सुखकर्ता तू सोडकर नोकों जाऊ आमला।।१।।

 

गौरीसुता तू चतुर्थिला अामरो घर आयेस

मोठो प्रेम लका घरमा विराजमान भयेस।।

मोदक तोला सेत अतिप्रिय रोज चढ़ाया तूमला

सुखकर्ता तू सोडकर नोकों जाऊ आमला।।२।।

 

फूल की माला बनाया निशिदिन कऱ्या अर्पण

मोदक लाडू को भोग लगाया दूधदहीको तर्पण।।

 

अबीर बुक्का बेलपाती दूर्वा आमी चढ़ाया तूमला

सुखकर्ता तू सोडकर नोकों जाऊ आमला।।३।।

 

रोज तोला नारेन चढ़ाया आरती तोरी गाया

भक्तिमा सब लिन भया तोड़ू नोकों या माया

भजन कीर्तन गुंजेव यहां शांति मिली मनला

सुखकर्ता तू सोडकर नोकों जाऊ आमला।।४।।

 

नोको जाऊ सोळकन गण गवराको  गणराया।

एन दस दिवसमा कसी लगायस तुन या माया।

विसर्जन कसो करु तोरो हुरहुर  मोरो मनला

सुखकर्ता तू सोडकर नोकों जाऊ आमला।।५।।

 

✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

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3.   गणपती निरोप

       (गणपती...... विसर्जन)

 

घर मा आयो गणपती, आंनद नहीं समायो।

टूरू पोटू मा मोठो उत्साह आरती मा रंग आयो।।

 

लहान सहान ईनला पूजा पाठ को ज्ञान उमज्यो।

श्रद्धा भक्ति भाव को  सबआंग गज्जर भयो।।

 

दश दिवस तलक सकारीअना रात्री पूजा नेम जप्यो।

धूप दिप चंदन हरदी कूंकू दूर्वा  चढायो।।

 

मोदक  लाडू   को  भोग   चढायो ।

विघ्न हर्ता गणपती सब विघ्न  हरजो।।

 

सबआंग काम काज मा होसे तोरी पहिले पूजा।

नम्र विनंती तोरो शिवाय नाहाय कोनी दूजा।।


येन जिनगी को महत्व आवनो जावनो।

सबआंग सांग्योस साजरो, भक्त मंडली ला से जपनो।।

 

दसवो दिवस मा से तोरो विसर्जन।

आता तोरो मंदिर होये सुनसान ।

 

पूजा-पाठ मा भुलचूक माफ करजो देवा।

सबआंग क् कोरोना महामारी को जाता जाता खात्मा करजो देवा।।

 

गणपती निरोप लेसे, स्लोगन बन्या।

गणपती बाप्पा मोरया. पुढच्या वर्षी लवकर या।।

 

एक दोन तीन चार गणपती की जय जयकार।

एक लाडू फूटला, गणपती बाप्पा उठला।।

 

जाता जाता मोरो कोटी कोटी तोला नमन देवा

सबला सबआंग सद्बुद्धि देजो देवा ।।


व्याकुल मन करे बारंबार प्रार्थना।

अगलो बरस जल्दी आवजो देवा।।

जय राजा भोज, जय गडकालिका माय ला नमन !

 

✍️सी. एच. पटले गोपाल नगर नागपूर ।

मो. 7588748606

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4.   मोरो गणपति देवा

 

आशीष  मिली से  तोला होवन को प्रथमपूज्य देवा !

नवी  शुरुवात  मा लेषेत तोरो नाम अय मोरो देवा !!

 

असो त हर पल करा सेजन याद तोरी गणपति देवा !

पर येनो दस दिवस मा होवसे विशेष पूजा मोरो देवा !!

 

गणेश चतुर्थी ला घर मा तोरो आगमन  होवसे देवा !

जीवन मा होवसे असो तरंग न उल्लास मोरो देवा  !!

 

टुरु पोटु ल सदा बड़ो प्रिय से आमरो गणेश  देवा !

येनो बरष भी कर  रही सेत वेय  पूजा मोरो  देवा !!

 

पार्थना करसु  मि  देय  समृद्धि  सबला मोरो  देवा ! 

पुरो धरा ला देय हरियाली न खुशहाली मोरो देवा !!

 

येनो बरष  मा फैली  सेय येव जानलेवा  कसो रोग !

मिटाय देय येला न कर खुशहाल सबला मोरो देवा !!

 

दश दिवस की सबकी  प्रार्थना ल सफल कर देवा !

हर पल होवसे तोरी अर्चना मोरो प्रभु गणपति देवा !!

 

येनो दिवसमा मूरतरूप मा तोला पासेजन मोरो देवा !

जावन को तोरो बेरा जवरसे आता मोरो गणेश देवा !!

 

पर आवनवाला बरषमा अखिन आवजोश मोरो देवा !

असी आश ला राखकर अखिन बाट देखु मोरो देवा !!

ऋषि बिसेन

नागपुर

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5.    गणपती निरोप

विघ्नविनायक

 

दस दिवस शिव तनयाला,

भज्या गैरी सुतला,

निरोप कसो देऊ गणराया//धु//

   

      भाद्रपदकी चतुर्थी सुंदर

    आनंद सबकसे अंदर

अनेक लिला रूप हे ,तोरा गणराया//१//

     

    बाल गोपाल सब आवती

    एक सुंर मा गावत आरती

मुसक वाहक मोरया कवती ,रोज गणराया//२//

    

       प्रभात होता फुल दुर्वा थाली

      सब होय जाती जसा माली

संग रंगकी सुंदर माला,सोभ गणराया//३//

 

 

      पेंडालमाकी नवी रोशनायी

     मनमा या सुंदर बस गयी

उदास सब होय विषर्जन,आता गणराया//४//

 

     मोदक की या मधुरता

      एक सालवरी रहे का आता

एक लाड़ु फुटेव बाप्पा ऊठेव,कसेत गणराया//५//

 

      गणपती बाप्पा मोरया जावो

      पुड़ सालं लवकर आलो

चरनमा विनती विघ्नविनायक,आता गणराया//६//

 

    संकटमा सब भक्त सेती

    कोरोनाको आघात सोससेती

येन विषाणू को संहार करोना, आता गणराया//७//

""जय राजा भोज जय माँ गड़काली""

✍️वाय सी चौधरी

गोंदिया

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6.   गणपती निरोप

 

भाद्रपदक् चतुर्थीला,                  

 स्थापना गणेशजी तोरी

मंगलमय घर तोरोकारण्

ज्ञानसंग से भक्ति मोरी।।

 

सापसुतरो से परिसर सारो

आरती भजनबि, मोहक से।

संगीतकि तु, प्रेरणा देसेस

पवित्रताकि, हवा बहसे।।

 

दसदिनलका् ,जास्वंद मोदक

सुगंध घरभर, फुलयकि

आबालवृद्धयला, प्रिय सेस तु

कुटुंबवत्सल, जय गजाननकि।।

 

टिलकजिन् देइस, उत्सवको रूप

स्वतंत्रतासाठी, भयि एकता

 

समाजिकरण ,तोरो कारण

समरसताकि, तु देवता।।

 

श्रवणशक्ती अना् लेखनशक्ति

मातृपितृभक्ति तोरी

सेजन आमी प्रेमी गुणका

 गुणलका भरदे झोली मोरी।।

 

साधिसुधीच भयि ,भक्ति तोरी

चुकभुल आमरी, माफ करो

पुढंक् साल्ं ,अच्छो सजायबिन

संस्कृतीप्रेम मनमा् भरो।।


    ✍️पालिकचंद बिसने सिंदीपार (लाखनी )

 

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7.   गणपती निरोप

 

घर को देवघर मा गणनायका

रोज करसेजन तोरी आराधना

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थीला होसे

घर न घर तोरी विशेष स्थापना ।।1

 

आगमन तोरो वसुंधरा पर होता

चराचर मा कसो बजेव मृदंग

हर मानव को हर एक कृती मा

जसो समाय गयेव रे श्री को रंग ।।2

 

शिव गवरा को तू सुंदर तनया

प्रथम पूजा को मान सुमिरन

चौसट कला को येव दान तोरो

मानव साती सुगंधीत उपवन ।।3

 

दस दिवस को तोरो उत्सव मा

सबला करेस भक्ती मा तल्लीन

 

जीवनभर कायम ठेवजो माया

कोनीला नको करजो श्रद्धाहीन ।।4

 

रोज चढायकन जास्वंदी को हार

करसेजन आरती न भजन पुजन

अबीर, बुक्का, गुल्याल, सेंदूर बी

आरती मा हर दिन सजावसेजन ।।5

 

बेलपत्र, दुर्वा लक नित्य करजन

तोरो साज न शृंगार दिव्य अनुपम

मोदक, लाडू न श्रीफल चढावा

मोरया ss तोरो सुख निरुपम ।।6

 

सुनो सुनो होये का देवा आता

सुंदर सजेव मोरो घर को चौरंग

अनंत चतुरदसी आवता आवन

जोरलक बाजा बजाये बजरंग ।।7

 

 

 

मोरया ss को मोठो आगाज मा

नहि रुकन की आसू की वा धार

पिलाय कन मानवता को अमृत

कर देजो तू सबको बेडा  पार ।।8

 

इडा, पीडा, बेमारी करजो नष्ट

या व्याकुल मन की से कामना

देसेजन तोला निरोप गणपती

स्वीकार कर तू मोरी एक प्रार्थना ।।9

✍️वंदना कटरे  "राम-कमल"

गोंदिया

३०/०८/२०२०

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8.   गणपति निरोप

 

जसो जसो जवर गणपति उत्सव लग्यव आवन,

गणपति बप्पा की मूर्ति लग्या सजवान ll

 

श्री गणेश चतुर्थी को पावन दिवस आयव,

गणपति बप्पा सजकन सबको घर आयव ll

 

भारत वर्ष मा उत्सव छायव,

 गणेशोत्सव आता आवय ll

 

जय गणेश जय आरती गायव,

दस दिवस देवा तोला माथा नमायव ll

 

मोदक लड्डू को भोग लगायव,

देवा तोला खूब मनायव ll

 

भक्ति भाव की महिमा गायव,

दस दिवस गणपति बप्पा संग बितायव ll

 

 बनाय के ठेवो प्रभु आपरी माया,

अर्पण करू मी प्रभु आपरी काया ll

 

सामाजिक एकता सदभावना जगाया,

पोवार समाज संस्कृति को मान बढ़ाया ll

 

अनंत चतुर्दशी विसर्जन को दिवस आवय,

विसर्जन करन देव लिजायव ll

 

गणपति बप्पा मोरया को नारा लगायव,

पुढको साल मा लवकर आवो खूब गायव ll

 

भजन मंडली कीर्तन खूब आयोजन भयव,

गणपति बप्पा की भाव भक्ति लक विसर्जन भयव ll

 

दस दिवस लग्या खूब भक्ति उत्सव सारखो,

विसर्जन को दिवस को बाद बाप्पा भयव पारखो ll

 

 

 

हे गणराया गवरी नंदन हे विघ्नहर्ता,

तुमी आव प्रभु सबको पालन करता ll

 

विघन विनायक हे सुख करता,

जगत का आव प्रभु पालन करता ll

 

✍️प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु. पो. दासगांव ता.जि.गोंदिया.

 मो९६७३१७८४२४                          

 

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9.   गणपती निरोप

 

आमर् घर्  खुशी मोठी

गणपती बाप्पा आयेव

रिध्दी सिद्धी संग होती,

संग मुषक धरकन आयेव।। १।।

 

भक्तीको माहोल बनेव

सबकी चिंता भयी दूर

दस दिवस खुशीलका

होतो भक्ती भाव को पुर।। २।।

 

दुर्वा बेलपाती आनकन

बनाया  दुर्वा की हार

लाल फुलमा जास्वंद की

बनावत होता बढीया हार।। ३।।

 

देवा आमरो तू लाडको

तोला प्रथम पुजा को मान

तोर् भक्ती मा मग्न रह्या

देवा कऱ्या तोरो ध्यान।। ४।।

 

दस दिवस साजरा रह्या

पहिले आरती मंग घास

संकट आमरा हर ले देवा

याच से देवा मोरी आस।। ५।।

 

निरोप देसु गा देवा तोला

नोको भुलुस बाप्पा मोला

सामने साल् खुशी आनजो

या आराधना करुसु तोला।। ६।।

या आराधना करूसु तोला

✍️डॉ. शेखराम परसराम येळेकर

नागपूर ३०/८/२०२०

 

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10.               गणपती निरोप

मोरय्या मोरय्या गणपती बाप्पा मोरय्या

पुढंसालं जल्दी आवजो प्रथमेश तू गणराया ll

 

दस दिन गजबज गयेव घर होतात तुमी संग

दिव्य ज्योती लका उजरी मोरो मन की पतंग

धुप-दीप-सुमन सुगंध लका हर्षित भई मन काया ll

 

तोरो कारण जिभपर होतो गोडवा मोदक-लाडू को

सकाळ-संध्या स्वर गुंजं उठं कंठ मा आरती को

कला-बुद्धी को दाता सदा ठेव आमरो पर छत्रछाया ll

 

तोरो दरस लक मीपण सरेव उजरेव मोरो जीवन

चरणधुल मस्तकपर सजी हरघडी करुसू चिंतन

तोरो सेवा मा रत आमी नवविधा भक्ती पाया ll

 

गौरीतनय अनंत चतुर्दशीला से बडी असह्य घडी

चुकभुल माफ कर आमरी बरसाव सुख कि झडी

नोको जावं सोडस्यार तुम्ही बाल-बच्चा की माया ll

 

हेरंब की सवारी निकली ढोल ताशा को गजरमा 

सुनो तोरो बिन लगे मोला चौरंग-घर-आंगण मा

निरोप देन को बेरा मोरा डोरा भरकर आया ll

                                            

✍️शारदा चौधरी

                                                 भंडारा

 

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11.              गणपती निरोप

      शिर्षक: 'विदर्भ मा अष्टविनायक दर्शन'

 

जवरका गणपती मनाऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ॥

विदर्भ मा फिरक्यारी आऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ॥१॥

 

पयलो गणपती गवराळा गाव

वरदविनायक साजसे नाव

राजा भोज की किर्ती गाऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ॥२॥

 

दूसरो गणपती जाऊ मी मेन्ढ़ा

भृशुंड को घुमटपर लहरासे झेंडा

उंदीर सवार ला नमाऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ ॥३॥

 

 

 

गणेशपट्ट उभो से पवनी मा

सर्वतोभद्र की पाच प्रतिमा

वैनगंगा दर्शन कर आऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ॥४॥

 

चवथो गणपती टेकडी पर साजे

बसावने वाला भोसले राजे

ठेसन लक पैदलच जाऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ॥५॥

 

अष्टदसभूज पाचवो गणपती

अनादि कालपासना बसाई मुर्ती

रामटेक मा दर्शन मी पाऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ॥६॥

 

सहावो गणपती गाव आदासा

सावनेर जवर से शमी विघ्नेशा

दक्षिणी पिंडीला नमाऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ॥७॥

 

कळंब को चिंतामणी भुई मा मंडं

बारा बरस मा भरे गणेशकुंड

मन की चिंता हर आऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ॥८॥

 

आठवो गणपती केळझर मा बसं

सिद्धीविनायक एकचक्रा गणेश

मनमा गणपती ला ध्याऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ॥९॥

 

कोरोना काल मा परवास नोको

खाचर लक अष्टविनायक देखो

मुलुख माच दर्शन पाऊँ

दुहुर मी कायला जाऊँ ॥१०॥

 

✍️डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे

उलवे, नवी मुंबई

                                                              मो. 9869993907, 9307718485

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