Tuesday, September 1, 2020

पोवारी लोक संस्कृति, कला, पूजापद्धति

 पोवारी लोक संस्कृति, कला, पूजापद्धति



              हम पोवारो की धार्मिक विरासत बहुत पुरानी है । सदियों पहले धारा नगरी से यहां आने के बाद भी हमने अपने सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखा है यह हमारे लिए बहुत ही गौरव की बात है । हम लोग पुरातन एवं सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग हैं । हम अपने घर में देवघर भी रखते हैं । पोवारो के घर में महादेव का बोवला भी होता है । हमारे समुदाय के लोग गांव के अंदर माता माई, बजरंगबली इनकी भी पूजा बड़ी श्रद्धा के साथ में करते हैं । हम पोवार लोग गांव में संध्या काल के समय बजरंगबली के मंदिर एवं माता माई के मंदीर में दीया लगाया करते थे मगर यह प्रथा अब धीरे-धीरे लुप्त होते जा रही है । इनके साथ में हमारे खेती-किसानी में अन्य देवता भी होते हैं जैसे नागदेव ,बाघदेव,पाटिल देव, काली माता ,खील्यामुठिया तथा स्थानिक मान्यताओं केनुसार अन्य देवताओं की भी पूजा अपने परंपरा के अनुसार करते हैं । हमारे समाज के द्वार पर यदि कोई मांगने वाला गुसाईं, पंडा, पांगुड, हरदास ,जोगी, फकीर ,साधु ,संत,आता है तो उनका बड़ा मान सम्मान और आदर सत्कार होता है । वह लोग खाली हाथ कभी वापस नहीं जाते। दान धर्म मे पोवार पंवार समाज हमेशा आगे रहा है ।

               हमारे समाज में कुछ कुरीतियां भी थी। धन-ढोर , संतान प्राप्ति, धन प्राप्ति ,भूत बाधा, इस तरह के विषयों पर हम लोग अंधश्रद्धा में लिप्त थे । मगर जैसे-जैसे हमारे समाज के कदम शिक्षा के और बढ़ते गए वैसे वैसे हमारा समाज इन कुरीतियों और अंधश्रद्धासे भी दूर होते गया । हमारा समाज वेसन नशा-पानी से हमेशा दूर रहा है । मगर वर्तमान के नई पीढ़ी में कुछ वेसन देखने को मिल रहे है यह बहुत चिंता की बात है । मगर हम सभी समाज के लोगों को इस चुनौतीका स्वीकार करते हुए समाज के नौजवानों को नई दिशा देने का काम करना पड़ेगा ।

              पोवार समाज के लोग धर्म-कर्म में  बहुत ही विश्वास रखने वाले लोग होते हैं । देश के अंदर जितने भी त्यौहार होते हैं सभी त्योहारों को बड़े धूमधाम से और उल्लास के साथ में मनाते हैं । हमारे समाज के लोग अपना क्षेत्र छोड़कर यदि दूसरे राज्यों में वास्तव्य कर रहे हैं तो उस राज्य की संस्कृति में विलीन होकर वहां के संस्कृति का सम्मान करते करते हुए वहां के मूल निवासियों के साथ मे अपनेपन का भाव रखते हुए वहां के संस्कृति में विलीन हो जाते हैं ।

        हमारे समाज के लोग बहुत ही भोले, सच्चे एवं स्पष्टवादी होते हैं । समाज में पुरुष बहुत धष्ट- पुष्ट एवं चौड़े माथे के होते हैं तथा स्त्री बहुत ही सुशोभित एवं सुंदर होती है । मानो भगवान ने खुद धरती पर उतर कर इनको तरासा हो। एसे हमारे समाज को गौरवपूर्ण संस्कृति के साथ में भगवान ने इस धरती पर दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है ।

             

           राजेश हरिकिशन बिसेन

               जवाहरनगर,भंडारा

              मो.न.9420865624

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