पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष द्वारा आयोजित निबंध अना पत्र लेखन स्पर्धा
क्रमांक |
रचना |
रचनाकार को
नाव |
1. |
कास्तकार मोरो बाप |
सौ छाया सुरेंद्र पारधी |
2. |
कास्तकार मोरो बाप |
श्री व्ही. बी. देशमुख |
3. |
कास्तकार मोरो बाप |
श्री शेषराव वासुदेव येळेकर |
4. |
कास्तकार मोरो बाप |
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे |
5. |
कास्तकार मोरो बाप |
श्री डी. पी. राहांगडाले |
6. |
कास्तकार मोरो बाप |
श्री गुलाब रमेश
बिसेन |
7. |
कोरोनाला पत्र |
श्री गुलाब रमेश
बिसेन |
8. |
कोरोना ला पत्र |
श्री चिरंजीव
बिसेन |
9. |
कोरोनाला पत्र |
सौ शारदा चौधरी |
10. |
कोरोनाला पत्र |
सौ.वर्षा पटले रहांगडाले |
11. |
कोरोनाला पत्र |
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी) |
आयोजक /परीक्षक
सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
1.कास्तकार मोरो बाप
*********************
कास्तकार से देश को आधार
बहावसे खून पसीना बेशुमार
धरती मा मोती लेसेत आकार
तबं सबका स्वप्न होसेत साकार
भारत येव कृषिप्रधान देश
से। कास्तकार येन जग को पोशिंदा से। ओको खून पसीना लका खेती मा अनाज का मोती पिकसेत।
रात दिन मेहनत करनेवालों येव कभी पुर,कभी
अवर्षण, त कभी आयतों अनाज खेतमा तयार होयेपरा पानी आवसे अना तोंडको
घास जासे।असो येव अामरो किसान भाई की हालत से।
आमी वैनगंगा का 36 कुल वाला पोवार, मालवा को पावन
धरती लक नगरधन आया । मराठा को सेना मा अलौकिक कामगीरी आमरो पूर्वज इन करीन,
तब येव वैनगंगा को जंगली भाग आमला भेटस्वरूप मिलेव। येन पावन धरतीला
आमरो पूर्वजइंन उपजाऊ बनाईंन। अना खेती करन बस्या।तब पासुन आमरो व्यवसायच खेती बन गयेव।
मोरा बाबूजी भी कास्तकार
सेती। आमरो पुरो घर उनको मेहनत पर चलसे। काळीमोळी को शरीर खेतमा राब राब कर मजबूत बनी
से। ओको पर घाम का मोती चमकसेत।मोरो बाबूजी को साधो बाणा, जुनोच पर चकाचक धोयेव पंच्या (धोती) लठ्ठा की बनियान
अना ओको पर कुर्ता, डोईपर पांढरी गांधी टोपी, पायमा चप्पल.कमर मा कारो करदुळा.
मोरा बाबूजी भाविक सेती. सकारी आंग धोवन को बेरा,,,,,
गंगा, यमुना सरस्वती,नर्मदा
कावेरी को मंत्र जाप करत आंग होसे. मंग तुरसीला पाणी,अना मंग
जेवण. सातरों जवर जरता निगरा ,ना मंग अग्निदेवला आहुती को बादच
पयलो घास खासेत.दिवस बुडता आरती को नियम नही चूकं उनको।
झुंझुरका पासून सब का
डोरा उंगासेत। तब पासुन मोरो बाबूजी को काम चालू होसे। बैलखाटया काहड़नो, सेनपुंजा,दूध दुवनो, अना मंग खेतं जानो। परा को दीनमा कोंटो मारनो, खार खंदनो,
पेंडी भरनो असो काम दिनभर करश्यान घरं आवसेत।खुद टूटी चप्पल वापरसेत,पर आमला नवी लेयकर देसेती । दिवारीला आमला नवा कपडा लेय देसेती खुद जुनो कपडा
पर दिवारी मनावसेत. खुद ज्यादा सिख्या पढ्या नहात पर आमला अच्छो शिक्षण देनसाती रकत
को पानी करसेत . वर्त्या लक कडक नारेन सरीखा पर मन खोबरा सारखो मिठो से.दर सालको नापिकी
लक, कर्ज लक दबेव मोरो बाबूजी,गंज मा दलाल
लोकइनको दलाली लक ठगाया गया ,करजा मा डूब्या, कभिच हार नहीं मानत.हमेशा जिनगी हासकर जगसेत. आमला हरदम सांगसेती,खुशी
सिरिफ पैसा माचं मिलसे असो नाहाय,खुशी त एकमेक संग रवणो मा मीलसे।
अज भी दुय कम सत्तर सालका मोरा बाबूजी ओतोच उमंग लक खुशी लक खेतको काम करसेत।
सरकारी कर्मचारी अठ्ठावन साल मा रिटायर होसे त पर मोरो काश्तकार बाप
की दिनचर्या नहीं बदल। वय कभिच रिटायर नहीं होत। दूय ओळी मोरो बाबूजी साती….
कास्तकार कास्तकार से मोरो बाप
मेहनत करं से नहीं देखं कोनीकी बाट।। ध्रु।।
सकारी उठकर बांधी पर जासे
खातकचरा पासून सब करसे
ओको मेहनतमा, मेहनतमा नहाय आट
मेहनत करसे नहीं देख कोनीकी बाट।।१।।
जय जवान जय किसान
✍सौ छाया सुरेंद्र पारधी
**********************
2. कास्तकार मोरो बाप
**********************
जय जवान जय किसान
कास्तकारी,कास्तकार को राजपाट आय, कास्तकारी एक शान आय।कास्तकार
को मतलब खेती करन वालो,किसान,किरसान।
हमारो देश
को प्रधानमंत्री माननीय स्वर्गीय श्री लालबहादुर शास्त्री जी न जय जवान जय किसान को
नारा देइ होतिस।जय जवान,देश कि रक्षा करन वाला उनकी जय हो,अना जय किसान, मतलब किसान कास्तकार की जय हो ,
काहे का कास्तकार लाअन्नदाता कसेति, त एको कारन
अन्नदाता देश का पालनहार आत।अन्नदाता,पालनहार होन को कारण कास्तकार
मोरो बाप सिरसक एक दम सही से,अना एको गर्व
बी से,एको कारण कास्तकार
मोरो बाप ला नतमस्तक होय के नमन करसु।
कास्तकार को जीवनव्यापन
बड़ो सरल से,अना कठिन बी से।सरल असो का सादा जीवन
उच्च विचार ला चरितार्थ करसे,पहनावा मा पच्या,बंडी, कुरथा, टोपी होती,पाय मा जूता, चप्पल कि कोनि दरकार नोहोती।कास्तकार एन
चकाचौंध भरी जिंदगी ल बहुत कोसो दूर होतो।
गाव मा
सुख सुविधा को सदा अभाव रही से।पढ़ाई लिखाई रहन सहन ,सहर को तुलना
मा बहुत मनघ से।कास्तकार फेर बी सन्तुष्ट रव्हसे।कठिन असो का खेती मा रात दिन खेती
को काम करनो पड़ से,का दिन अना रात।खेती मा पसीना निकाल मेहनत
करनो पर फसल होसे।भरी गर्मी अना बरसात मा खेती मा काम करनो पड़ से,घाम लक मुखड़ा कारो पड़ जासे, साल सम्या सङ्ग देसे त खेती
होसे।
आधुनिक रसायनिक खात की
खेती न जमीन की उपजाऊ छमता पर असर करी सेस,खेती
मशीनीकरण ल होय रही से,एको कारण बेरोजगारी बी होय रही से।कास्तकार
कि किरसानी साल सम्या पर निर्भर कर से।गाव का किरसान भाई खेती सोड़ावन लगिन।गाव का नवजवान
सहर कन जाय रही सेती।
कास्तकार ला भूमसार जल्दी
उठनो पडसे,जल्दी उठकर कोठा का ढोर बाहेर हेड़कर
आंगन मा बाँधनो पड़ से,उनला चारो पानी देनो पड़ से,ढोर उनकी खुरारा लक मालिस बी करनो पड़ से,बरसात को दिन
मो मोहू को चोभरा देसेत, एव बरसात को दिन मा ढोर उनला बेमारी
लक बचावन लाई कर सेती,असि कास्तकार कि दिनचर्या होसे।
कास्तकार ला भूमसार च
शौच लाई गाव को बाहेर जानो पड़ से,असो एक पन्थ दूय
काज को काम बी होय जासे।सकारी च आपलो खेती को देखनो बी होय जासे, एक हानो से, जागे सो भोगे अना सोए सो खोए, त जगतो कि खेती आय,खेती को काम मा रात बिकार अँधारो मा बी खेत मा जानो पड़ से,त कास्तकार ला आपली सुरक्षा लाई,नांगदेव,बागदेव,अना दयतीन कि मानता करनो पड़त होतो,काहेका बागदेव ल जंगली जानवर ल सुरक्षा,नांगदेव ल सरप,किंटूर ल सुरक्षा, अना दयतीन लक भूत पिरित लक सुरक्षा
लाई नारेल चढ़ाय कर मानता करनो पड़त होतो।कास्तकार ला असो मेहनत को काम करनो पड़ से,पसीना निकलेव बगर खेती को कामच नहीं होय।खेती को फसल मा,धान,चना, उडद, अरसी, तीर, तोर, लाखोरी, सरसो, मूंग, ज्वार, मसूर, बाजरा, मक्का, जौ, आम, जाम,की खेती होत होती। अता गहुँ कि खेती बी होसे।
कास्तकार
घर खान पिवन की कमी नही होत होती।धान मा चिनूर, कालिकम्मो,
शँखजीरा, लुच्चई, रैबुट्टा,
परमल, गाँजाकली, लुडका,
टेडीबाढ़, परसोड़, कि खेती
करत होतीन। हलको धान अना बजनी धान कि खेती करनो पड़त होतो।अता ये नवा नवा धान आवनो लक
बेमारी बी आई।अता दवा को दम पर खेती होसे। मेहनत को काम करनो लक कास्तकारी मा काम करने
वाला तन्दरुस्त होसेति। एक कहावत होती -
उत्तम खेती,मध्यम रोजगार।
बिकट चाकरी,भिक नदान।
एक टाइम होतो या
कहावत होती,अना कहावत एकदम सही होती,हट का चाकरी करनो से,कायला चाकरी करजोस बेटा कव्हत होतीन।हमारी
एतरी कास्तकारी से,समय मा बदलाव आएव,अता
कसेति बेटा कास्तकारी मा का धरिसे, जाय पड़ लिख लेइ सेस काही सर्विस
कर।
पशुपालन बी कास्तकारी
को एक हिस्सा आय।पहले कास्तकार घर दूध कि कमी नोहोती,दूध की गंगा बोहोत होती।गाव सही मा पहले गोकुल समान
च होतीन,गाव को हर घर मा
दूध कि कमी नोहोती।पोवारी मा एक आशीर्वाद कि कहावत होती,,,,,,,तोरो घर गोकुल नांद,,,,,,,,,, सही मा सब घर गोकुल नाँदत
होतो। एक आव्हान से कास्तकारी ला नोको शोड़ो भाऊ,समय फेर वापिस
आय रही से,
उत्तम खेती जरूर होए।जसो
हामी पोवार हुनकी पोवारी बोली,भासा कि शान अना
गौरवशाली संस्क्रति से,हामी पोवार आजन एला, अना हमारी पोवारी बोली लक हमारी पहचान से ,तसोच हामी
कास्तकार का बेटा आजन,हामी कास्तकार आजन, कास्तकार ,अन्नदाता,पालनहार, कास्तकार मोरो बाप,जिंदाबाद,,,,,
✍व्ही, बी, देशमुख
रायपुर।
*********************
3. कास्तकार मोरो बाप
************************
भारत को खरो दर्शन गांव/खेड़ा
मां होसे। हर खेड़ा गांव को कणा खेती आय। म्हणून कवन ला हरकत नहाय की कास्तकार
भारत देश को आत्मा आय।
कास्तकार मोरो बाप,पाच एकर किसानी को मालिक होतो।वू खुदको मरजी को मालिक
रयकन भी लाचार होतो। कायकी परिस्थिति या कभीच किसानी लायक नव्हती,अणा तसी राजकीय मंसा सुद्धा तयार नवती। मी अणा मोरी दुय बहीण इनकी जिम्मेदारी
अणा आई की बिमारी येतरो गाड़ो ओढण लायक किसानी मा लका उपज प्राप्त होत नवती। आमरो शिक्षण
अना घर खर्चा चलावन साती, पशुपालन,भाडालका
नांगर,हमाली साती बैल बंडी लिजावनो असा बहूत काम वय करत होता।
शिक्षीत लोक कसेत अडाणी
किसान रहे कारण वोकी प्रगती नहीं होय रही से म्हणून शिक्या पड्या (जिनला किसानी को
अ,ब,क बरोबर माहित नहाय ) इनकी समिति
बनायकन सरकारन् धवल क्रांति आणीस। आपलो गाय को दुध बडावनं सोडकन जर्शी अना एच एफ की
नयी नसल आपलो देश मा आणीन। सरकारी अधिकारी को मार्गदर्शन मा जब या गाय आमरं घरं आयीत्
पूरो परिवार को हफ्ताको खाना इनला एक दिवस मा लगत होतो गाय की खिलाई अना सेवामां मोरो
बाप की कमर मोडी,अना अचानक आयी बिमारी मा जब गाय मरी तब एक एकर
किसानी धवल क्रांति मां कुर्बान भयी।
तसीच सरकार की दुसरी क्रांति
हरीत क्रांति पहले त् युरीया सबला फुकट भेटेव ओको संग धान की बाड़ भयी,मंग किसान ला असंख्य फर्टीलाइजर खात की आदत भयी। घर
को गोबर कि किंमत कम भयी।आता खरीप की फसल बड गयी,पर रब्बी को
फसल मां गिरावट तेजी लका आवनो चालू भयोव, धिरे धिरे जमीन को कस
कम होयकन नापिक, शापित जमीन मा तब्दील होनो चालू भयोव। बादमां बहूत सारी बिमारी अना अति बाड लका फसल जमीन
दोस्त होनला मदत भयी।यन हरित क्रांतिन् मोरो बाप ला मालक पेक्षा नौकर बरो यों सबक सिखाईस
अना मोरो बापन् मोला कंपनी मा भेजकन एक उच्च शिक्षीत रोजंदार नौकर बनाईस।
समय को दृष्ट चक्र मा अज
मी अना मोरो बाप आनंद लका जीवन व्यापन कर रया सेजन कारण तकरार अना टकरार ला याहान जागा
नहाय। आज मोरो देश मा लोकशाही मा राजशाही अना राजशाही मा स्वार्थशाही ठुसठुसकन भरी
से,तरी पण मोला गर्व से का किडा मकोडा होन पेक्षा मी एक
मानव सेव अना उत्क्रांती यव मोरो अविभाज्य स्वभाव से।योको आधार पर मोरो बाप खुदला जग
को पोशिंदा कसे अना रोज की रोटी कमावता कमावता बाप को पोटकन देखकर मोला बिचार आवसे
कारणका मी भी संवेदनशील बिचार करनो वालो प्राणी आव.
✍शेषराव वासुदेव येळेकर
सिंदीपार, दि 23/09/20
****************************
4. कास्तकार मोरो बाप
************************
कास्तकार मनजे किसान जो अन्न उपजाव्ं से वू दुनियाको पोशिंदा. अना बाप
मनजे अजी जेको स्थान सबमा उपर से. मनून तं एखादो बातला वरचढ सांगनो अथवा वोकी महानता
सांगनो से तं कसेत, 'अमुक बात मा अमुक वोको
बी बाप से' 'मान जाय रे मोरो बाप' वगेरे
वगेरे. पोवारी मा बापला अजी कसेत. पोवारइनको परंपरागत व्यवसाय मनजे कास्तकारी.
मोरो अजी को नाव रघुनाथ हरिणखेडे. वय बी एक कास्तकार होता. पोर को सालं
मई महिनामा उमर को ८२ वो सालमा सायकल चलावता चलावता उनको अपघाती निधन भयेव. तात्पर्य, यनं उमर मा बी अजी दमखम लक खेती काम, घरकाम, बाळकाम, जोळधंदा अना हाडवैद्य
मनून काम करत होता. उनको साधारण मध्यम बांधा को शरीर एकदम चमकदार होतो कारण कष्ट करनको
साथ साथ उनको खानपान मा, विश्रांती मा, काम मा वक्तशीरपणा यव महत्वपूर्ण गुणधर्म.
संपुर्ण परिवार की नैतिक जिम्मेदारी को महामेरू मोरा अजी. परिवार अना
पूरो रिश्तेदारी मा सब उनला नहान भाऊ कावत होता कारन वय तीन भाई इन मा दूसरो नंबर का.
अजी की एक आदत होती वा मनजे पान खान की. उनकी पेवली हमेशा सपरी को कोंटो परकी खुटीला
टंगी रवं. उनकी या पेवली अख्खो गाव, रिश्तेदारी
अना उनला पयचाननेवालो मा फेमस होती. आमला खोकला आवनोपर वय एक नहानसो पां बनाय देत.
कोणीबी आयेव का वोला पान खानला भेटं.
अजी दस सालका होता तबंच मोरा दादाजी चल बस्या. उनकी थोडीसी जमीनलाच
उननं आपलो मायबाप समजीन अना आपला पाचा भाई बहिण को संभाकाळ करीन. खुबच बिकट परिस्थिती
मा आपलो नहान भाइला मास्तर बनाइन. खुद ककडी, कच्ची
भेंडी वगेरे खायक्यानी एक संज को गुजारा करनेवाला अजी की परिस्थिती धिरू धिरू सुधरत
गयी. सबको बियाबार भयेव. नवीन खेती खरिद के किसानी बढाइन अना गाव का मोठा कास्तकार
बन्या. वोला जोड़धंदा मनून गायी भसी पालकन दुध को धंदा बी करीन.
वरथमी होनोको कारन खेती मा बहुत गन सुकाच पडं तं कभी कभी अतिवृष्टी
लक नुकसान होय. हर परिस्थितीमा लक काई ना काई सिकनेवाला मोरा अनपढ अजीला रात्रीको प्रौढ़शिक्षण
मा जान की लालसा भई अना वहां उनंन लिखनो पढ़नो सिकिन. आपलो हयात मा वय एक चांगला कलाकार
मनून उभ-या. वोनं जमानोका परसिद्ध द्रामा, डंढ्यार
मा भाग लेनो, गाना भजन लिखनो, गावनो अना
एक अच्छा ढोलकी वादक मनून बी परसिद्ध भया.
झुंझुरका उठके ढोरबासरूको करनो, दुध
दुवनो, बिकनो अना दिवसभर खेतिको काम करके रात्री कार्यक्रम मा
भाग लेनो यव उनको नित्यक्रम. तरीबी अजिला आमीनं उंदो को बाद को जप-या चेहरामा कभी नही
देख्या, हमेशा ताजातवाना.
अजीकी कष्टाळू वृत्ती, मेहनती
शरीर अना गंभीर स्वभाव आमरोसाठी एक जितिजागती खुली किताब. उनको चेहरा जेतरो ताजोतवानो
होतो ओको मान लक उनकी हतोरी वोतरीच गोरी पर खरबूसी होती कारण खेती का काम करके हात
शारीरिक मजबुती की झलक देखावत होती.
परा को दिनमा दिवस बूळता खेतलक आयके अजी गली पर उसंत लेनला बसत. उनला
देखके गावका दस बारा जन मांदी बसत अना दिवसभर की बात करत. आमी सब टुरूपोटू मिलके ओली
बारू मा लकडी का नांगर खेलजन. उनकी मांदी देखके सब जन आपापलो अजी को टांगपर ठेया हात
को खाल्या पोटमा धसके बसत होता अना मोटर चलावनो खेलत होता. बापला बी एकोमा सुख मिलं.
आमी उनकी बात्ं आयकजन, 'अज खार कम पडी',
' पानी नही पुरेव', 'चहू मुळ गयेव' वगेरे वगेरे. सबका जवाब अना ऊपाय अजी जवर. अर्धो पऊन तास मा मायको,
"अवं, आंग धोवो ना तंsss, पानी तपी से, नही तं ठंडी होय जाये" यव वाक्य या
मांदी बर्खास्त कर देत होतो.
पांढरो पच्या, सुती बंडी,
एक वाव भर गमचा अना पांढरी टोपी असो रुबाबदार पेहराव का शौकिन मोरो कास्तकार
अजी मा एक अद्भूत कला होती, जमीन मा पानी को स्त्रोत ढुंढण की.
शेकडो बोरवेल अना बिहिरी इनको अंदाज पर लकाच खोदी गयी होती. दूसरो मनजे भविष्य जाननो.
समाजो एखादो को खेतमा पानी नाहाय तं वोला सांगत 'अमुक दिन अमुक
बेरा तोरो खेत मा पानी होये चिखल कर लेजो'. तिसरी बात मनजे आडमि
होय नही तं जनावर, उनकी हड्डी जोडन की कला अना आयुर्वेदीक खुद
की बनाई दवा कई रोग पर तंतोतंत लगत होती. गाव मा लवाद मा का मान्या हुआ पंचहोता. असो
दूसरो कास्तकार ला बी मदद करके सामाजिक बांधिलकी की प्रचिती वय देत होता.
उनकी ईमानदारी, परिश्रम,
गंभीर स्वभाव संघर्षशील, मदद, जबाबदारी अना संयम असा गुण आमरो साठी आमरो जीवनका शिक्षकवृंद दून कम नोहोता.
मोरो कास्तकार अजी मनजे संयम को डोंगर. खेती, धंदा मा भयो नुकसान
मा बी संयम ठेवनो उनकी फितरतच होती. असो मोरो अजी कृषीप्रधान भारत को एक सच्चो अना
जन्मत:च कास्तकार होतो. उनको बारा मा दुय ओळी मोला याद आय गयी
हर बात को हल की जेको जवर रवं पुळकी
॥
असो कास्तकार मोरो बाप संयम की हुळकी
॥॥
आयकी सिकी बात अच्छो लक तब मोला समजी
॥
जबं आपली याद अना चोला ठेयके गया अजी
॥॥
✍प्रा. डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)
उलवे, नवी मुंबई
मो. 9869993907
***********************************
5.कास्तकार मोरो बाप
*********************
जो खेती बारी करशांन अनाज पकावसे ओला कास्तकार
कसेती. ज़सो कुटुंब क पालन पोषण की
जबाबदारी बाप पर रव्हसे तशीच जबाब दारी सार दुनिया को पोट भरनसाठी अनाज पकावन की जबाबदारी
कास्तकार पर से म्हणून आमरो खरो पोशिंदा मनजे कास्तकार बाप आय. भारत कृषी प्रधान देश से,भारतमा जवळ पास सत्तर टक्का लोक कास्त- कारी करसेती,
खेती नही पुरायलका एव प्रमाण कमी भयेव. कास्तकारी पराच सबकाही अवलंबून
रहे लका जय जवान जय किसान को नारा प्रचलित भयीं से.
कास्तकारी जमीन
का अलग अलग रुप रव्हसेती. ज़सो भुमीस्वामी,भुमीधारी,कूळ अशी जमीन रव्हसे.ओकमा
काही सुपिक ना काही नापीक त काही खळकाळ ना काही मुरमाळअशी जमीन रव्हसे. तसोच वलीत ना
बिनओलीत, एक फसली,दुय फसली अशी जमीन रव्हसे.कास्तकार जमीनको लगान(शेत सारा ) भी
देसे.
काही खेतीला तलाव, बोळी त काहीला नहर क पाणी लका ओलीत होसे,काही कास्तकार न खेतमा बोरवेल ना काहीन शेत तळी बनायशानी खेतीला ओलीत करसेती.
काही जमीन भगवान भरोसे मनजे वरथेंबी रव्हसे.खरीप
मा आपल ईतन धान लगाव सेती रब्बी मा धान,गहू,पोपट,चणा अशी फसल लेसेती.
कास्तकार रातदिवस
खेतीमा राबसे. कास्त -कारी मनजे एक जुवा सारखोच होसे. कास्तकार खेती करनसाठी पयले आपल
पदर को पैसा खर्च कर से नहीत बेरापर बँक नहीत
सावकार जवळको कर्ज लेकर खेती बारी लगावसे.
ओकसाती खुप मेहनत करनो पळसे. ओला पानी,खात,देनो,दवाई मारनो.
बेरा परा काटनी चुरनी करनो खुपच मेहनती काम से. तरीभी कास्तकार न हार
नही मानीस. आनखीनच ज़ोसलका ना हिंमत लका ज़ास्तीच जास्त फसल लेनसात प्रयत्न करीस.
आमदानी दुन खर्चा जास्त रहेलका
खेती करनला देखत नही, पर आता सरकारन किसान
साठी बँक कर् बँक कर्जा ना सबसीडी परा कीसानी का अवजार ना कीसान्ला प्रोत्साहन मदत
देय रहि से. पहले कास्तकार न पकाएव फसलको भाव भी ओला तय करता आवत नोहोतो. पर आब आब
सरकार न खुलो बजार करीसेस. कास्तकार आपलो माल मंडीमा,सोसायटीमा
नहीत खुल बजार मा बिक सकसे.एक ना एक दिवस मोरो
कास्तकार बाप स्वंय निर्भर होए ना सार भारत उदर भरण की गरज पुरी करे ना कास्तकार की
भरभराटी लक उन्नती होए असो बीश्वास से.
✍डी. पी. राहांगडाले
गोंदिया
*******************
6. कास्तकार मोरो बाप
*******************
बाप मोरो कास्तकार
सार् दुनियाको पोशिंदा
वोक् कपारपरा लिखेव
दिवस रात् कामधंदा
इन्सानकी पोटकी भूक मिटावनला
अनाजकी जरूरत पळसे. वू अनाज मेहनतलक पिकावनको काम कास्तकार करसे. मुहुनच कास्तकार ला
दुनियाको पोशिंदा कहे जासे. मोरो जनम असोच एक कास्तकारक् घरमा भयेव. तसो इन्सानन् कोणत्
घरमा जनम लेये पायजे. येव वोक् हातमा नही रव्. बचपनमा आमर् बाबुजी अना अजी खेतमा रातदिन
ढोरसारखा राबता देख , आपलो नशीबमा असोच ढोरसारखो
राबनो से , असो सोचस्यान
मनला दुख होय.
पर मोला थोळी समज आई अना इन्सानक् जिवनमा कास्तकारको रोल का से येव
समझमा आयेव. अना मोरो मनको दुख कहींको कहीं पराय गयेव. बाबुजीको कास्तकारीमा राबनो
, घाम फुटतवरी काम करनो येव जेतरो जिवणसाती जरूरी से.
वोतरोच देश उभारणसातीबी महत्वपूर्णु से. मोरो बाबुजी कामपुरतो कागज शिकेव माणूस. उनको
जनमच कास्तकारीसाती भयीसे येन् बिचारलकच वय कास्तकारीमा राबंसेती.
बाबुजी जसा खेतीमा राबस्यान अनाज पिकावसेत , तसोच वय आपल् काममालक मोला सदैव प्रेरणाबी देसेत. अज
कोरोनाक् येन् माहामारीक् समयमा लोकयीनका धंदा डुब्या , नौकरी
गयी , कामधंदा बंद पळेव. येन् सदमालक काहीन मरण जवर करीन. पर
मोरो कास्तकार बाबुजीन् आकाशमा बादर दिसनला लगेपर कास्तकारीको खरपळा करीस. एक पाणी
पळेपर कास्तकारीको चिराटा करीस अना बीज पेरीस. वोला कोणीनच पानी पळनकी कोणतीच गॅरंटी
नोहती देयीस ना अजबी अनाज पिकनकी कोणी गॅरंटी नही दे. पर मोरो बाबुजीसारको आशावादी
इन्सान येन् धरतीपरच पैदा नही भयीसे असो मोला लगसे.
मोर् हिसाबलक येन् धरतीपरको सबमा आशावादी इन्सान रहेत् वू कास्तकार.
(मोरो बाप) येन् मोर् बापला केतरोबी समझावो पर वू कोणकीच नही मान्. कबी कबी मड्डाबी
कापसे. कबीकबी धानला करपाबी खासे. पर येव बाप नावको पठ्ठा हर साल् कर्ज हेळस्यान कास्तकारीमा
अनाज पिकावनको सपना देखस्यान जुव्वा खेलसे.
मी बचपनपासून मोर् बाबुजी संग् कास्तकारीमा राबुसु. येन् बापन् मोला
जीवनमा परिस्थिती केतरीबी कठिण आयी पर डगमगायस्यान हाय खानको नही. येको धडा आपल् आचरणलक
सिकावनको काम करीस. घरक् गायी भसीनको शेण खेतीमा फेकनोपासूनत् चुरनोमा मोळा हेळनोपासून
नांगरलक चिखल करनोवरी काममा येतरी मेहनत करनको संस्कार येनच बाप नावक् विद्यापीठन्
देयीस. मुहुन मोला अज कोणतोच कामकी लाज नही लग्. असो कास्तकार नावको बापक् घरमा मोला
जनम मिलेव येको मोला अभिमान से.
✍गुलाब रमेश बिसेन ,
मु. सितेपार , ता.
तिरोडा , जि. गोंदिया ४४१९११
मो. नं. 9404235191
**********************************************
7. कोरोनाला पत्र
********************
गुलाब बिसेन ,
सितेपार , ता. तिरोडा ,
जि. गोंदिया ४४१९११
दि. १७/०९/२०२०
कोरोना भाऊ ,
तोला
रामराम
भाऊ , तोला आमर् देशमा आयस्यान
आता आठ मयना पूरा भया. तु जबवरी चायनामा होतोस तबवरी आमी बिनधास्त होता. मंग धिरूधिरू
तु आमर् देशमा आयगयेस. पयलेत् तु महानगरमा रूकेस. तब् तोला गावखेळामा गमनको नही असोच
आमला लग्. पर जसा दिन बितता गया , तसो तोला आमरो देश भावन बसेव.
तु शहरमालक खेळामा आवन बसेस.
तोला रोखनसाती सरकारन् लाॅकडावून लगायीस. येन् बेरा लाखो लोक आपल् घरकी
धाव लेन बस्या. जेव मिले वोन् साधनलक गावको रस्ता धरस्यान धावन बस्या. महानगरयीनमा
लोक घरक् घरमा बंद भया. पर तरी तु आपलो पाय पसरतच रहेस. आतात् डाक्टर , नर्स , शिक्षक , सफाई कामगार सब जनताच तोला तरास गया सेत. पर तु आमरो देशको नावच नही लेय रहीसेस.
पर एक आयकले कान खोलस्यान. आमी भारतवासी आज्. ज्याहान हात टाकबीन वहानलक
तोरो सुफळा साफ कर देबीन. देशपर जसा शिपाई तैनात सेती , तसो हर माणूस "कोरोना योद्धा" होयस्यान अज
तोरसंग् युद्ध पुकारस्यान लढ रयीसे. तोला लगत रहे , का हे भारवासी
तोरो काही नही बिगळावनका. पर असो भ्रममा तु रही नोको. तोरी उलटी गिनती सुरू भय गयीसे.
आमी सबन् कंबर कस लेया सेज्. आमी सब सरकारक् देयेव सूचनाको पालन करबी.
घरक् बाहेर जानक् बेरा मास्क लगावबी. बार बार साबूनलक हात धोवबीन. एक दुसरोमा फिजिकल
डिस्टंस ठेवबीन. दुय रोज एक दुसरोसंग् नही मिलबी. पर तोला याहानलका रवाना करबीन. तु
कानखौलस्यान आयेकले आता. आमर् सहनशीलताको अंत देखू नोको. नहीत् तोर् बापलाबी धूल चटावबी.
अगर तोला सुखोसुवारो रवनको रहेत् आबक् आब् आमरा गाव खेळा , महानगर , गली मोहल्लामालक निकल
जाय. आमी कोरोनायोद्धा तोला सिमापार करेबगर हार नही माननका. या बात तोर् दिमागमा बसायले.
जेतरो जल्दी तोला बोर्याबिस्तर गुंडता आये , वोतरो जल्दी निकलजाय दुश्मनकी औलाद.
✍तोरोच हितचिंतक
गुलाब बिसेन
****************************
8. कोरोना ला पत्र
**************************
कोरोना ला जग माल्
आपलो डेरा जल्दी उठावन साती आदेश.
कोरोना,
तुन् गयेव सय सात
महिना मा सब लोकईन ला बहुत परेशान करी सेस. लोक परेशान सेती. सरकार परेशान से. डॉक्टर, वैज्ञानिक सब परेशान सेती. हर जागा तोरीच चर्चा से.
तून् अजवोरी पूर् जग क् लोकईनला परेशान करी सेस. सही मा २०२० को तूच असली खलनायक सेस.
तरी तू आपली खलनायकी
सोड ना तुरंत पृथ्वी परल् बिदा होय जाय. तसो तोरो नाव कारो इतिहास मा दर्ज भय भयी से.
लोक परेशान होयस्यार तोला रोज गारी देसेत. तरी लोकईन ला परेशान करनो बंद करस्यार जल्दी
ल् आपलो बिस्तर गुंडस्यार यहॉल् गायब होय जाय. जेतरा ज्यादा दिवस रव्हजो वोतरो बदनाम
होजो, या बात ध्यान मा ठेव ना पृथ्वी परल् गायब होय जाय.
- सब त्रस्त पृथ्वीवासी
पत्ता
कोविड१९, कोरोना
जहॉ सेस वहॉ ,जग (पृथ्वी)
✍️ चिरंजीव बिसेन
गोंदिया.
*************************
9. कोरोना ला पत्र
**************************
शारदा चौधरी
प्रगती कॉलोनी भंडारा
दिनांक-१७/०९/२०२०
कोरोना
बिन बुलायेव पाहुणा
रामराम
विषय:- कोरोना ला वापसी
को आदेश देन को बाऱ्या मा.
तू चीन को वूहान मा लक सारो जगभर फेरी मारेस ना मोरो भारत मा बी उधम
मचाय देयेस.
तोरो आये लक पुरो देश लॉकडाऊन भयेव.घुमनो-फिरनो बंद भयेव.अरे,तोरो पायी पयली बार रेल्वेगाडी बंद भयी.गाडी बंद भये
लक मोला माय घर जाणला बी नही भेटं.सारा कामगार कारखाना,धंदा बंद पडे लक तपनमा उपासी पैदल टुरू-पोटू धरस्यान आपलो गावं गया. अशी बुरी
हालत तोरो माऱ्या सात-आठ महिन्यापासून भई सें.जीव जोखीम मा टाक कर डॉक्टर,नर्स पुलीस सब तोरो फैलायेव बिमारी को पायी जनता की सेवा करं राह्य सेती.आमरो
गुरुजी बी कोरोना योद्धा बनकर क्वारंनटाईन सेंटर,गावं को हद पर
डीवटी करं सें.कही हात लगावनो,बाहेर खेलनो,बिह्या ना सण तोरो पायी मुश्किल भय गया सेती.यंदा आईसक्रीम बी नही खानला भेटी.रोज
काढा पिवनो पडं सें. तोरो भेव लक माणूस-माणूस पासून दूर जाय रही सें. कई लोक मर राह्य
सेती तोरो पायी.मरे पर लाश बी नही भेटं घरको लोकं इनला.देखी नही जाय माणूस की दुर्दशा.पर
काही चांगली बी बात तुनं सिकायेस माणुसला. साफसफाई,निसर्गप्रेम,माणूस की पयचान,काटकसर इ.सुट्टी बी मार भेटी तोरो पायी.
शाळा बंद रहे लक सबसे मोठो नुकसान तूनं शिकनेवालो टुरू-पोटू इनको को करेस रे.
सब जवर मोबाईल थोडी ना सें तं ऑनलाइन अभ्यास करेत बिचारा!अना ऑनलाइन अभ्यास लक डोरा
अंधरा करेती. बिना टुरू-पोटू की शाळा सुखेव बगीचा वानी
चोवं से. कब जाजो रे तू कोरोना?कविता बी बहुत लिखस्यांन भयी सेत
तोरो पर.आता का सिनेमा काहाडन की बाट देखंसेस?तोला भगावन आमी
भारतवासी बहुत कोशीश कर राह्य सेजन.आता तरी पिच्छा सोड.
एक ना एक दिन तोला आमी देश मा लक खेदाडबन येव मोरो वादा सें.मुन आपलो सोटा दुपट्टा
गुंडकर चुपचाप यहा लक चली जाय येको माच तोरी भलाई सें.जाय कोरोना जाय…...
तोरी हितचिंतक
✍शारदा चौधरी
भंडारा
*********************
10. कोरोना ला पत्र
**************************
अप्रिय कोरोना,
पत्रको मायना मा प्रिय लिखन को शिरस्ता से, पर यव पत्र लिखन को भारी मोला प्रिय लीखनकी इच्छा नही
भयी,अना आपलो पत्ता बी नही टाकेव,कायला
की तोरो काही भरोसो नाहाय बाबा.आमरो पत्ता पर बी बिन बुलायेव आय जाजो.कोरोना आमरो देश
मा अतिथी ला देव मान सेत,पर तु त एकदम बेसरम अतिथी सेस.आई सेस
पर जानको नावच नही लेस म्हणून तोरी आता आवभगत आमला करनो नाहाय.तु आमरो शांतिप्रिय असो
देश भारत मा आयेस अना पुरी उलथपालथ मचाय देयेस.पुरो जगच रूक गयो तोरो कारण.
केतरो निष्पाप लोकइनको जीव
लेयेस तुन रे या गलती तोरी क्षमा को पात्रच नाहाय.म्रुत्यु को तांडव मचाय देयेस धरतीपर.आता
बहुत संताप आवसे तोरो.कहा गया वय दिन भजन मंडली का,टाळम्रूंदग को आवाज नही आव,लेकरू को गलका आवाज नही आव,सपा शाळा ओस पड गयी,बियाकी भागदौड नही दिस,दुकानमा गर्दि नही दिस, गजबज बजार नही दिसत,शाळा माकी लेकरूइनकी किलकारी आवाज नही आव ये सब तून आमरो पासून छीन लेयेस रे.आपलो
जीवलग व्यक्ती पर बाहेर रव्हसे वोला स्पर्श करनलाबी आता भेव लगसे फक्त तोरो कारण.
पर आता बहुत भयेव धिरू धिरू
कवता कवता तून बहुत पाय पसरायेस.पर तू भूल रहीसेस की भारत जेतरो शांतीप्रिय अना साधो
से वोतरोच दुश्मन को सपाचट करनो मा बी कम नाहाय,म्हणून तू आता संभलकर रव्ह कारण आता तोरी काही हुशारी चलनकी नही.आखरी को श्वास
पर्यंत आम्ही तोरो संग लडबीन अना तोला आमरो देश माल भगावबीनच.अना तोला परावनोच पडे.जसो
आई सैस तसोच पायलगावत तोला जानोच पडे अना तु जाजोच.
✍सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
*************************
10. कोरोना ला पत्र
**************************
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे
305, साई ऑरा,
सेक्टर-17, उलवे.
दि. १७ सप्टेंबर, २०२०
प्रिय कोरोना,
तोला 'प्रिय' यव सब्द कवनो बी बेकार से काहेका वोको लायकच नाहास तू. पर तोरी काही काही गोष्टी
मानन लायक सेती. मनून मजबूरी मा तोला प्रिय कसू. पर तू अप्रियच जास्त.
तूनं यनं दुनियाला बहुत कुछ सिकायेस. संगमा रवनो, स्वच्छता, भाईचारा, काटकसर, बचत, खुद को अना परिवार
का सदस्य की देखभाल अना उनला समय देनो असा केत्ता काम मोजू! अभिमानी माणुस ला समझच
आय गयी. येकोलक उर्जा अना पैसा की बचत, प्राकृतीक संसाधन की बचत,
अना सबसे महत्त्व को मनजे सुद्ध हवा. तू यनं मामला मा महागुरू निकलेस.
काही बिगळ्या, उथान्या, चौन्धाने वाला अना
वान्हवनेवालो इनला सूत वानी सीद्दोच करेस तूनं. मनून तोला प्रिय कवनो जरूरी होतो. नई
तं आदमी आता बिटाय गयव तोरो मार्या.
तोरो जनम बी भयव तं झुठो अना धोकेबाज चीनमा. वहांलं जो उडान भरेस तं सारो जगभर फैल गयेस. 'सेस तं सूक्ष्म पर काम तोरो तीक्ष्ण.' अदृश्य, पर अक्राळ विक्राळ, राक्षस.
बिलकुल जस जसो माणुस रोज को रोज प्रगती कर रइ से अना पयले का 'परम' कंप्यूटर सारखा स्थूल (विशाल, मोठो आकार वाली) चिज पासून तं आज को सूक्ष्म चिप वरी मजाल मारी सेस तसो आता
राक्षस बी महाकाय पासना सूक्ष्म बन गया. उनकोमालच तू एक.
अच्छा तू एतरो नालायक निकलेस का बदलतो हवापानी संग आपलो रूप बी बदल
लेसेस. मंग तोरी दवा काढणला परेशानी नई होये? हलाकान
कर देई सेस तूनं. हवा लक पसरने वालो तोला रोकनो बड़ो मुस्किल को काम भय गयी से. तू सिर्फ
अल्कोहोल अना साबण लाच पेलंसेस.
आता तं सात महिनामा माणुसला आदत पड गयी से मास्क, काढा, सेनिटाइज़र, सोशल डिस्टंसींग, पिवनको गरम पानी अना भाप सुंघनकी.
तोला आबं बी खुद पर बड़ो अभिमान से का तू माणुस ला यूँ मिटाय सक्ं सेस.
पर यनं गलतफहमी मा नोको रऊस. आता इन्सान समझ गयी से तोरा मुस्का कसा बांधणं. मनून तोला
भलो लक सांगूसू आपली भलाई चाव्हत रहेस तं आपलो सट्टा डुपट्टा गुंडाळ अना कळंकळं लक
उकस यहाल्ं. नही तं तोरी पूंजाच पाडू. अरे तू दानव आस तं आमी बी मानव आजन. आखिर सत्य
कीच जीत होत आय रही से पुरातन काळपासना.
तं तोला यव पत्र लिखन को कारण का से या बात समझ मा आय गयी रहे. तोरी
भलाई यहा लक 'नव दुय ग्यारा अना अल्ला को प्यारा'
होनोमाच से. मनून तोला अदिक जादासे जादा एक महिना की मोहोलत देसू. नही
गयेस तं तोरी हान्ड पाडत, तोरो टेटरा बगायक्यार तोरी करंधळ तोळून
अना तोरी हड्डी पसली एक करके तोला रान्धू. समझ जाय आता बहुत भयेव तोरो लाड. चल भाग
यहांलक.
उम्मिद से मोरी बात आयकजो अना चुपचाप आपलो बोर्या बिस्तर उचलजो. जाताजाता
जासू मनून सांग, नही तं नोको सांगू. आमला फरक नही
पडं पर अगलो महिनामा दिसू नोको. अच्छा चल बाय.
तोरो दुश्मन
डॉ. प्रल्हाद र. हरीणखेडे
प्रति,
सार्स कोवि-२ कोरोनावायरिडे
निडोवायरेल्स, रायबोवायरिया,
कोविड-१९., मो. ९४२०२११२२०१९,
प्रेषक:
डॉ. प्रल्हाद र. हरीणखेडे
३०५, साई ऑरा, सैक्टर-१७
उलवे, नवी मुंबई-४१०२०६
✍प्रा. डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)
उलवे, नवी मुंबई
मो. 9869993907
***************************
No comments:
Post a Comment