पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष द्वारा आयोजित
पोवारी बालकविता भाग ०५,
विषय:
मिट्ठू (Parrot)
क्रमांक |
रचना |
रचनाकार को
नाव |
1. |
मीट्ठू |
श्री डी पी राहांगडाले |
2. |
मिट्ठू |
प्रा.डॉ.हरगोविंद
चिखलु टेंभरे |
3. |
मिट्ठू |
सौ.वर्षा
पटले रहांगडाले |
4. |
मिट्ठू |
श्री
व्ही.
बी. देशमुख |
5. |
मिट्ठू |
सौ
छाया सुरेंद्र पारधी |
6. |
मिट्ठू |
शेषराव वासुदेव येळेकर |
7. |
चित्रकाव्य |
चिरंजीव बिसेन |
8. |
होरया |
वाय सी चौधरी |
9. |
मिट्ठू |
रणदीप
बिसने |
10. |
मिट्ठू |
कु. कल्याणी पटले |
11. |
मिट्ठू |
शारदा चौधरी |
12. |
मिट्ठू |
डॉ.
प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे |
13. |
मिट्ठू |
डॉ.
शेखराम परसराम येळेकर |
14. |
मिट्ठू |
पालिकचंद बिसने |
आयोजक परीक्षक
सौ छाया सुरेंद्र पारधी श्री ओसी पटले, इतिहासकार
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1.मीट्ठू (parrot) (गोरी गोरी पान.
फुला )
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रंग जेको छान,सुंदर
शी मान।
भाऊ घर एक मीट्ठू त आण।।धृ।।
हिरवो हिरवो रंग ओको केतरो सुंदर।
लाल लाल चोच बसी मन क अंदर।।
बोली बोल माणुस की केतरी छान।।१।।
मीट्ठू ला त जंगल च मोठो भावसे।
झाळक पोकर मा खुशीलक रव्हसे।।
आकाश मा कसा करसेत उडाण।। २।।
झंड को झुंड आकाश मा ऊळसे
दिससे छान जसी तोरण लगीसे
देखशान हरप जासे मोरो भान।।३।।
एकठन मिट्ठू धरशानी आण भाऊ घर।
ओकसंग बोली बोलुन खेलुन दिवसभर।।
ओक साठी सोळ देवुन जेवणखान।।४।।
जेवण ला देवुन ओला दार ना रोटी।
मी जांब की फोळी देवुन खानसाठी।।
छपरी मा पिंजरा दिसे केतरो छान।।५।।
मिट्ठुला सोनोको पिंजरा मा भी ठेया।
खाण ला ओला जरी पुरण रोटी देया।।
नोको ठेवो ओला कोणी बंदीवान।। ६।।
मिट्ठू कसे भाऊ तु सोळदेना मोला।
बनमा खुलो फिरून आशीर्वाद तोला।।
ओक एन कहनो को ठेवून मी मान।। ७।।
✍डी पी राहांगडाले
गोदिया
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2. मिट्ठू
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रोटी रोटी दे रोटी दे सबला बुलाये,
आमरो मिट्ठू सबला भाये ll
लहान टुरु पोटु ला बहुत भाये,
मिट्ठू मिट्ठू सब बुलाये ll
हिरवो हिरवो चना खाये,
जाम येला बहुत भाये ll
बाबुजी जब घर् आये,
आमरो संग बाबुजी येव बुलाये ll
लाल मिर्चा येला बहुत भाये,
दार रोटी आमरो संग खाये ll
येकी प्यारी बोली सबला भाये,
रंग रूप आमला बहुत भाये ll
✍प्रा.डॉ.हरगोविंद
चिखलु टेंभरे
मु. पो.दासगांव ता.जि.गोंदिया/मो.९६७३१७८४२४
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3. मिट्ठू
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हिवरो हिवरो रंग
लाल चोच शोभसे
आमरो मिटठू भाऊ
बडो साजरो दिससे
लाल मिरची,हिवरी मिरची
बडो चावलका खासे
जाम,अनार,आंबा बी
बडो मज्यालका खासे
अनुकरण क्षमता मिट्ठु मा
कुटकुट के अंदर भरीसे
जसो बोलनं तसोच पटकन
मिट्ठु मिट्ठु कलरव करसे
आखीव रेखीव चेहरा
सुंदर अशी से मान
शीटी बजायके देसे
बढिया वाली तान
खुलो,निलो आकाशमा
स्वतंत्र मस्त उडासे
पर मानव कायला
पिंजरा मा कैद करसे
उडान देव मुक्त गगनमा
मिट्ठूला कैद नोको करो
कारागृह मा कोंडके
स्वातंत्र्य नोको कहाळो
✍सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
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4. मिट्ठू
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करण,भेलवा,राज मिट्ठू।
हिवरो रंग को होसे मिट्ठू।
सुन्दर पंख,लाल
रंग कि चोंच को मिट्ठू।
पिंजरा की शान होसे मिट्ठू।
लाल मिर्चा को सौकीन मिट्ठू।
दार, भात बी खासे मिट्ठू।
राम राम कव्हसे मिट्ठू।
हिन्दू घर को हिन्दू मिट्ठू।
रहन सहन संस्क्रति को प्यारो मिट्ठू।
मुसलमान न पालिस मिट्ठू।
तसि बोली बोलसे मिट्ठू।
पिंजरा को बंदी नोहोय मिट्ठू।
फलदार झाड़ पेड़ को,बसेरा
मिट्ठू।
आजादी को हकदार मिट्ठू।
बन्दी,नोको बनाओ मिट्ठू।
लाड़ प्यार लक पालो मिट्ठू।
घर को सदस्य बन से मिट्ठू।
घर को राजदार होसे मिट्ठू।
जसो बोलो तसो बोलसे मिट्ठू।
✍️ व्ही. बी. देशमुख
रायपुर
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5. मिट्ठू
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हिरवो पोपटी मोरो सुंदर रंग
देखकर होओ तुमि सब दंग
आओ खेल खेलो मोरो संग
जाओ तुमि मंग इतन उतन
वाकड़ी मोरी चोंच लाल लाल
गरोमा से मोरो मोती की हार
पंख सुंदर हीरवा हिरवागार
रचीस काया ईश्वर चित्रकार
दाणा कणीस का मन ललचाव
पिक्या आंबा मोरो मनला भाव
अनार मोला घडी घडी बुलाव
मिरची देखके तोंडला पाणी आव
पंख फडफडाय मी उड जाऊ
नील गगनमा मस्त फिरके आऊ
स्वादिष्ट पिक्या फल मी खाऊ
नदी नाला को थंडो पानी पिऊ
कभी भी तुमरो हात ना आऊ
सोनोको पिंजरामा मी नहीं रहू
आपलो आजादीं पर इतराऊ
भाईबहिन संग फिरणला जाऊ
सोनो को पिंजराको नहाय मोल
बात करूसू मी सब संग तोल
रामराम मीठो मिठो बोलु हरदम
उड़तो रहूं अभारमा जीवनभर
✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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6. मिट्ठू
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चिऊ आव कावा आव
गावो जरा सुंदर गाण
हिरवो रंगपर लाल गरसोली
मिट्ठू मोरो से छान
लाल टपोरी जिभपर
नाव लिखीसे दाणा दाणा
देखे डोलदार मान हिलावत
से मिट्ठू को ऐटबाज बाणा
एक पाय मा धरकन
मिर्ची खासे लाल
हिरवो रंगमा शोभसे
मोरो मिट्ठू की चोच लाल
सोनेरी पिंजरा मा
योव बोलसे पटपट
आम्हरी कापी करसे
योव मिट्ठू नटखट
बाल सखा तू मोरो
निलो अंबर तोरो नाथ
उंच भरारी ले खरी
पर् नोको सोडू मोरो साथ
✍🏻 शेषराव वासुदेव येळेकर
सिंदीपार
दि. 21/09/20
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7. चित्रकाव्य
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झाडपर बस्या सेती राघू मैना,
सोचसेती कशी आयी या दैना.
इन्सान भय गयेव घर मा बंद,
आमर् पर नाहाय कोणतोच निर्बंध.
आदमी क् जीवन मा से उथल पुथल,
कही बी जानसाती वु जासे दहल.
कोरोना क् कारण सब सेती बेबस,
ना रेल, मोटर चलसे ना चलसे
बस.
टुरू पोटू बी सेती ड-या - ड-या,
खेलन ला नही जात का-या - भु-या.
स्कूल, कॉलेज बी सेती
बंद,
फिरन, खेलन पर से प्रतिबंध.
तोंडला बांधेव रव्हसे मुस्का,
नांगर क् बैल वानी दिससे डोस्का.
आमी जंगल का रहिवासी सेजन खुश,
ना कोणतो बंधन ना बिचारपूस.
✍️चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
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8. होरया
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एक संग बश्या दुय तोता
टिव टिव बोल सेना नाता।।१।।
हिरवो रंग गरसोली छान
ऐटकी चाल आखुड़ मान।।२।।
वाकडी चोच लाल दिससे
आंबा, जांभुर ,धरके खासे।।३।।
पाना झाड़का तसोच रंग
छुप जासे दिस नहीं मंग।।४।।
शिकाओ ओला बोली बोलसे
पिंजरामा ठेवो मस्त शोभसे।।५।।
मिट्टू हे खेतमा आवसेती
चना गहुला हो-या खासेती।।६।।
शोभाया निसर्ग ला आवसे
देखके मन प्रसन्न होते।।७।।
""जय राजा भोज, जय माँ
गडकाली""
✍️वाय सी चौधरी
गोंदिया
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9. मिट्ठू
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अजी मी गयेव् अज् खेतकन्
दिसेव् मोला मिट्ठू वु मोवईपर्
मोवईका पान अना मिट्ठू समान
वरकता नोहोता येत् असो प्रमाण
वकी चोच लालधुरूंग दिसी पटकन्
खयाल आयेव् मन मां येला पकडू
कसकन्
चंगेव् झाडपरा धिरूधिरू अन् गुमान
पर जसो झटको लगेव् परानेव् गगन
हिरमुस भयेव् मन मोरो उतरेव् खाली
चुपचाप बसेव् धुरापर देखत् वको वाली...
गायब भयेव् तरी जात नोहोतो खयाल
मन् मोरो से का नही भलतोच बह्याळ..?
मिट्ठू की वन् गरसोली होती चटकदार
चोच होती लाल गरद् मुख असरदार
मिट्ठू मिट्ठू को वको तान् धारदार
पंख वका सुडौल उडान् बी शानदार
मन मां मंग आयेव् बाको भयेव् परानेव
नही त् घरक् पिंजरामां रहैव् रवतो दबेव्
मिट्ठू घरमां बी आवसे जांब खानला
पर् मी बी ठरायेव् पकडनो नही बिचारोला
वकी बी रहे माय बाप भाऊ बहिण
संभालन् धीरदेनवालो की रवसे
लईन....
✍️रणदीप बिसने
ता.२१/९/२०२०
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10. मिट्ठू
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हिवरों रंग की, घटा
घनघोर,
लाल रंग की से प्यारी चोच।।
मिट्ठू, मिट्ठू तु,बोलसेस गोड,
खाय ले आता आंबा की फोड़।।
लाल तिखी, मिर्ची खासे,
मिट्ठू को रंग सबला लुभावसे।।
तोरी सुंदरता, मनला
भावसे,
मुनच तोला,पिंजरा मा ठेवसेत।।
पिंजरा को बंदी बनायके तोला,
लाड़ प्यार लक पालसेत,
मनुष्य को हर घर मा,
सदस्य बनके रवसेस।।
तोरी बोली मधुर मीठी,
जीवन मा सीख देय जासे,
तिखो मिर्ची को स्वाद मा भी,
मिठास को कन रवसे।।
✍️ कु. कल्याणी पटले
दिघोरी, नागपुर
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11. मिटठू
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आंगण मा टंगी सें सोनेरी पिंजरा सुंदर
मिटठू मिटठू कवं से राघू वोको अंदर
हिरवो-हिरवोकंच रंग सें मिटठू को मोरो
लाल गरसोली लक सुरेख सजी सें गरो
गर्व लक मान झटकं सें टोयकी ऐटदार
मोरो करण का मिठा बोबडा बोल
मोरो आवाज की करं से नक्कल
ज्योतिष-फल बी निकालं सें धुरंदर
जांभुर-कणीस-आंबा बडो प्यारो सें
दारभात-रोटी चना मटकायकर खासे
लाल चोच लक खासें जांब-अन्यार
झाड को पोकर पोपटराव को घर
झुंडलक भरारी मारं सें अभार भर
मिरची कतरं सें पाय मा पकडकर
तू मोरो संगी भेलवा बचपन को खास
तोरो बिना मी तं होय जाऊन उदास
कोन कहे मोला मिटठू रोटी दे दिवसभर
स्वतंत्र जीवन जगन को सें तोला हक्क
एक दिन सोडून तोला पिंजरा मा लक
उडजो तू खुशी लक रान मा भुर्र
✍️शारदा चौधरी
भंडारा
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12. मिठ्ठू (parrot)
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(चाल: इन हवाओ मे आजा आजा रे)
चोला हिवरो अना चोच आमरी लाल रे
बोल मिठ्ठू ईश्वर को यव कसो कमाल रे ॥धृ॥
चोच को लाल रंग क्रांति दर्शाव्ं से
गडकालिका माता की याद दिलाव्ं से
माता की चुनरी लाल हात मा मशाल रे
बोल मिठ्ठू ईश्वर को यव कसो कमाल रे ॥१॥
पोवार याद सारो जग को पोशिंदा
वाकडो अवजार लका करंसे धंधा
चोच वाकडी प्रतिक से नांगर कुदाल रे
बोल मिठ्ठू ईश्वर को यव कसो कमाल रे ॥२॥
पोवारी मायबोली शहद भरी से
यकि परंपरा अना महिमा गहरी से
वोको वानीच आमरा मीठा बोल रे
बोल मिठ्ठू ईश्वर को यव कसो कमाल रे ॥३॥
खाटो कडू चाहे तिखो खाओ
अच्छा बुरा ला पोटमा पचाओ
तरी बी जगमा बोलो मिठो बोल रे
बोल मिठ्ठू ईश्वर को यव कसो कमाल रे ॥४॥
गरो की गरसोली रिश्तो का बंधन
भूतदया अना सबमा आपलोपन
प्रतिक या सबको पालन, सबको
सम्हाल रे
बोल मिठ्ठू ईश्वर को यव कसो कमाल रे ॥५॥
हर एक जीव को रंग रूप निरालो
सृष्टी को सार बखान करनेवालो
सुंदर या आमरी काया वोकीच मिसाल रे
बोल मिठ्ठू ईश्वर को यव कसो कमाल रे ॥६॥
✍️प्रा. डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)
उलवे, नवी मुंबई,
मो. 9869993907
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13. मिठ्ठू
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सोटू अना मोटू
संग टुरुपोटु
अमराईमा गया होता
धरनला मिठ्ठू
आंबा डेरेदार
खांदाला पोखर
आंबाक पोखरमा
मिठ्ठू को संसार
रानी संग मिठ्ठू
बसेव खांदीपर
गरामा लाल रंग
पंख हिवरोगार
मिठ्ठू देखकर
मोटू बिचार कर
धरस्यानी मिठ्ठू ला
लिजायलेवु घर
झाडपरा चंग्या
सोटू अना मोटू
टुट गयी खांदी त
उड गया मिठ्ठू
✍️डॉ. शेखराम परसराम येळेकर नागपूर
दि. 21/09/20
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14.मिठ्ठू
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मिठ्ठू रे मिठ्ठू
हिवरो हिवरो मिठ्ठू
मोउक् झाडपर
देखना रे सोटू!!।।
मिठ्ठू रे मिठ्ठू
'रोटी दे' रटू
'पावना आया पानी आन'
कसे रटूरटू!।।
मिठ्ठू रे मिठ्ठू
दारभात ठूसू
लाललाल चोच वकि
खाय मिरची कसु!।।
मिठ्ठू रे मिठ्ठू
बोलनेवालो तु
शाकाहारी सेस तु
बुद्धिमानबि तु।।
मिठ्ठू रे मिठ्ठू
कहाणीमा् मिठ्ठू
कवितामा् पुराणमा्
पोस्टमेन तु ।।
मिठ्ठू रे मिठ्ठू
पिंजरामा् मिठ्ठू
करो वला स्वतंत्र
नोको उनला बेंडु।।
मिठ्ठू रे मिठ्ठू
शान आमरी मिठ्ठू
वकोबगर खेत नयि
जगाव वला छोटु!।
✍️पालिकचंद बिसने
***********************************
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