पोवारी इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष द्वारा आयोजित २८ वी काव्य स्पर्धा
विषय: माय वैनगंगा, गुरु. 10/09/2020
विषय सूची
क्रमांक |
रचना |
रचनाकार को नाव |
1. |
माय वैनगंगा |
डॉ. प्रल्हाद
रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी) |
2. |
माय वैनगंगा |
सौ छाया सुरेंद्र पारधी |
3. |
जल योव जीवन |
श्री वाय सी चौधरी |
4. |
माय वैनगंगा |
श्री चिरंजीव बिसेन |
5. |
माय वैनगंगा |
श्री डी पी राहांगडाले |
6. |
आमरी माय वैनगंगा |
श्री ऋषि बिसेन |
7. |
मोरी मायबोली |
श्री रणदीप बिसने |
8. |
पितर को आना |
सौ शारदा चौधरी |
9. |
मां वैनगंगा |
सौ स्वाति
कटरे तुरकर |
10. |
माय वैनगंगा |
डॉ. शेखराम परसराम येळेकर |
11. |
माय वैनगंगा |
प्रा डॉ हरगोविंद चिखलु टेंभरे |
12. |
माय वैनगंगा |
चि सरोज सिंह बिसेन |
1.
माय वैनगंगा
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कविता को शीर्षक: 'पयसिंधू वैनगंगा'
(तर्ज: एक परदेशी मेरा दिल ले गया)
पुळ्होकी सोचो असी आमला कव्हंसे
माय वैनगंगा नितनेम बव्हंसे ॥धृ॥
कहीं उथर कहीं खोल बहाव नागमोडी
कहीं चर्हाटभर तं कहीं कोसभर चौडी
कहीं बडी शांत कहीं भरधाव से ॥१॥
जंगल खेत दरी माल्ं जासे झुळझुळ
ममताभर्या गीत गासे मंजूळ मंजूळ
नदीनाला समावत पुढो धावंसे ॥२॥
भेद नई करं कोणी कसाबी रवत
तृप्त भया खेत पशू झाड ना गवत
तहानेव जीव यहां पानी पिवंसे ॥३॥
ढोर कपडा गाळो धोवनो खेल खेलनो
रेती पानी गिट्टी माती घर बनावनो
येको तीर पर बसेव मोरो गाव से ॥४॥
पकं सेती फल फूल भाजी ना कठान
काठ येको बजार ना जतरा को स्थान
पासना वरीकी संस्कृती समावंसे ॥५॥
कमी नई पड़ येको पानी बारोमास
येको कोर्यामा आवंसे सबला उल्लास
पयसिंधू वैनगंगा सबला पावंसे ॥६॥
(१. पासना वरी की संस्कृती = नदी को उगम पासना तोंडवरी
को काठ पर की संस्कृती
२. पय = नीर अना क्षीर : यहां नदी को नीर ला माय
को दुध वाणी महत्त्व विशद होय रही से)
✍️डॉ.
प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)
उलवे, नवी मुंबई
मो. 9869993907
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2.
वैनगंगा माय
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अलबेली धरती पावन जहां वैनगंगा की धार
हिवरो हिवरों जंगल यहां हवा चलसे थंडीगार।
जब येन धरती पर बढेव असुरो को अत्याचार
आबूपर होती आदिशक्ती की लीला अपरंपार।।
गुरु वशिष्ठन यज्ञ करीन प्रगट्या चार वीर जवान
अग्निवंशिय क्षत्रिय वंश को उनमा वीर परमार।
धरतीला पापमुक्त करीन असुरइनला देईन मार
राजपुताना पासून मालवावरी भयेव वंशविस्तार।।
येन कुलमा उपज्या वीर राजा विक्रमादित्य महान
प्रजावत्सल, न्यायप्रिय, ख्याती होती दूरदराज।
सिंहासनमा साक्षात बत्तीस पुतलियों को वास
विक्रम संवत दिनदर्शिका की करीन सुरुवात।।
दसवीं सदीमा बसाइस बैरीसिहन सुंदर नगरीधार
मालवामा मूंज भोज न करिन साम्राज्य विस्तार।
तरा बोड़ी सड़क करिस मंदिरको जीर्णोद्धार
भोजशाला बनायकर करिस ज्ञान को प्रचार ।।
विदर्भपर राज करीन मालवाधिस पोवार सरदार
आया धारलक जगदेव पोवार चालुक्यको दरबार।
विरयोद्धा जगदेव पोवार बन्या चांदा का महाराज
शासनमा उनकी जनता होती बड़ी सुखी खुशाल।।
मालवा पर आक्रमण करीन मुगल न जनता बेहाल
संकट आयेव भारी बिखऱ् गया मालवा का पोवार।
मालवा लक आया नगरधन लेकर आपलो परिवार
कटकको युद्ध मराठा संग लढया पंवार सरदार।।
जितीन युद्ध भेट मिलेव वैनगंगा को जंगली भाग
वैनगंगा किनारा पर आया सोड देईन नगरी धार।
जंगल काटीन खेती करस्यार बन गया किसान
खूनपसिना लका उपजाऊ बनाइन वैनगंगा माय।।
✍️सौ.
छाया सुरेंद्र पारधी
सिहोरा
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3. जल योव जीवन
(काव्य प्रकार अभंग)
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जन्मदात्री माय,पुजनिय आता।
चरनपर माथा,ठेयश्यानी।।
तसीच या माय,वैनगंगा नाव।
अमृत बहाव,निर रूप।।
जल यो जीवन,समृद्ध या खेती।
भरघोष मोती,पिकावसे।।
सबला पालसे,धरती या माय।
सरीता या आय, जलमाय।।
जासे बहकन,सुखी सेती जन।
पवित्र यो तन,तिर्थक्षेत्र।।
आपलं जिल्हामा, प्रसिध्द से नदी।
संग बाघ नदी, वैनगंगा।।
तिर्थ क्षेत्र आंभोरा,जवळ भंडारा।
भाग्य हे आमरा, पंढरपुर।।
पवित्र याअशी, वैनगंगा नदी।
पुर्वज आनंदी ,करदेसे।।
निर सुद्ध योव,अमृत सरीको।
उद्धार जिवको, होयजासे।।
"""जय राजा भोज"""
✍️वाय
सी चौधरी
गोंदिया
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4.
माय वैनगंगा
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आमरी गौरवशाली परंपरा की
साक्षी से माय वैनगंगा.
वैनगंगा तटीय पोवार क् नावल्
जानेव् जासेती पोवार बंदा.
शिवणी जिल्हा क् प्रतापपुर
मा होसे येको उगम.
गडचिरोली जिल्हामा गोदावरी
मा होसे येको संगम.
पोवारी का जिल्हा शिवणी,
बालाघाट, गोंदिया,
भंडारा.
यहॉल् या बव्हसे बनकर
जलकी निर्मल धारा.
बाघ, पांगली, चुलबंद, गाढवी,
बावनथडी ये सहायक नदी.
सुर, कन्हान, इरई, वर्धा ये बी
येकमा मिससेती आयस्यारी.
वैनगंगा ना सहायक क्षेत्रला
करसेती सुजलाम्, सुफलाम्.
किसान बी खुश सेती नदीक्
कारण गावसेती मंगल गान.
संजय सरोवर,धापेवाडा प्रकल्प,
गोसे खुर्द बन्यासेती बांध.
जेक लका खेतीला मिलसे पाणी
किसान सेती खुशहाल.
✍️ चिरंजीव बिसेन
गोंदिया.
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5.
माय बैनगंगा
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लहानपण जेक ओटामा बीतेव भया मोठा चंगा।
जेन आमला
आश्रय देईस वाच माय बैनगंगा।।
जेको जनम मुंडारा,जिला सिवनी म.प्र. मा भयव।
बालाघाट,संजय सरोवर मा
पाणी जेको समायव।।
कभी पुरब ना कभी दक्षिण ना वाकळी तिकळी बही।
बावनथडी,कन्हान,पेच को पाणी,गोदावरीमा समाई।।
ओनच बैनगंगा माय न पोवार जातीला देईस सहारा।
धारलका पलायन भयेव तब आमला नोहोतो थारा।।
आमरो पूर्वज राजा भोज,धारानगर जेकी राजधानी।
राज होतो
मालवा पर,प्रजा होती
सुखी समाधानी।।
सन तेरासौ पाचमा अल्लाऊधीन खीलजी आएव।
आखीर पोवार राजा महालकदेव को पराभव भएव।।
सार पोवार जातीन धार नगर लका पलायन करीस।
तब सार पोवार
जातीला बैनगंगा न पोटमा धरीस।।
बैनगंगा क ओटामा बसीसे पोवार की छ-तीस कुर।
वाच देसे पाणी पिवनला ना खेतीला भी भरपुर ।।
सुपीक जमीन ओक ओटाकी धनधान लका भरपुर।
ओका आमरं पर कर्ज केतरो नही कर आमला दुर।।
ओला स्वच्छ सुंदर ठेवनो आमरो भी बन से फर्ज।
भुलो नोको यन मायला येतरी सबला मोरी से अर्ज।।
ॐॐॐॐ
✍️डी
पी राहांगडाले
गोंदिया
6.
आमरी माय वैनगंगा
************************
मुंडारा सिवनी लक जन्मी से
पावन नदी वैनगंगा !
सिवनी लक बालाघाट को क्षेत्र
मा जासे वैनगंगा !!
गोंदिया अना भंडारा की भूमि
ला करसे या पावन !
प्राणहिता नाव लक समावसे
गोदावरी मा वैनगंगा !!
सतपुड़ा न विदर्भ की गंगा
असि से मोरी
वैनगंगा !
आपला पंवार पोवार की
पहचान से मोरी वैनगंगा !!
आपलो पुरखा गिनना जंगमा
मराठा को देईन साथ !
वीरता को मान मा मिल्यो
वैनगंगा क्षेत्र उनको हाथ !!
खेती किसानी मा दक्ष होतीन
आमरा पुरखा पंवार !
वैनगंगा को आँचल मा
फल्या फूल्या आमी पंवार !!
सिवनी लक बालाघाट,
गोंदिया लक भंडारा जिला !
क्षत्रिय संस्कार को रंगमा
रंगीसे योव पोवारी किला !!
सिंचित करसे उनला
आपली पावन
माय वैनगंगा !
पोवार बसीसेत वहां
जहां लक बोहोसे माय वैनगंगा !!
✍️ऋषि
बिसेन, नागपुर
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7.
मोरी मायबोली
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मोरी माय पोवारी,कसो मानू आभार
तोरोबिगर नही,अन्य काही आधार !!१!!
जलम होतोघनकी होसे तोरी पुकार
संघर्षकाल मां तोरोमाच होसे हुंकार !!२!!
हृदयलका होसे तोरो सगुण मां उच्चार
कटिबद्ध सेजन माय तोरो करन् प्रचार !!३!!
घनगर्द वृक्षरांजीमां तोरो भयी से विकास
पुरो भारतवर्षला देसेस राष्ट्रधर्म प्रकाश !!४!!
तोरो वंश जाये कही प्रदेश या विदेश
सद्भाव सद्वर्तन कोच देत जासे संदेश !!५!!
शाश्वत जीवनमूल्य को अनोखो से अधिष्ठान
माय पोवारी तोरो साटी सिद्ध सेती प्रतिष्ठान !!६!!
मधूर तोरी सूरमाला ओढ लेसे नवाडोला
महिमा गावसेजन माय तोरो येनं घटकाला !!७!!
शब्दभंडार को कोष तोरी संपदा विशेष
साहित्य वाचा वृद्धीसाटी आवन दे प्रवेश !!८!!
✍️रणदीप
बिसने
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8.
माय वैनगंगा
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नदी माय वैनगंगा को मुंडाराआय घर
रजोलाताल को कुंड मा लकआई भूमीपर
सिवनी बालाघाट गोंदिया चांदा ला मारसे फेरी
वर्धा नदीला भेटंसे प्राणहिताको नवोरूप धरकरी जीवनदायिनी बनसेस तू गोदावरी की मदतगार
नदी माय तोरो संथ अना निळो-निळो जल
तृप्त होसे आत्मा मोरी पियकर पानी निर्मल
पीकं सें खेती आमरी दुय संज की भाकर
शंख-शिंपला गोटा-रेती संपत्ती तोरी
मसरी आय लाडली तोरी जलपरी
कोणी लहान ना मोठा तोला सब बराबर
कही गहरो तं कही उथर सें तोरो पात्र
कल-कल करके संगीत छेडसेस तू सर्वत्र
नदी माय तू आस तीर्थ-मोक्ष को घर
धारलक आया पोवार फिरती मारा-मारा
माय बन कर कोऱ्यामा तुनं देइस सहारा
फुलावंसेस जिनगी आमरी फेडू कसा उपकार
मलीन करं सें माणूस तोला खुदको स्वार्थपायी
पूर मा देसेस उनको दुष्कृत्य की तू भरपाई
लेकरू को भलोसाती आयी माय धरतीपर
✍️ शारदा चौधरी
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9.
मां वैनगंगा
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महादेव पर्वत लक उदगम भइसे,
मां वैनगंगा असो माय तोरो नाव पडीसे।
नाव लक तोरो होसे माय की अनुभूति,
बहिन सेत तोरी गोदावरी - गंगा -भागिरथी।
असोच तोला माय नही कोनी कव्हती,
सबका पाप नाश करन की तोरो मा से शक्ति।
पानी की से तोरी बड़ी निर्मल धारा,
एको लक होसे बहुत-इन को गुजारा।
महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश की आस तू रानी,
साल भर खेलसे यहां तोरो पानी।
माय वैनगंगा लक जुड़ी सेत पोवारी की कहानी,
360 मील दूर जासे वैनगंगा को पानी।
✍️स्वाति
कटरे तुरकर...
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10.
माय वैनगंगा
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मध्य प्रदेश क् सिवनीकरलका
आव पानी संगा
खेतीबीडी समृद्ध करसे,
माय वैनगंगा
किसान बसी से तोर बगलमा
सहारा दे माय तोर आचलमा
शांत रव वक् संगा
खेती बाडी समृद्ध करसे
माय वैनगंगा
देवी कोरंबी माय पवित्र
दर्शन तोरो भंडारा पवित्र
माय मोरी गंगा
खेती बाडी समृद्ध करसे
माय वैनगंगा
बारिशमा वा नाचत जासे
दुयी किनारा भरकन जासे
माय खेल्
पानीसंगा
खेती बाडी समृद्ध करसे
माय वैनगंगा
मेघ गरजसे विज चमकसे
अंबरमालका पानी आवसे
पानी झेल् माय गंगा
खेती बाडी समृद्ध करसे
माय वैनगंगा
गोटा माती रगदत जासे
दुयी किनारा उगदत जासे
चोवसे मस्त वको दंगा
खेती बाडी समृद्ध करसे
माय वैनगंगा
शुद्ध पानीसे माय गंगाको
बंद करो पानी गंद नालीको
नोको लेवो तुमी पंगा
भडक गयीत् नही पेलनकी
माय वैनगंगा
खेती बाडी समृद्ध करसे
माय वैनगंगा
✍️डॉ.
शेखराम परसराम येळेकर १२/९/२०२०
11.
माय वैनगंगा
*******************
जेकी से निर्मल पावन धरा,
गोंदिया बालाघाट आय किनारो ll
देसे अमृत जल की शुद्ध धारा,
बहुत प्यारो से माय वैनगंगा ll
पोवार बस्या सेती जेको किनारो
सब लोग संग से भाई चारारो ll
ये छतीस कुल का आत पोवार,
जिनकी से पोवारी लेखनी धार ll
करसेती माय
वैनगंगा प्यार,
खेती बाड़ी मा देसे अमृत धार ll
गाँव शहर की तहांन बुझाये,
निर्मल जल माय तोरो आये ll
पाप सबको धुल पल मा जाये,
जो तोरो जल मा डुबकी लगाये ll
कार्तिक पूर्णिमा मा मेला लगाये,
सब जनता आनंद मनाये ll
माय वैनगंगा की गाथा जो गाये,
स्मृद्धि सुख वोला हरदम पाये ll
✍️प्रा
डॉ हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु पो दासगाँव ता जि गोंदिया
मो ९६७३१७८४२४
12.
माय वैनगंगा
*******************
आमी आजान अग्निवंशीय पँवार/
मालवा लक आया नगरधन क्षेत्र//
जित्या मराठा संग कटक को युद्ध/
मिल्यो हमला माय वैनगंगा को क्षेत्र//
आपरी मेहनत लक बनया किसान/
भरींन हरियाली न होया खुशहाल//
तलवार को मा संग धान उगाया /
क्षत्रिय रहया अना धरम निभाया//
आमरी पहचान से माय वैनगंगा/
पँवार की शान से माय वैनगंगा//
हे माय देय येतरी शक्ति मोला/
करू तोरी भक्ति न बड़ु जीवनमा//
जय वैनगंगा जय माय वैनगंगा///
जय अग्निवंशीय क्षत्रिय पँवार//
✍🏼सरोज
सिंह बिसेन
मोहगांव खुर्द(किरनापुर)
जिला : बालाघाट
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