Thursday, September 17, 2020

पोवारी इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष द्वारा आयोजित बालकाव्य स्पर्धा

   

पोवारी इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष द्वारा आयोजित बालकाव्य स्पर्धा-००४

दि. १४/०९/२०२०

                                                            विषय सूची

क्रमांक

रचना

रचनाकार को नाव

1.        

वईद बंदर

श्री रणदीप बिसने

2.        

प्राणी की सभा

डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)

3.        

प्राणी की सभा

श्री नरेश गौतम

4.        

प्राणी की सभा

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले

5.        

प्राणी की सभा

श्री चिरंजीव बिसेन

6.        

प्राणी की सभा

सौ शारदा चौधरी

7.        

प्राणी की सभा

श्री डी पी राहांगडाले

8.        

    ससा को बिया

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर

9.        

                     बंदर की सभा

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

10.    

जंगल शाळा

श्री यादोराव चिंधुलाल चौधरी



          





                     आयोजक                                          परिक्षक

                सौ छाया पारधी.                           श्री  ओ  सी. पटले


1.     वईद बंदर

कालू बंदर एकघन गयेव सयर

वला भेटेव आला(स्थेथो) रस्ता पर

 

वन् देखी होतीस आला को वापर

जंगल मां वरक् नई वईद बंदर

 

लाकूड का ठुसा ला बनाईस कुर्सी

गरम् पानी करन् आनीन कलसी

 

भालू लटारी खुसखुस लगेव करन्

बंदर नं कईस कोरोना को दिससे लक्षण

 

बंदर नं देईस गरम पानी मां गिलोय

सकारी खाली पोट भालू लेन भसेव

 

चंदरी हरीन आयी डोसकाला हाथ  धरत

वईद बंदर नं देईस भूईलिंब को कडू रस

 

लंगडो राजा शेर आयेव लेनला दवाई

बंदर न करीस खंडुचक्का कं पान की लेपाई

 

असो चलेव वईद बंदर को येव व्यवसाय

ठिक होन् लग्या प्राणी बंदर को लगन लग्या पाय !!

✍️रणदीप बिसने

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2.     प्राणी की सभा

गीत प्रकार: पोवाडा


महाजन को खेतमा, एक रातमा

गोल खर्यानमा, सभाला जमा

भया सप्पाई प्राणीजात

करनला मुद्दा की एक बात

सभाला करीन सुरुवातजी जी जी जी-२॥धृ॥

 

अध्यक्ष वनराजनं sss

सोडीस फर्मान, त्वरित पटकन

सून ले वो मिठ्ठू करन

सभा को हेतू कर तू बखान

मिठ्ठूनं करीस आदेश पालन जी जी जी जी -२ ॥१॥

 

मिठ्ठू कसे

ध्यान लका सुनो बात मोरी

राजा को घरं भई से चोरी

गायब से दुध की कटोरी

टुटी पडी से सिको की दोरी

चोरकी दिसंसे मुजोरी

पर नही सपडीसे आबंवरी जी जी जी जी-२ ॥२॥

 

राजा लगेव सबला सांगनला

देखी रहेस जेनं बी चोरला

मोरो जवर आन देव वोला

देवू बक्षिस घिव को गोला

भर देवूं अनाज का ढोला

सोनो की चैन बक्षिस गरोला जी जी जी जी-२ ॥३॥

 

सुनो सुनो ओ कोल्या मामा

घुमो तुमी यनं सभामा

भया सेती ये जेतरा जमा

चेक करो उनको खिसामा अना झोर्यामा

अना मंग देखो सबको घरमा जी जी जी जी-२ ॥४॥

 

सप्पा मोठो प्राणींकी तलास

हत्ती गवानं आंग हलाइस

गधा भालूनं खिसा पलटाइस

हरनी चित्ता लांडग्या तडस

ससा बंदर मूंगूस सावकास

मोठा भया आता लहान प्राणी रह्या मात्र जी जी जी जी-२ ॥५॥

 

कोल्या मामानं सुरू करीस

यहां पासून तं वहां वरिस

लहान प्राणी थोडासा डरिस

गलतीलं चोरी सपडिस

तं लाल होत वरी पडिस

यकि होती सबला खुसखुस

कोल्यानं चोरला धरिस sss

कारो बोक्याला एक मारिस जी जी जी जी -२ ॥६॥

कोल्या आयेव जसो जवर

बोक्या कापन लगेव थरथर

कोल्याकी नजर पडी मिसीपर

दिसी दुध को थेंब की धार

बोक्याकी लेइस कोल्यानं खबर

'अर्धी मिसी कसी रे सुभर?'

बोक्याको तोंडको उळेव कलर जी जी जी जी-२ ॥७॥

 

बोक्या सोचन लगेव जब्बर

उडी मारक्यान होऊं फरार

यकि वोकी चुकावं नजर

छलांग लगाइस पाच मिटर

हत्ती पुढोच होतो हाजिर

वोनं बोक्याला करिस कवर

सोंडलं फेकिस राजाको जवर जी जी जी जी-२ ॥८॥

 

 

वनराज कसे बोक्याला sss

माफी नही तोला, ना तोरो कुटूमला

होय देस निकाला

भटक तू आता गाव गावमा

ताकतो रव तू ठाव ठावमा

मनून बिलाई दिससे गाव गाव मा जी जी जी जी-२ ॥९॥

 

 

जयकार तोरी राजनsss

करीन सब जन, सभा समापन

भई प्राणीकी सभा विसर्जन जी जी जी जी-२ ॥१०॥

(सुभर = पांढरो

वरिस = वरी, पर्यंत

डरिस = भेव लगं से

सपडिस = मिलेव, भेटेव

पडिस = मार पडंसे

खुसखुस = मालुमात)

✍️डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)

उलवे, नवी मुंबई

मो. 9869993907

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3.    प्राणी की सभा

बाड़ी मंग सजेव मोठो दरबार,

सोड़ेव मीन मि भी पढ़तो अखबार।

 

मोती होतो मोरो पंच महान,

कारो पाठरू होतो आब लहान।

 

पांढरो गोरा दिस बहुत रूवाबदार,

बिलू माउसी होती सबला जवाबदार।

 

सजी महफ़िल ना पंच ला आई चुनौती,

होती समस्या लगी होती पनौती।

 

सबको खेलन को मैदान पर,

लगन वालो होतो आता बजार।

 

गया सब लिखन को खरयान मा,

बाँधीन समा खेल को सचयान मा।

 

युक्ति होती पंच की बड़ी बाका,

देख कर हैरान भयो रुकन काका।

 

सब ला भेटि मनपसन्द जागा,

असो होतो सबको स्वप्न भागा।

नरेश गौतम

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4.    प्राणी की सभा

अज जमी होती जंगलमा

सपाई प्राणी की मस्त सभा

सभामा बोलनकी  होती

फक्त अजच बाई मुभा

 

हरिण बाई कोनटो मा

चुपचाप बसी होती

शेरीबाई जंगलको राजाला

टुकुरटुकुर देखत होती

 

कोल्ह्या भाऊ काम मा

अज बडो होतो व्यस्त

ससा भाऊ सभा मा

गाजर खात होतो मस्त

 

हत्ती आपलो मज्या मा

चार पाय पर उभो होतो

सोंड हलायके निर्णय ला

सहमती दर्शावत होतो

 

रानडुक्कर ला गुस्सा होती

माणूस जातीकी म्हणून

राजा को सामने विचार मंडाईस

उडी मारके रूणझुण

 

उंदिर, कासव,गोगलगाय

बस्या होता रांगमा

बाघ राजाजवळ जानकी

हिम्मत नोहोती आंगमा

 

कावरा,चिमणी,मिठु मिया

मोर,बगला,अना सुतार पक्षी

राजा की हरएक बात

लगी सबला सच्ची अना अच्छी

 

बंदर काही एक जागापर

बस नही सकत होतो

म्हणून इत उत झाडापर

फुदक फुदक कर कुदत होतो

 

सब का निर्णय ठेया गया

सभामा अजको जंगलमा

विसर्जन भयोव सभा को

सब प्राणी गया आपलो घरमा

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले,

बिरसी (आमगांव)

जि.गोंदिया, भ्रमणध्वनीः८६६९०९२२६०

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5.    प्राणी की सभा

 

जंगलमा भरी होती प्राणी की सभा,

कोणी होता बस्या, ना कोणी होता उभा.

 

जंगल को राजा शेर होतो सभाध्यक्ष,

सबन् बिचार ठेईन अध्यक्ष क् समक्ष.

 

सभा मा काही प्रस्ताव भया पास,

वोक् माल् काही होता बहुत खास.

 

जेव राजा ला रोज आन् देहे शिकार,

वोला बनायेव जाहे जंगल को मुखत्यार.

 

कोल्ह्या न करीस राजा को कव्हनो मान्य,

मुखत्यार पद पायस्यार कोल्ह्या भयेव धन्य.

 

सब प्राणी इनन करीन कोल्ह्या को स्वागत,

कोल्ह्या न् व्यक्त करीस आपलो मनोगत.

✍️ चिरंजीव बिसेन

गोंदिया.

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6.     प्राणी की सभा

 

जंगल मा सभा भरी सें प्राणी की

घाई-गडबडी भय गयी सें जान की

 

एक जागं जमी मंडली  सारी

सबजन आया सजधज स्यारी

हजेरी लगी ससा राघू-मैना की

 

सिंह नहाय तं लांडगा अध्यक्ष भयेव

टूकुर-टुकुर कोल्ह्या देखत रहेव

पाहुणा मुन निवड भयी हत्ती की

 

भालु नं पाहुणा की पयचान कराईस

सभा को काज की कल्पना देईस

आता बारी आई उनको स्वागत की

 

हत्ती नं भाषणला करीस सुरवात

टाळी की भयी जोरदार बरसात

कोल्ह्या बाट देखन बसेव संधी की

 

मोर नं थुई-थुई नाचं देखाईस

कोयार नं गायस्यांन शोभा बढाईस

बंदर नं आणीस नाश्तामा डारी फल की

 

कोल्ह्या मारन बसेव बहुत बढाई

अंगुरपर चढाई करस्यानी जिकेव लडाई

नही खानं जात सें आंबट अंगुर की

 

येनं बात पर सब हास्या कोल्ह्याला

बसेव वू मान टाकस्यानी खाल्या

असी फदिसा भई कोल्ह्या की

    ✍️शारदा चौधरी

                                                       भंडारा

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7.      प्राणी की सभा

जंगलमा हत्ती न प्राणी की सभा ठेयीस।

लहानमोठ सब सदस्यला नोटीस देयीस।।

ह-ती आयेव धावत ना आएव रानहल्या।

उतनलक आयेव ससा ना चतुर कोल्या।।

 

भालू भी आयेव ना धावत  हरीण बाई ।

आएव बाघ,सिंह ना आयी खारू ताई ।।

गधा आयेव बोंबलत कसे उशिर भयेव।

सब भया जमा कोणी सुट त नही गयेव।।

 

हत्ती कसे मी मोठो मोला अध्यक्षको मान।

बाघ काही मान नही कसे मोरीच से शान।।

ससा ना हरीण टुकुर टुकुर ईतउत देखत।

कोल्य्हा ना भालू आपली सेखी सेखत ।।

 

सब सांगत हुशारी, कोणी आयकत नोहता।

सब करत  हल्ला, बिच माच कुदेव चि-ता।।

गधा  होतो देखत ओन भी चुप्पी  तोळीस।

सिंह ला आएव गुसा डरकाळीच फोळीस।।

 

आवाज आयक शानी सब घबराय गया।

कोणी छुपेव जुळुपमा तितर बितर भया।।

एकी नही रहेलका उनमा पळगयी फुट ।

असोच काही समाज से होसे ताटातुट ।।

✍️डी पी राहांगडाले, गोंदिया

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8.     ससा को बिया

पशुपक्षी की सभा भरीसे

ससाक् बियाला जोर

लांडोरीन नेसीस साडी

नाचत आयेव मोर।। १।।

 

हिवर् हिवर् वनराई मा

होती नास्तासाती बोर

मैनाबाई न् कयीस गाना

नाचत आयेव मोर।। २।।

 

कोल्यान् मंग डीजे बजायीस

आयेव नाचनसाती जोर

करचुलाबाई भयी दिवानी

नाचत आयेव मोर।। ३।।

 

हत्ती दादा  पानी भरसे

वक् सोंडला मोठो जोर

हरीणबाई खाना बनाव

नाचत आयेव मोर।। ४।।

 

काव कावको कवसे गाना

कावराला मोठो जोर

लांडग्यादादा बाजा बजाव

नाचत आयेव मोर।। ५।।

 

हाशीखुशीक् यन् बियामा

भड्याला मोठो जोर

कुद कुदकन मांडो सुताईस

नाचत आयेव मोर।। ६।।

 

राघु मैना बी नाचन बस्या

आयेव टिटवीला बी जोर

वाघेबान् साउंड बजाईस

नाचत आयेव मोर।। ७।।

 

उंदीरन् मंग कतरीस वायर

डी जे को सरेव जोर

अभारमा भयी मेघगर्जना

नाचत रहेव मोर

नाचत रहेव मोर।। ८।।

✍️डॉ. शेखराम परसराम येळेकर

दि १४/९/२०२०

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9.    बंदर की सभा

 

एक दिवस भरी प्राणी सभा,

सब बंदर की प्यारी सभा ll

 

काही बंदर भया बहुत खपा,

नोहोतो उनला काही पता ll

 

लहान बंदर खेलत होता,

काही बंदर देखत होता ll

 

एक बंदर बोलत होतो,

तीन बंदर समझत होता ll

 

बोध ज्ञान को लेत होता,

जिवन का वय प्रतिक होता ll

 

भरी सभा मा मालूम भयव,

एक बंदर नही आयव ll

 

वोला बुलावन बंदर गयव,

तब वोला मालुम भयव ll

 

कसे भाऊ मि नही आयव,

मोला जल्दी नही मालूम भयव

 

मुखीया कसे कसो नही मालूम भयव,

पुरो जंगल मा जब सभा लेयव ll

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✍️प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु पो दासगाँव ता जि गोंदिया

मो ९६७३१७८४२४

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10.            जंगल शाळा

जंगलमा भरी प्राणीकी शाळा

हत्ती ,बाघ, गधा भया गोळा।।

 

सिंह योव जंगलको राजा

मुख्य पदपर गांजा बाजा।।

 

तास भयोव पहिलो चालू

मगलं आयोवा परात भालू।।

 

देख ससाला अचंबित भयोव

गधा भी मोरं पहिले आयोवा।।

 

कोल्या खुब करं चबरं चबरं

मोरीच आयको मीच हुशार।।

 

 सिंहला आयी मोठी गुस्सा

एकच मारीस तोंडपर ढुस्सा।।

 

‌काही प्राणी स्तब्ध भय गया

‌काहितं भेवलं परायं गया।।

‌शाळामा गडंबळ नहीं करनं

‌तोंडला कुलुप लगाय ठेवनं।।

✍️यादोराव चिंधुलाल चौधरी

(वाय सी चौधरी) गोंदिया

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