Thursday, September 3, 2020

मोर; चिरंजीव बिसेन

मोर
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मोर बहुत सुंदर दिससे, प्यारो लगसे, 
पंख फैलायकर सबला रिझावसे. 

बादर गर्जसेती तब खूब खुश होसे, 
पंख फैलायकर जोर जोर ल् नाचसे. 

मोर का पंख रव्हसेती बहुत सुंदर,
निलो, हिवरो, कारो रंग वोक् अंदर. 

कृष्ण भगवान् क् मुकुट मा शोभसे, 
मोर् किताब मा बी एक ठेयेव से. 

मोर क् सिरपर एक मुकुट से, 
वोक् ल् वु राजा वानी दिससे. 

आपलो राष्ट्रीय पक्षी आय मोर, 
वोक् मादीला कसेती लांडोर. 

कार्तिकेय को वाहन आय मोर, 
सरस्वती क् दरबार की शोभा से मोर. 

रंग बिरंगी पंख को मोठो पिसारा, 
नाचस्यार लांडोर ला करसे इशारा. 
               
  चिरंजीव बिसेन 
       गोंदिया.
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