Thursday, September 3, 2020

मोर: सौ छाया सुरेंद्र पारधी

मोर
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हे भगवान मोला सुंदर मोर बनाव
पंख मोरा हिरवा निळा गर्द सजाव।।
हर पंख मा निळा नीलमनी बसावं
निळी निळी मान मखमल सी बनाव।।१।।

चोच लंबी डोळा मोरा कंचासा बनाव
तुरा झुब्बेदार निळा पाचू उनमा जडाव।।
पिसारा मोरो दुनिया सबसे सुंदर बनाव
मोरो नाच देखणं देवा पार्वती संग आव।।२।।

कारा करा ढग निळो अभारमा जमेती 
बिजली होये चमचम ढमढम ढग बजेती।।
वर्षा की रिमझिम फुहार सरसर बरसेती
नाचून झूम झूमकर पायमा घुंघरू बजेती।।३।।

कान्हा तोरो मुकुटमा मोला दे सदा स्थान
स्वरसती माय रवसे मोरो पर विराजमान।।
कार्तिकेयको वाहनको मोलाच मीलेव मान
शिवपारवती का दर्शन करन जाबी कैलाश।।४।।

पर देवा येतरा रंगीत पंख जब तू देजो
ओको संग मोला उडणकी शक्ती देजो।।
पायमोरा काराकारा उनमा रंग तू भरजो
सुंदर मोरो सारिखो येन जगला करजो।।५।।

सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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