मोर
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हिरवो, सुनहरो, निलों, कारो रंग की छटा वालो,
चमक रही से केतरो चमचम, येको सुंदर पंख निरालो।।
लंबी पुछ ना मुकुट डोसकीपर, अती सुंदर से देह तोरो,
येतरी प्यारी छवि देखके, मन मोह गयो मोरो।।
अभार को गड़गड़ाटमा, खुश होय जासे मोर,
नाच से पंख फैलायके, करन नको बेटा तुम्ही शोर।।
आयकके आवाज तुम्हारी, मोर डराय जाये,
आपरो जीव को रक्षालाई, कहीं दुर पराय जाये।।
नहीं देख सिकबीन मंग, येको मनमोहक दृश्य आम्ही,
देखनोसे यो दृश्य त, सब शांत रहो तुम्ही।।
सांगुसु मी तुमला बात, राष्ट्रीय पक्षी मुन से पहचान,
बाल कृष्ण को मुकुट मा मोर पंख लगायकर, बढ़ाईस शान।।
कार्तिकेय को वाहन बन्यो, देवलोक मा भी मील्यो मान,
सब पक्षी को राजा कसेत, हमारो राष्ट्र की से यो शान।।
कु. कल्याणी पटले
दिघोरी, नागपुर
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