Tuesday, September 8, 2020

मोरी शाळा chiranjiv bisen 003


       मोरी शाळा
     
पिपर खाल्या क् घर 
भरत होती मोरी शाळा. 
पिपर क् झाड पर रव्ह 
पक्षी इनकी खुली शाळा. 

घर मा होती तीन खोली 
एक खोली मा एक वर्ग. 
महाबीर क् मंदीर मा 
भरत होता बाकी का वर्ग. 

प्रार्थना क् बाद मा 
करनो पळ कविता पाठ                                           किताब मा की पूरी कविता                                       होय जात होती तोंडपाठ. 

शनिवार दिवस आपलो वर्ग 
गोबर लका सरावनो पळ. 
काम चुकारपणा करणे वालोक् 
हात पर छडी पळ. 

गुरूजी नही रह्यात् दिनभर 
इत उत इटकान को काम. 
थंडी क् दिवस मा शनवार् 
मैदान माच बसत तमाम. 

पहले आमला आब् वानी 
खिचडी भेटत नोहोती. 
दुय बजे घर जाजन् 
आजी जेवण ला देत होती. 

दिवारी क् बाद मा मैदानपर 
खेल की प्रेक्टिस होत् होती. 
दुय बजे क् बाद मा शाळामा 
पढाई काही होत नोहोती. 

आता बन गई से बिल्डिंग 
सब वर्ग इनला बसनसाती. 
आमी शिक्या तब दुयच 
वर्ग साती बनी होती. 

          चिरंजीव बिसेन 
                  गोंदिया.

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