Thursday, October 15, 2020

लहानपण का खेल 07


 लहानपण का खेल

लहानपण खेलत होता विटी-दांडी
बाजा बजावन साती डपरी वाली हांडी

रेस-टिप, हुळा खेलन चिंधी को चेंडू
चिडकन आई कव आव बकरा तोला कांडू

बागबाडीमा होय सिताफळ काकडी की चोरी
खेलन् को धुंधमा पाटी पेन्सिल रवत होती कोरी

कंची को बद मा कभी राजा बने राणी
रोंटी खाय ओकी ढाढ की गात होता गाणी

फु बाई फू कवत खेलत होता बैठी फुगडी
आटी पाटी को खेलमा धरत होता लंगडी

धान को मोळा मा मारत होता उलटी पलटी
तराम पोहन साती कभी शाळाला कलटी

तराकी पार अना वहान हत्तीभर पाणी
पोहताना शेखू काकाजी शिकावत होता गाणी

शेखू अना पालिक काकाजी संगी अना गुरु
खेलताना उनको संग आमरी चाल तुरुतुरु

दिवारी को दुसरो दिवस क्षेत्रीय भेट
सायकल की लंबी सवरीमा काकाजी मेट

लहानपण का खेल खेलन लगे बुद्धी शक्ति
हर खेल जीतन साती लगावत होता युक्ति

 शेषराव वासुदेव येळेकर
सिंदीपार

   लहानपन का खेल

उन्हारो को छूट्टी वानी कोराना की छुट्टी
गमसे मोला घरचं स्कूलला माऱ्या बुट्टी।धृ।

चल ना सोन्या आपून खेलनला जाबीन
संग आपलो राम्या, श्याम्याला लिजाबीन
खेल खेलबिन मजेदार नोको करो कट्टी
गमसे मोला घरचं स्कूलला माऱ्या बुट्टी।।१।।

कंचा धरले खिसामा अना रेमट ओको संग
डब्बामा हातोळी रोटी, आंबा को रायतो संग
मज्या आये मस्त सब खेलबीन दांडू बिट्टी
गमसे मोला घरचं स्कूलला माऱ्या बुट्टी।।२।।

आंबा खाल्या आबं खेल आमी जमावबिन
संग संग टायर को झुला आमी झुलबिन
करबिन मज्यामस्ती आमी संगीइनकी गट्टी
गमसे मोला घरचं स्कूलला माऱ्या बुट्टी।।३।।

आये जबं तरास त लपा छुपी खेलबीन
श्याम्या देये दाम आमी सब लुकाबिन
रेस लगाये कोणी आमी बजावबिन सिट्टी
गमसे मोला घरचं स्कूलला माऱ्या बुट्टी।।४।।

खेळबिन ओनसंज अंदाबिबु केतरो पानी 
मसरी धरे सरीखो करे भुम्या वाहानी
जब बांधबिन ओको डोरा पर पट्टी
गमसे मोला घरचं स्कूलला माऱ्या बुट्टी।।५।।

असो खेल खेलबिण होये बाका व्यायाम
मजबूत बने शरीर नहीं रवण का लहान
कट्टी कोनी होवो नोको करो प्रेमलक मिट्टी
गमसे मोला घरचं स्कूलला माऱ्या बुट्टी।।६।।

सौ छाया सुरेंद्र पारधी
सिहोरा



      संघर्ष

बालपन अना,खेलनोमा मन
सुदृढ यो तन,होय जासे।।

बचपना देखो, निरालो जीवन
कोनतोही तान, रव्हनही।।

संगी भायी संग,खेलो खेल नवा
आपली वाहवा, स्वानंदित।।

भोवरा खेलमा,आव कुशलता
वरत्याकं वरता,झेलश्यानी।।

गोलीको खेलमा,नेम दुर लग
होय जात दंग,संगी भायी।।

टायरको चाक,काडी़को च हाक
शर्यत बिनधाक, धावनकी।।

मोठं पन करो,याद लहानपन
आनंदी जीवन, जगोआता?।।

शारीरिक बल, मानसिक युक्ती
निर्णायक शक्ती, बढ़जासे।।

संघर्ष क्षमता,खेललं आवसे,
जीवन जगसे, समाजमा।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया

       लगोरी

गोल गोल लगोरी
सेती बडी प्यारी l
आमी खेलसेजन
भर दुपारी ll१ll

सय जन कि टीम 
तीन तीन बाटा l
येक जन टीपु फोड़े
दूय जन जोड़े ll२ll

जो चेंडू लक बचे
वुच लागोरी जोड़े l
मोठी पयले जोड़े
मग लहान जोड़े ll३ll

एक मेक को मग
सब जन परायेती l
टिपूला नेम लगाये
वु बड़ो दूर पराये ll४ll

मज्या सबला आये
खेल खेल ज्ञान आये l
लगोरी सबला भाये 
जब येव खेल जमें ll५ll

प्रा.डॉ.हरगोविंद टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

   लहानपण का खेल
     
आमर् लहानपण 
अनेक होता खेल, 
दुय टुरा रव्हत या 
रव्हत ठेलम ठेल. 

एक खेल रव्हत होतो 
लकडी को गिल्ली डंडा, 
दुय टीम को बीच मा होय 
वोको मा खेलको मुकाबला. 

भोवरा, कंचा गोली बी 
होता बहुत प्रसिद्ध , 
टुरू पोटू खेलन साती 
रव्हत हमेशा सिद्ध. 

लुका झापन, आबी डूबी 
बी खेलत सब मिलकर, 
धनुष बाण, कागज की डफरी 
बजावत होता बनायकर. 

कवेलू को गाडो वोला 
लकडी का बैल जुपकर, 
गल्ली को शेन बेचकर 
आनत होता गाडोपर. 

           चिरंजीव बिसेन 
                  गोंदिया.


 लहानपण का खेल

पच्चिस ना पचास ना पचपन का
दिवस सोराना बचपन का ॥
देखन ला आमी बचबन का? देवा
दिवस सोराना बचपन का ॥धृ॥

जोंधोर्ली कोल्हाटी बोर लाखोरी
सोनपाखरू गांज्याभोवरा केकडा ना मसरी
टायर को झुला झुलन का 
दिवस सोराना बचपन का ॥१॥

उनारोमा झाळपरा खेलत होता लाबी
टायर चलाया बिना ब्रेक बिना चाबी
हांडी पेपर की डफरी बजावन का
दिवस सोराना बचपन का ॥२॥

गोल गोल राणी अना इत्ता इत्ता पानी
कच्चा आंबा पाळ अना पिकी एरोनी
नदी तरा मा पोहन का
दिवस सोराना बचपन का ॥३॥

हतोरीका आंबाइमली कच्चा की पक्या
चोर सिपाही अंताक्षरी भेंडी हा-या जिक्या
टिकट अना बिल्ला संगरन का
दिवस सोराना बचपन का ॥४॥

गोटा कंच्याइन का हुळा, टोचपाच
आबाडुब्बा चंगापो अना रस्सीखेच
'भोss' चिल्लानो पर दचकन का
दिवस सोराना बचपन का ॥५॥

भोवरा लघोरी खेल्या टिपली अना दांडू 
मामाको पत्र आनं डाकिया पांडू
फुग्गा की टिचोकली टिचकन का
दिवस सोराना बचपन का ॥६॥

दुय जन को हातमा तिसरो की तंगडी
छकळा वानी धावनो फुदक फुदक लंगडी
बारू मा नांगर चलावन का
दिवस सोराना बचपन का ॥७॥

उरकुळा को खात कचरा दादा कहाळं
दिवसभर खेल चलं नदी का पहाळ
सायकल को कैची मा मटकन का
दिवस सोराना बचपन का ॥८॥

गूळगूळ गाडोर्ली अना छोटोसो गाळो
आमलेट अना चाकलेट को खेलच निराळो
घरकुल्या भातकुल्या खेलन का
दिवस सोराना बचपन का ॥९॥

रेसटीप को खेल मा गावभर घुम्या
खोखो कबड्डी मा कभी नही दम्या
मातीमा सुव्वा खूपसावन का
दिवस सोराना बचपन का ॥१०॥

खाट पर रात्री आयक्या कहानी
प्यारा प्यारा सपना मा परी की रानी 
मायबाप आजोळ लळकपन का
दिवस सोराना बचपन का ॥११॥

लहानपण मा मजा आवं आठो प्रहरी
खेल अना बचपन की दोस्ती से गहरी
दिवसभर धूम मचावन का
दिवस सोराना बचपन का ॥१२।।

प्रा. डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)
उलवे, नवी मुंबई 
मो. 9869993907


खेल लहानपण का

लहानपनमा आमरा
खेल होता रंगरंगका
कभी रेस्टिप,कभी भोवरा
कभी अजब ढंगका

गांज्या भोवरा को पायला
बांधत होता लंबो दोरा
आकाशमा उडायके
देखजं वोका तोरा

आबी घुसराई,नदी का पहाळ
खेलत होता गलीमा आम्ही
आजीमाय काळी  धरके
बोंबलत होती मनमानी

खेल खेल मा आमरो
व्यायाम होय साजरो
चेहरापर तेज झलकं
शरीर होय गोजरो

चित्त की एकाग्रता
खेलेवलका बढत होती
अभ्यास साठी मंग आमरी
दिमाग की बत्ती जरत होती

सर्वांसुंदर व्यायाम प्रकार
खेल खेलमा होत होतो
मास्तर आमला छळीलका
मंग खूब झोडपत होतो

टीकटीक रंग,आबीदेवाई
अना दुरकी काडीघुसराई
मोठो डंडा धरके आमला
मारन आवत होती आई

टोंगरा फुटेव,ठेस लगी तरी
फरक काही पडत नोहोतो
गागरा लगायके दुखपरा
खून पुरो बंद होत होतो

भांडापारा खेलता खेलता
केतरा बिया राबजन आम्ही
बावला बाहुली को खेलमा
सच्ची मा रोवं बाजुकी शामी

आता वय खेल सप्पा
मोबाईल मा बंद भया
आजकाल लेकरू नेट चलायके
बडा नेटलग्या वानी भया

आबबी याद आवसेत
वय खेल बचपन का
नवी पीढीला सुचसेत आता
फक्त गेम मोबाईल परका

वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी (आमगांव)
जि.गोंदिया

 लहानपण का खेल

जमीनपरा रव खोदरा
खोदरामा रव् गील्ली
गील्लीला मारस्यान डांडू
कवत होता धावरे बंडू

फाडत होता लुगळाकी चिंधी
चिंधी को बनाया चेंडू
धाय धायकन मारत होता
मंग एकमेकला चेंडू

सायकल को जुनो टायर
वोला गुफनको रंगीत वायर
टायरला मारत होता काडी
फीकी पड् मोटर गाडी

मोवुको झाड रव झलाऱ्या
वोला खांदी आडवी ऊभी
सरसर झाडपर चंगकन
आमी खेल्या आबी डुबी

लंबी उडी उची उडी
आमी खेल्या गडी गडी
जीकनेवालो रव राजा
हारनेवालो बन घोडी

भोवरा फिरावनको खेल रव्
खेलत होता वारली वोली
खिसा मा  सदा गोली रव् त
खेलत होता बेंडवा गोली. 

शारीरिक बिकासला बढावा
भेट् बुध्दिमत्ताला बी भाव
बचपनका खेल आमरा
रव् व्यक्ति विकास को गाव

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर
 नागपूर
 

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