किसान की किसानी
बोवसे वा पच्छी
नदी को वानी
पिक्या मोती
सोरानी
खुशी
से
आया पिवरा मोती
हाससे वा खेती
पानी से घाती
चुरनिला
लहाकी
करो
जी
खऱ्यानमा सजेव
शेनको वू सड़ा
मोडा भरेव
मोती पड्या
करेव
जमा
गा
गया बोरामा मोती
कमाई घामकी
चमकी ज्योती
भरी कोठी
सांगती
खुशी
जी
✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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