Friday, October 9, 2020

पोवारी बोधकथा

 

पोवारी इतिहास साहित्य एंव उत्कर्ष द्वारा आयोजित, पोवारी बोधकथा भाग १७ अना  १८

विषय सूची

क्रमांक

रचना

रचनाकार को नाव

1.        

एकटो जिव ना सदाशिव

श्री डी पी राहांगडाले

2.        

कमल की माय

सौ. बिंदु बिसेन

3.        

भीम गर्व हरण

सौ.छाया सुरेंद्र पारधी

4.        

जन सेवा याच देश सेवा

श्री गुलाब रमेश बिसेन

5.        

      संकल्प

प्रा.मुन्नालाल रहांगडाले

6.        

जसो ला तसो

श्री चिरंजीव बिसेन

7.        

पोवारी नारी उत्थान एवं वर्तमान स्थिती

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

8.        

आत्मचेतना

सौ.छाया सुरेन्द्र पारधी

9.        

त्याग लक बनो महान

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

10.    

आंग मेहनत

श्री गुलाब रमेश बिसेन

11.    

प्रामाणिकपणा

प्रा. डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे

12.    

कर्मफल

श्री शेषराव वासुदेव येळेकर

13.    

पाय धरती पर

प्रा.मुन्नालाल रहांगडाले

     
                                                  आयोजक/परीक्षक


प्रा.डॉ.हरगोविंद टेंभरे


1.एकटो जिव ना सदाशिव

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                 एक होतो राजा  ना ओकी सुंदर सी राणी.राजाला  शाम नावको टुरा होतो.राजा मोठो धर्मात्मा होतो.सारी जनता खूष होती." जेको बाप पुण्यवान ओको बेटा कर दान " असो कसेती. शामभी धर्मात्मा होतो.अध्यात्म ओला चांगलो आवळत होतो. ओन शहरमा एक गुरु महाराज आएव.आेन शहर क मंदिर मा आपलो डेरा टाकीस. हररोज आत्मज्ञान को प्रचार करनको ओको काम होतो. शाम न ओकसीन गुरुदीक्षा लेईस ना हररोज ऊ गुरू जवर ग्यान शिकनला जाण बसेव. एक दिवस गुरु न सांगीस कसे बेटा , "माणूस एकटोच आवसे ना एकटोच ज़ासे काही संगमा आण नही ना लीजायभी नही".

        काही दिवस मा शाम को बीह्या भएव ओकी घरवाली आयी. शाम गुरू कर जाणो बीसर गएव, आठ पंधरा दिवस क बादमा गुरु जवर गएव. गुरून यतरो दिवस कहा गयेतोस मनून बीचारीस. शाम कसे,मोरो बीह्या भयेव. मोरी घरवाली आयी वा मोरोपर एतरो प्रेम कर से का मोला घरलका नीकलनकी इच्छा नही होय. गुरु कसे तु बह्या भयीसेस,वा तोरोपर नही, तोर धनसंपत परा प्रेम कर से. तोला अजमावनो रहे त,असो कर,सकारी तोंड धोयशान चाय पिवजो. ना पोट दुखसे मनून बोंबलजो. ना मंग मरे को मीस करजो तब तोला मालुम होय.

                दुसर दिवस शाम न तसोच करीस. सकारी च उठव चाय पीयीस ना पोट दुखसे मनून बोंबलन  बसेव. ना घळीभरमाच मरेको मीस करशानी मुर्छीत भएव. सब जन रोवन बस्या, बाप,माय ना घरवाली भी रोवन बसी ना कसेती "हे भगवान एक्‌ बदली परा मोला लेगे रवतोस त बाका भय रवतो.एक बिना आमी कसो रवबीन". मारे अठायअठाय कर सब जन रोवन बस्या.

         ओतरमा गुरुजीआएव.ना शाम को हात देखसान कवन बसेव का शाम जीतो होय सकसे, पर ओकसाती एक जनला मरणो पळे . मोर जवर या पुळी से एको पानी करशांन कोनी एक जन पीओ. पयले मायबाप ला बीचारीन, ओय कसेत आमी नही पीवजन, आमरा दुय दिवस बच्या सेती. घरवाली ला बीचारीन,त वा कसे मी नही पिवू मोरी उमरच केतीक से मी लगेत दुसरो बनाय लेवुन.शाम सपा आयकत च होतो जागशान ओन गुरुका पाय धरीस ना कसे.

"" कोणी नही गा कोणी को. आखीर जान एकलोको"" शाम ला खरो ज्ञान भेटेव. कोणी कोणसाठी मर नही. सबला पैसा ना आपलो जिव प्यारो से. मनुनच कसेती.

एकटोच आयेव एकटोच गयेव..

संगमा नही आयेव-- धनमाया """

ॐॐॐॐॐ

डी पी राहांगडाले

गोंदिया


 

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2. कमल की माय

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             एक गांव मा कमल नाव को बालक होतो. कमल को नाहनोपन मा वोकि माय को स्वर्गवास भय गयो होतो. कमल ला माय की ज्यादा याद नो होति पर वोको अचेतन हृदय मा माय की छाप अना दूलार की याद शेष होती.

           कमल को पिताजी न घर सम्भालन लाई दुसरो बिहा कर लेयी होतिस. कमल ला सांगी होतिन की भगवान न वोकी सुन लेयी सेस अना माय वापस आय रही से. कमल को नहांसो हृदय मा मोठी आश को वास भय गयो. नवी माय को आगमन त भय गयो पर कमल को हृदय मा बसी माय वोला नहीं चोई . वोनआपरो बाबूजी ला सांगिस की मोरी माय असि नोहोती. पर बाबूजी को हाथ मा काईच नोहोतो.

         नवी माय को हृदय मा कमल लाई कोनी जागा नोहोती. पर नाहनो कमल की या सोच की या माय भगवान जवर लक आयी से वोको मन मा आशा को भाव भर देत होतो की एक दिवस याच माय वोला प्रेम करहे.

        गांव वाला कमल ला सांगिन की आता वोको भाई आवन वालो से. नवी माय न कमल ला समझाइस की आता वोला घर को पूरो काम करनो पढ़े त पाठशाला नोको जास. पर वोन पूछिस की काजक लायी माय. माय को उत्तर होतो की आता तोरो नाहनो भाई आय रही से अना मोरो जवर भी समय नाहय त घर को धंधा कौन करहे. कमल न हाशि ख़ुशी लक माय की बात ल मान लेइस अना आपरो घर  को धंधा करन लग्यो.

 

 

         कमल को दोस्त भाई पुशत होतिन की तू काय लायी पाठशाला नयी आवस  त वोको जवाब होतो की मी मोरी माय को आज्ञाकारी बेटा आव अना मोरो भाई आवन वालो से त उनकी सेवा लाइ मि स्कुल नहीं आय रही सेव. कमल ला नाहनी बहीन मिली.

        काल को चक्र घुमतो गयो अना नहांसो टूरू लाई  कठिन घड़ी आय गयी. एक दिवस कमल को पिताजी की तबियत ख़राब भय गयी अना बीमारी लक उनकी अकाल मौत भय गयी. आता घर को येव नहांसो टुरा मुखया होतो. पति को शोक मा कमल की माय भी बीमार रहवन लगी.

         एक दिवस पाठशाला को गुरूजी घर मा आयकर कमल को विषय मा पुशीन की येको भविष्य आता कसो होये. उनना कमल की माय ला बोलिन आता तो कमल ला च  घर चलावनो से पर पढ़नो लिखनो भी वोतरोच जरुरी से. त माय न कहिस की आता का करबीन. इनको बाबूजी गिन भी नहाती अना मोरी भी तबियत आता साजरी नहीं रह्वो. योव धंधा करहे तब घर चल्हे.

       गुरूजी न समझाईस देईस की असो नोको सोचो. तुमरो इलाज अना कमल को पढ़नो दुहि संभव से. गुरूजी न कलम ला हाकलीस न पूछीन , बेटा तोरी काजक इच्छा से. कमल कसे मोला मोरी माय  अना मोरी बहिन को देखभाल. पर पढ़न की भी चाह से.

       नहान सो टूरू की असि समझ अना माय को ऐतरो लगाव देख कर माय को डोरा लक अश्रु की धार बोहन लगी. मीन त कभीच तोला काईच प्रेम नहीं करयो अना तू मोला अना मोरी बेटी लक एतरो प्रेम करसेस. मोरो लक तोला पहचान नो मा गलती भय गयी. मी आपरो सुवारथ मा अंधरी भय गयी होती अना मोरो मा तु न आपरी मायच देखयोष. मि त धन्य भय गयी. आता मोला प्रासचित करनो पड़े अना घर को धंधा, कास्तकारी अना दुही लेखरू ला पढ़ावनो पढ़े.

       नवी माय को ह्रदय मा प्रेम पायके कमल को अज ख़ुशी को ठिकाना न होतो. अज वोला वोकी आपरी माय मिल गयी होती. माय को रोग भी बेटा पाय के मिट गयो. दूसरो दिवस लक कमल को पाठशाला जावनों भी शुरू भय गयो.

बिंदु बिसेन, बालाघाट

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3. भीम गर्व हरण

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     एक घन की बात आय।  महाबली भीमला द्रोपदी न कहिस, स्वामी तूमला मोला खुश देखनो से त मोला ब्रह्म कमल आन देव। भीम कसे बस येतरी सी बात । तोला खुश देखंनसाती मी काहिच कर सिकुसू। भिमला आपलो शक्ति पर घमंड भयेव, ना भीम  ब्रह्म कमल साती निकलेव।

    भीम चलेव भय्या वन मा लक,,,, जहा कावरा काव नहीं कर,,,, चिमनी चिव नहीं कर,,,, कर्क की रांझ      पडीसेत,,, सरप की बेठरी पड़ी सेत असो वन मा लक भीम हिमालय को कोऱ्यामा पोहचेव। फूल को तरा बीस हात दुरच होतो, तब भीम न देखिस की ओको रस्ता मा एक बंदर आपली पुसटी आडवी टाककर सोय रही से। कोनीला ओरांडकर जानो ओंन जमानों मा पाप मानेव जात होतो। भीम जलदी मा होतो पर बंदरला ओरांडकर सामने भी जाय सकत नोहोतो। भीम न गुस्सा लक बुडगो बंदरला कहीस की रस्तापर लक आपली पुसटी काहाड लेव।

     वृद्ध बंदर को रूपमा सोया हनुमान जी न कहिन ," मी बुड़गो सेव, मोरो मा येतरी ताकद नाहाय की मी पूसटी उचलून, मून तुमिच उचलकन एक कड पर ठेय देव, अना चली जाव।

      उत्तर आयेककर भीम की तरपाय की आग मस्तक मा गई । पर पुसटी उचलेबिना सामने भी जाय सिकत नोहोतो। मुन उनं आपली गदा ठेईन ना दुहि हात लक पुसटी उचलन बस्या पर वा काही उचलत नोहती।  भीम घामचरचरो भयेव्।  बहुत थक गयेव, दस हजार हत्ती को ताकद वालो भीम लहानसी पुसटि नहीं उचल सकेव बोन बंदरल निवेदन करीस की वय आपलो परिचय सांगेत।

       निवेदन आयेक कर हनुमानजी दिव्य रूप मा आया।  तब भीम नतमस्तक होयकर चरनों मा पडेव, डोरमा लक पश्र्चाताप का आंसू बोहन बस्या ।

 ,,,,,” भीम ! तोला घमण्ड भय गयेतो कि तोरो दुन दुनिया मा शक्तिशाली कोणी नहाय ।  घमण्ड करनो साजरी बात नहाय भीमला पश्चाताप भयेव ।

बोध: घमंड मा मनुष्य कोनीको भलो त नहीं कर सीक।सिर्फ कोनीला बिना कामको परेशान कर सीक से।

सौ.छाया सुरेंद्र पारधी

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4. जन सेवा याच देश सेवा

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       नवरगावको सरपंच राजेश भाऊ अज लायकिमाच होतो. गावकं पंचायतमा कोरोना दक्षता समितीकी मिटिंग होती. कोरोना रोगको प्रसार रोखनसाती राजेश भाऊकं नेतृत्वमा पुर् गावन् कंबर कसितीस. ग्रामपंचायतको काम अना कोरोना दक्षता समितीला मार्गदर्शन करनला तहसिलदार आवनार होतो. वोकच तयारीसाती राजेश भाऊ लायकिलक ग्रामपंचारतमा निकलेतो.

        कांजेवसजवरच आयेतो , येतरोमा सारजा बाई आपली काळी धरस्यान बसस्टापकन निकली दिसी. " आजी , कहान चलीसवो ?" गाळी थांबावत राजेशन् पचारीस. "निराधार पेन्शन हेळन जासु बेटा बॅंकमा." "कायलक चलीस बॅंकमा ?"  "मी कायलक जावून बेटा. मोला गाळी आवसेका घोळी ! अना मोला लिजिनेवालो तरी कोण से ! बसलका जावून." "अवो आजी , पर बसत् बंदच सेती." "देखुन बेटा कोणीकी गाळी घोळी भेटजायेत् , नहीत् वापस आवून." सारजा आजी कवन बसी. निराधार सारजा आजी या हालत देख राजेशन् आपल् काक् भाईला बुलायस्यान सारजा आजीला गाडीपर बसायस्यान बॅंकमा पठाईस. अना खुद चलत चलत ग्रामपंचायतमा गयेव.

           राजेश लाहानपन पासूनच दुसरोकं मदतला धावं. काॅजेजमा असतानी सकारको काॅलेज करस्यान दिवसभर कोणीका बॅंकका , तहसिल आफिसका , पंचायत समितीका , कोर्टका काम करनला मदत करं. गावक् गरीब गुंडाईनला वोको मोठो आधार होतो. जेवबी अळेव पळेव दिसेव वोकं सहायताला राजेश धायस्यान जाय. जात पातत् वोला मालुमच नोहती. कोणीक् हकक् लळाईमा राजेश पुळच रवं. एकघन रोजगार हमी को एक हप्ताको चुकारा अमिनन् हळप करलेईस. तब् पुर् कामगारयीनला जमा करस्यान राजेशन् अमिनक् आफिसपर मोर्चा हेळिस. दुय रोजमा पैसा सबक् खातापर जमा भया होता. असो राजेशको कामको  धडाका होतो.

         काॅलेज होयेपर नौकरीपानी नही मिलेलक वोन् कास्तकारीमाच प्रयोग करनो चालु करीस. खेतीमा नगदी फसल लेयस्यान खेती नफामा आणिस. दुय साल पयले गावमा लोकनियुक्त सरपंचको इलेक्सन लगेव. गावका होली  बेठारपासून गोंडी बेठारवरीका बाई माणूस राजेशक् घर् आवन बस्या. सब वोला सरपंचसाती उभो रवनकी विनंती करन बस्या. गावमा पयलेपासूनच अळेव पळेवक् कामला धावनेवाल् राजेशला सबक् आग्रहला इंकार नही करता आयेव. वू इलेक्सनला उभो भयेव. अना बहुमतलक गावको पयलो नवनियुक्त सरपंच बनेव.

          सरपंच बनेपर राजेशक् हातमा सत्ताबी आयी अना अधिकारबी आयेव. वोन् आपल् कामको धडाको चिलुच ठेयीस. गावक् गरीब गुंडापासून मोठं कास्तकारवरी सबला सरकारी योजनाको लाभ कसो मिले येको बिचार करीस. राजेश सरपंच बने पासून दुय सालमा गावको चेहराच बदलेव. बेघरयीनला हकको घर मिलेव. गावमा नळ रोजनाको पानी आयेव. गावका रस्ता सिमेंटका भया. घर घरमा शौचालय बन्या. खंबापर गावलाईन लगी. गावक् खेतीमा सौरपंप बस्या. घरघरमा गॅस योजनाका सिलेंडर पोवच्या.

          गावको विकाससाती राजेशन् दिवस रात एक कर देयीस. गावक् शाळापासूनत् सरकारी दवाखानावरी अना ग्रामपंचायतपासूनत् पटवारी आफिसवरी लोकयीनला साजरी सुविधा मिलन बसी. राजेशक् येन् बेधडक कामकी चर्चा जिल्हाभर पोवचेलक राजेश अकिन निष्ठालक काम करन बसेव. असोमाच एकरोज कोरोना नावक् बिमारीन् देशमा धडक देयीस. पुरो देशमा लाॅकडावून जाहिर भयेव.

          लाकडावूनलक दिल्लीपासून गल्लीवरी सब कामकाज बंद पळेव. शहमालक लोक गावं धाव लेन बस्या. शहरमालक गावकन लोकयीनका जत्थाका जत्था आवण बस्या. तसो रोगको प्रसार शहरमालक गावमा आवन बसेव. नवरगावमामी शहरमालक अना विदेशलक गावका भूमिपुत्र आवन बस्या. असोमा गावक् अना बाहेरलक आवनेवाल् आपल् लोकयीनकी काळजी लेनकी जबाबदारी ग्रामपंचायतपर आयी.

          सरपंचक् नातोलक राजेशन् घरघरमा समाज प्रबोधन , स्वच्छताकी आदत , गावमा जंतुनाशक दवाईकी फवारनी , फिजीकल डिस्टंस , गावमा बाहेरलक आवनेवालयीनको अलगीकरण , सबकी रोजक् रोज नियमीत आरोग्य तपासणी अना गावमा आवनेवालं लोकयीनको  साजरो नियोजन करेलक कोरोनाला गावक् सीवक् बाहेरच रवनो लगेव. येकी दखल जिल्हा प्रशासनन् लेयीस. राजेशला महामारीमा गावक् जनताला संसर्गपासून दूर ठेयस्यान वूनको जीव बचावनसाती राज्य सरकारकनलक  "कोरोना योद्धा"को पुरस्कार घोषित भयेव.

         ग्रामपंचायतमा आढावा बैठकसाती आयेव तहसिलदारन् आवता बराबर पुरस्कारसाती निवड भयेवको पत्र राजेशक् हातमा देयस्यान वोको अभिनंदन करीस. "जन सेवा , याच देश सेवा" समजस्यान राजेशन् काम करीस अना राष्ट्रपर आयेव कोरोनासारख् माहामारीमा आपल् गावला बचायस्यान ठेयीस. राजेशक्  प्रामाणिक कामलक मिलेव पुरस्कारको पूरो गावला आनंद भयेव.

लेखक - गुलाब रमेश बिसेन ,

मु. सितेपार , ता. तिरोडा , जि. गोंदिया ४४१९११/मो. नं. 9404235191

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5. संकल्प

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       समय को चक्र अविरत चल से.परिवर्तन भी भयी से .जिनकी उमर साठ क् व-या से; उनक जमानो की बात आय.गावमा आब सारखी सुधारणा भयी नोहती, बिजली,पंखा, कुलर भी नोहता.उन्हारा क् दिवस मा जेवण खाण भयेव परा, आंगण मा सोवन साठी, बादर क् खाल्या खाटपर ,आम्ही ,भाऊ बहिण आजी बाई जवळ कहानी आयकन् साठी जमा होजन. सबक हात मा,हवा साठी  बिजना भी रवत होतो.

      शहाणी माय जवळ ढग भर कहानी होती, राजा-राणी,जंगली जनावर भूत, लावळीन, वगैरा वगैरा.

         रोज रोज नवीन कहानी आयकन् की आदत लग गयी. तुमला का बनन को से? जिंदगी बनन साठी ध्येय ठेवणो पडसे.  लहान पण मा शिकन को बाचन को तरास भी आवत होतो.तब शहाणी माय कव" जीवन मा मोठो बनन साठी,श्रद्धा, विश्वास ,व मेहनत जरूरी से".

        समजन साठी कहानी सांगत होती.एक लहानसो जंतू  होतो.वोला आंबा खान की इच्छा भयी. वोन टाइम मा आंबाला बार भी नही आयेव होतो,तरी आंबा खान साठी, आपल घरमा लका(बील) बोहेर हिटेव. बिल मा लका बाहेर जान साठी रिस्तेदार न् मना करीन. अरे!बाहेर जाजो त् मरजोस.पर ओन् कोणीकी आयकीस नही.

              आंबा क् झाडपर च॔घन लगेव.आंबा क झाड परा मिठ्ठू बसेव होतो. मिठ्ठू न खबर लेईस " येत ठंडीमा कहां जासेस?  "आंबा खान साठी" वोन् जंतू  न उत्तर देयीस.

           मिठ्ठू मनक् मनमा हासन लगेव, जंतु मुरख शिरोमणी से,बेअक्कल लगेव. अरे मुरख, एन् आंबा क झाड परा आंबा च नाहाती, फर लगेवच नही. त् आंबा कहां का?

           तोला आब् नही दिसत्,पर मी जब व-या जाऊ, तबवरी जरूर आंबा लगेती, पिकेती व पिक्या आंबा खाऊ. अदम्य आत्मविश्वास होतो,जंतू मा.

          सीख   जंतू क् उतरमा साधक की जीवन दृष्टी से.

                 प्रतिकुल परिस्थिती मा भी हिम्मत हारन की जरूरत नाहाय.

           आपलो जीवन ध्येय दिस् भी नही, तरी आपलो संकल्प परा अटूट विश्वास,श्रद्धा रहे पायजे.

             रिस्तेदार, मिठ्ठू का कसेती? वोकी फिकर करनकी जरूरत नाहाय.

               आपल अंतर्मन  मन  मा एकच संकल्प ठेवो.

      विजय ही विजय से.

प्रा.मुन्नालाल रहांगडाले

133 प्रसारक ओंकार नगर मानेवाडा रिंग रोड नागपूर

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6. जसो ला तसो

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        एक शहर मा कालू नाव को गुंडा रव्हत होतो. तसो त् वु हमेशा दाढी बढीच ठेव. पर एक बार वोला दाढी बनावन की इच्छा भई. वु सलुन मा गयेव ना कहीस, "दाढी बनावन की से. दाढी बनावन का मी ५०० रूपया देहू पर एक शर्त से. दाढी बनावन क् बेरा थोडो बी नही कटे पायजे. यदि थोडो बी खून निकले त् मी बनावने वोलो की गर्दन काट टाकू."

             वोकी शर्त आयकस्यार सब घबराय गया कोणी बी दाढी बनावन तयार नही भयेव. वु शहर क् चार पाच सलुन मा गयेव पर वोकी शर्त आयकस्यार कोणी दाढी बनावन तयार नही भयेव. आखिर मा एक सलून मा एक २० साल को टुरा न् वोकी शर्त मंजूर करीस. वोन् बळ आराम ल् कालू की दाढी बनाईस. बिल्कुल कट पीट नही भयेव. कालू न वोला ५०० रूपया देईस. अना खबर लेईस बाकी भाली भेव क् मा-या दाढी बनावन तैयार नही भया. तोला भेव नही लगेव का?

             वोन् टुरा न् जेव जवाब देईस वु बहुत खास से. वोन् कहीस, "दाढी बनावन क् बेरा मोर् हात छुरा होतो. मोर् हातल् थोडोसो बी कटतो त् मोरी गर्दन उडावन क् पहले मी तुमरी गर्दन उडाय देतो." वोक् जवाब आयकस्यार उलटो कालूच घबराय गयेव. ना वहॉल् चली गयेव.

बोध - जसो ला तसो भेटेव त् गुंडा बी घबराय जासेत. समय सूचकता ठेयस्यार जवाब देनकी जरूरत से बस.

 चिरंजीव बिसेन, गोंदिया

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7. पोवारी नारी उत्थान एवं वर्तमान स्थिती

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           आदी काल लक  सृष्टी को निर्माण मा नारी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही से l मानव जाति की उत्पत्ती एवं संस्कृती अना विकास  को मूल आधार नारी ला कयेव जासें, नर अना नारी सृष्टी का दुय मूल तत्व आती येन कार्य मा नारी को योगदान बहुत महत्व पूर्ण से नारी जाती न आपली कीर्ती आदी काल पासून त अज को वर्तमान समय तक आपरी छाप छोडी सेस येन राष्ट्र निर्माण मा आमरो समाज की महिला वर्ग को महत्वपूर्ण योगदान से  l

          भारतीय पोवारी नारी: पारिवारिक जवाबदारी को बावजुद हर क्षेत्र मा आपरो परचम लहरायी सेस मी त कसू की आमरी पोवारी की माय बहीण बेटी ये सब समाज ला आदर्श सेती, काहेकी आज को आधुनिक तंत्रज्ञान को युग मा भी रीती रिवाज अना संस्कर जीवित सेती जसो की डोसकी पर सेव डाकनो , भांग भरणो, सिंगार करनो , अना लहान मोठो को मान सन्मान, रिस्तेदारी नातो निभावनो इत्यादी. महिला वर्ग को समाज मा स्थान आज भी कायम से  परिवार मा आपलो व्यवहार काही स्त्री को बहुत मधुर अना संस्कारीत आचरण दिससे, काही मा येव प्रमाण कम दिससे आपलो घर की गोस्टी या बात परिवार तक सिमीत ठेये पायेजे, एक उदाहरण देसू बाई कोणीला नोको सांगो एक बात सागू का असो करत करत सबला मालूम होय जासे येकोलक बचे पायजे,घर मा सासू बहु की बात करे त जबवरी सासू बहू ला बेटी को दर्जा नही दे  अना बहूं न सासू ला माय को दर्जा नही दे तब वरी या समस्या दूर नही होनकी काहे सासु भी कभी बहूं होती l कहोंको मतलब की सब न सहकार्य करे पायजे l

          आज आमी देखसेजन की समाज की बहु बेटी शिक्षा को क्षेत्र मा बहुत समोर जाय रही सेती या बात बहुत समाज साठी गर्व की बात से महाराजा  भोज को समय मा भी महाराणी सावित्रीदेवी न  स्त्री को शिक्षण साठी बहुत महत्वपूर्ण प्रयास करीन हिंदु धर्म मा शिक्षा ला बहुत अग्रणी स्थान से आमरी ज्ञान की देवी माय सरस्वती आय कोणी कायी बी कये किंतु या बात सत्य से अज समाज की बेटी बहूं उच्च शिक्षण पूर्ण कर सयार मोठो पद पर आसिन भई सेतअना सबला प्रेरणा देसेत  काही प्रमाण मा आमरी बेटी शादी होन को बादाम भी शिक्षा लेयी सेत या बात महत्वपूर्ण से घर पुरुष सदस्य न सहकार्य करे पायजे,आब गांव खेडा मा भी प्रमाण बड रहीसे मोला लगसे शिक्षा को बाद मा नोकरी करणं को प्रमाण मा फरक दिससे एको लाईक प्रेरित करणं की गरज से l समाज की बेटी खेल अना संगीत को क्षेत्र मा भी उत्कृष्ट कार्य लक बहु बेटी नाम कमाया रही सेत l सहित्य को क्षेत्र मा  अता मत्वपूर्ण सहभगिता लेय रही सेत या सही सुरुवात से येको मा अनखीं मेहनत की आवश्कता से व्यापार को क्षेत्र मा नवीन क्रांति अनंन कि आवश्कता से यहा प्रमाण थोड़ो कम से l

            राजनीतिक गतिविधि मा समाज की महिला को योगदान अग्रणी भूमिका निभाय रही से l समाज की बहिन बेटी ला थोड़ो आत्मनिर्भर बनन को दिशा मा कार्य करे पायजे नेतृत्व क्षमता को विकास की आवश्कता से l समाज को नारी न काही बात को विशेष ध्यान ठेये पायजे असो मोरो व्यक्तिगत विचार से पश्च्यात संस्कृति को अनुकरण कम करे पायजे आब को युग नवीन तंत्रज्ञान को से बहुत सभलकर रहे पायजे  सोसल नेटवर्क की साइट फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, स्टेटस, इत्यदी  येको सकारात्मक उपयोग करे पायजे करण की अज को समय की मांग से l शादी विवाह मा रोड पर नाचन की प्रथा बंद करे पायजे नाचनो से त आपलो घर को आवर मा मधुर संगीत पर यव कार्य करे पायजे यको मा सबकी मान मर्यादा कायम रय जाये l

             वरमाला पहेना वन को बेरा नवरी ला ऊपर उठावनो बंद करे पायजे परिवार व समाज बंधु न ध्यान ठेये पायजे l आब समय से नारी सुरक्षा साठी उपाय करनो जरूरी से काही बात मा कानून  की जानकारी ठेवनों पड़े या जवाबदेही घर को मोठो सदस्य की भी से सब घर मा नारी को सन्मान होये पायजे कारण की  जब जाग्रत रहे पोवार की नारी कोई विपदा नहीं आये घर वरी मोरो समाज को नारी शक्ति ला कोटी कोटी नमन l

प्रा.डॉ. हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु.पो.दासगाँव ता. जि. गोंदिया/मो.९६७३१७८४२

 

 

8. त्याग लक बनो महान

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              एक दिवस स्वामी विवेकानंद जी आपरो शिष्य संग यात्रा पर निकल्या चलता चलता बहुत दूर निकल गया अना थक गया  जवर एक झाड़ खल्या बस गया उनला भूख लगी होती उनको जवर रोटी होती जसा रोटी खान लग्या त उनको जवर दूय जन आया अना कह्वन लगया की स्वमीजी आमला बहुत भूख लगी से काही खानला रहे त देवो जी आमी दिवस भर का भूख लक तड़प रह्या सेजन स्वमीजी उनको कन देख स्यानी जरा हास्या अना स्वमीजी न आपरो जवर की रोटी देय देयीन जवर उनको शिष्य कसे स्वमीजी आपरो जवर की पूरी रोटी आता आमीन देय देया तब स्वमीजी कसेती रोटी पेट की ज्वाला शांत करन वाली वस्तु आय अमरो पेट मा जाये या उनको बात एकच से जीवन मा देन को आनंद लेन को आनंद लक मोठो से व्यक्ति ला त्याग की भावना महान बनावसे चाहे वु लहान रहो या मोठो  l

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु.पो.दासगांव ता.जि.गोंदिया/मो.९६७३१७८४२४

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9. आत्मचेतना

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      एक साहित्य नगरी मा सब साहित्यिक बड़ो प्रेमपुर्वक रवत होता। वहा राजा को एकछत्री राज्य होतो। राजा बोल ना दाढ़ी हल। आब जादा का सांगू?           एक दिवस कि बात आय ।३६ कुल वाला साहित्यिक इनला आत्मचेतना भई की आमी त ३६ कुल वाला वैनगंगा तटीय पोवार आजन, आमरी संस्कृती अलग, रितीरिवाज अलग, बोली अलग, सणत्योहार अलग, आमी कसा दीगर जात पवार साती कार्य कर रह्या सेजन।

        आमला आपलो मायबोली साती कार्य करे पायजे। मुन वय एकजुट भया ना पोवारी इतिहास, साहित्य अना उत्कर्ष समूह नाव की नगरी  को निर्माण करीन। जेको जेको मगज मा बात अाई की आमी पवार नोहजन, पोवार आजन वय लोक येन नगरी मा जुड़त गया ना कारवा बनत गयेव।

    येन समूह नगरीन पोवारी बोली को उत्थान, इतिहास की खोज अना समाज उत्कर्ष को बीड़ा उठाई सेस। पोवार समाज जेको लिखित साहित्य पयले उपलब्ध नोहोतो।  20 जानेवारी 2020 ला स्थापित येन समूह न आठ महीना को अल्पावधी मा येन समूह न आपली अमीट छाप सोडी सेस।  पयली बार साहित्य को पेढनपेढ़ी साती जतन ना ओको संवर्धन को कार्य येव समूह कर रही से।

        आबवरी १००० को वरत्या कविता, १०० को जवरपास बालकविता, २००  बोधकथा, बालकथा संग्रह, इतिहास की खोज करी गई जानकारी, पोवारी शब्दकोष, पोवारी त्योहार की जानकारी ब्लॉग पर उपलब्ध से । समाज गौरव की जानकारी लेख , पोवारी संभाषण, चारोली, निबंध, पत्र असा अनगिनत साहित्य powari history blog परा उपलब्ध सेती।

          अल्पावधि माच ये्व समूह दिवारी अंक भी पोवारी प्रेमी को सेवा मा उपलब्ध कराय रही से । येव सब चमत्कार , सबकी मेहनत, लगन ना पोवारी मायबोली साती असीमित प्रेम को बल सफल होय रही से।

 बोध:  आत्मचेतना मनुष्य को ऊर्जा ला खरी दिशा देसे। एकता सुनियोजित कार्य ला सफतापूर्वक कार्यान्वित करसे.

सौ.छाया सुरेंद्र पारधी

10. आंग मेहनत

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           मनलाल पटील गावको सज्जन माणूस. आपल् आजा दादाकी मिली विरासत चांगलोलक संभालस्यान वोक्ंमा आपल् आंग मेहनतलका सीग लगायस्यान उमरक् स्यात्तरव् सालमा कैलासवासी भयेव. मनलाल पटीलला दुय टुरा होता. मोठो महादेव अना लायनो दिनदयाल. दुयीबी टुरा मनलालला खेतीक् काममा साथ देत. पर देखरेख मनलाल पटीलकिच रवं. वोकलक महादेव अना दिनदयाल मोकरा रवत. पटील घर् धोंडू नावको एक बारमासी नौकर रव्.

           घरक् गायी भसीनको शेणपूंजापासून चारोपाणीवरी धोंडूच देखं. कामला नौकर से मनुन मनलाल पटील आंगमेहनतला कमी नोहतो पळत. पटील धोंडूक् पुळ् पुळ् काम कर्. येव  आंगमेहनतको पटीलको गुण मोठ् महादेवमाबी होतो. धोंडूक् गैरहजेरीमा घरको गायी भसी पासून बांधीपको नांगर धरणवरीको काम महादेव कर्. वोला आंगमेहनत करनला कोणतीच लाज लज्जा नोहती. यक् उलटो दिनदयाल पळेव काळिला हात नोहतो लगावत.

          "नौकरचाकर रवताना आपलला काम करनकी कोणती जरूरत!" असो दिनदयालला लग्. मनलाल पटीलक् जायेक् बाद मयनाभरमाच जमिन जायजादको बटवारा भयेव. दुयी भायीनला पाच पाच एकर जमीन आयी. पटलीन लायनोमा रवन बसी. दिनदयालन् पटलीनला सांगस्यान धोंडूला आंगपर पैसा देयस्यान आपल् कामला लगाईस. भरेघरको बारमासी नौकर धोंडू दिनदयालक् कामला लगेलक महादेवला नौकर ढुंढनकी पारी आयी. महादेवन् गोड बेठारपासून होली बेठारवरी ढुंढीस पर कोणी बारमासी रवनला तयार नही भयेव.

           महादेवला कोणतोच इलाज नही रयेलक वोन् आपल् आंग मेहनतलकच गायीढोरको अना खेती बाळी देखनको पक्को बिचार करीस. महादेवला पयलेपासूनच कामधंदाकी लाज नोहती. आपली पटीलकी आपल् जेवर ठेयस्यान वू खूतीमा राबन बसेव. अना दिनदयाल धोंडूक् भरोसापर घर अना खेतीबीळी देखन बसेव. मनलाल पटीलक् जायेलक दुयीला कास्तकारी करनकी या पयलीच बेरा होती.

            महादेव आपल् आंगमेहनतलक कास्तकारीका काम खुदच करन बसेव. चिरिटापासुन धानला पाणी बगावतवरी काम खुदच देखत जरूरतक् समय रोजीलक मजुर ठेयस्यान का करत होतो. वूत् दिनदयालको पटीलकी थाट चालू होतो. खेतीको कोणतोच काममा वू हात नोहतो धरत. खेतीपरबी वोक् पायकी चप्पल नोहती निकलत. धोंडून् करीसत् करीस नहीत् काम ज्याहानको वाहान पळेव रवन बसेव. नौकरयीनक् भरोसोलक रयेलक खेतीला लागत जास्त लगन बसी पर समय समयपर काम नही होयेलक फसलबी मार खान बसी. एक दुयघन महादेवन् दिनदयालला सांगिसबी पर कोळिदामा दिनदयालन् काहीच नही आयकीस. वू आपलो पटीलकी थाट देखावत रयेव.

        नवतरीमा दुयीक् फसलकी चुरणी भयी. महादेवला खुदक् आंगमेहनतलक लागत कमी अना मुनाफा जादा भयेव. वोतरच खेतीमा दिनदयालला लागत जादा अना मुनाफा कम भयेव. भाईला खेतीमा मिलेव मुनाफा देख दिनदयालला आंग मेहनतको महत्व समजमा आयेव.

बोध - आंगमेहनत हमेशा लाभदायी रवसे.

श्री. गुलाब रमेश बिसेन

मु. सितेपार , ता. तिरोडा , जि. गोंदिया/मो. नं. 9404235191

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11. प्रामाणिकपणा

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          बुटीबोरी कि विको कंपनी मा कार्यरत प्रदीप कि ०८ सप्टेंबर की मोरी कहानी येको पहले तुमी बाच्या सेव. प्रदीप को चांगलो स्वभाव को कारण कंपनी मा वोकी चांगली पोजीशन अना मान से. वोको घरवालोनला येणं बात को गर्व बी से. आता कंपनी को सीइओ, बुढापा को कारण लक अलग अलग विभाग का सहायक व्यवस्थापक जेकोमा प्रदीप बी सामील से, उनमा लक एकला आपलो पदभार सोंपन को बिचार करंसे.

         एक दिवस कंपनी को सीइओ सब सिनियर कर्मचारीइनला आपलो केबिन मा बुलावं से अना रिटायर होन को बाद आपलो पदभार उनमा लक एक ला सोंपन को बारामा सांगं से. वोको साठी सब को हात मा एक एक बीज देसे अना कसे, "मी तुमला सबला एक एक बीज देसू. येनं बीज कि जो चांगली जाप्ता करके उत्तम उत्पादन करे, वू येनं 'सीइओ' पद को असली हकदार होये. येको साठी तुमला मी सय मयना को टाइम देसू. बरोबर सय मयना को समाप्ती को दिवस मी तुमला बुलाऊं अना फैसला करके विजेता ला पदभार सोंप देऊ." सबनं होकार मा मान हलायकन आपलो बीज ला धरके केबिन को बाहर चली गया.

         सबनं आपापलो घरं जायकन बीजला एक मोठो कुंडी मा, नवीन माती भरके, रोपित करीन अना रोज वोकी सेवा, देखभाल करन बस्या. वोला टाईम टाईम पर पानी, खात, कोळका, धुलाई, किटनाशक इत्यादि देन बस्या.

           एक हप्ता, अना मंग दुय हप्ता भय गया, पर बीज ला अंकूर नही आयेव. प्रदीप ला चिंता होन बसी. पर वोनं धैर्य नही सोळीस. बीज की निरंतर सेवा अना देखभाल करतच रयव.

            असा चार मयना बीत गया. प्रदीप को अलावा बाकी सबको कुंडी मा मस्त झाड लहरान बस्या. प्रदीप आज बी पानी, खात वगेरे टाकं, पर आज बी वोको बीजला अंकूर तक नही आयेवतो. मूहून वोकी चिंता बहुत बढ़  गयीती. वोकोमा बाकी का सब जन वोला हासत होता. आपलो झाळ को बारामा सांगत होता. पर प्रदीप कोनीला काही नोहोतो कवत.

        सय मयना खतम होनको बाद अगलो दिन सीईओ नं सबला आपापली झाळ सकट कुंडी आनन को ऑर्डर देईस. सबनं आपापली कुंडी आनिन. सबको कुंडीमा हिवरा हिवरा झाळ डोलत होता. पर प्रदीप की कुंडी बिना झाळ कीच होती. मुहून प्रदीप खिन्न अना निरास होयकन एक कोंटो मा बसेवतो. सीईओ नं प्रदीप समेत सबको कुंडी पर एक नजर टाकिस. एकेक ला कुंडी को बारामा विचारपुस करीस. सबनं साजरो बढ़चढ़ के जबाब देईन. उनका जबाब सुनके प्रदीपला लगेव का वू तं वेटिंग लिस्ट मा बी नाहाय. मनून वू जरा आपली कुंडी लेयके सीईओ साहेब जवर जानला कंदरान बसेव. तसो वोको चेहरा भापकन सीईओ साहेब नं प्रदीपला बुलाइस अना वोको कुंडी कन देखतच रय गयेव.

         आखिर मा सबकन एक नजर फिरायके सीईओ नं निकाल जाहिर करन को ऐलान करीस, "मोरो वादा को मुताबिक, यनं 'सीईओ' पद को असली हकदार से...." सबला लगं आपलो नाव तं पक्को आवनोच से. मुहून सब आपापली हकदारी की अपेक्षा की नजर लक देखन बस्या. सीईओ नं आपलो वाक्य पुर्ण करीस, "मिस्टर प्रदीप."

            प्रदीप ला विश्वासच नही भयेव. वोनं यकिन साठी आपलो हात को चिमटा लेईस. प्रदीप संकट सबला अचम्भाच भयेव. प्रदीप ला येको साठी अचम्भा भयेव का वू स्वत:ला रेस मा नोहोतो गिनत कारण वोको बीज अंकूरीत नोहोतो भयेव. अना  बाकीकोंला येको साठी अचम्भा भयेव का उनका अंकूरीत बीज सुंदर अना डौलदार झाळ मा बदल गयाता तरी उनको नंबर नही लगेव, नाव नही लेयेव गयेव. यनं अचम्भीत चेहराइनकी कल्पना सीईओ ला पयलेच होती. मनून वोनं सब स्पर्धकइनको खबर लेनको पयलेच स्पष्टीकरण देईस, "मिन्ं सबला उबल्या (उकळ्या) हुआ बीज देयेवतो. मनून वय अंकूरित होयके झाळ तयार होनको सवालच नही उठं. तुमी सब नं बीज अंकूरीत नही होय रही से यव देखक्यार वोको जागा पर बाजार लका नवीन बीज खरिदके आन्यात अना आपलो कुंडीमा लगायात. प्रदीप नं असो नही करीस. वोनं आपलो प्रामाणिकपणा नही सोडीस. वोनं इमानदारिलं, बीज बदल न करता, मिन्ं देयेव वालो बीजच रोपिस अना प्रामाणिकपणाल्ं वोको वृद्धी साठी मेहनत करत रयेव. वोनं संयम ठेइस. चाहे बीज अंकूरित नही भयेव, पर वोनं आपलो प्रामाणिकपणा, ईमानदारी नही सोळीस. मनून सीईओ पद को वू असली हकदार से. आता मी निचन होय के पद को इस्तिफा देय सकूसू अना आपली रिटायर्ड जीवन मजामा व्यतित कर सकूसू."

सबनं आपली चुक मनमा कबूल करके प्रदीपला अभिनंदन देयके आपापलो काम पर लौट गया. सीईओ साहेब नं प्रदीपला काम समझायके पदभार सोंप देईस. आता आपलो बेटा प्रदीप ला कंपनी को सीईओ बनेव देख वोको मायबाप को आनंद को पारावार नोहोतो.

बोध: प्रामाणिकपणा व्यक्तीला हर क्षेत्र मा प्रगती पथ पर पोहोचावंसे. मनून प्रामाणिकपणा नही सोळे पायजे.

प्रा. डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे (प्रहरी)

उलवे, नवी मुंबई/मो. 9869993907

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12. कर्मफल

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एक चांभार मास काटन को धंधा करत होतो।दिवसभर मांस काटकर बेचनो अना घर जायकर बुढो मॉं बाप की सेवा यतरोच कर्म नित्य दिन करत होतो।

इतन एक पंडित जो रोज भगवान की पूजा पाठ करनो अना घर जायकर आराम करनो मां बाप संग एक व्यव्हारिक नातो होतो।

योव सब इहलोक को प्रसंग देखकर नारद मुनि भगवान विष्णु ला प्रश्न पुचसे '' हे प्रभु इन दुय व्यक्ती मा सबसे श्रेष्ठ कोण? तब भगवान कसे हे नारद मोला वू पंडित पेक्षा चंभार कही पट्टीलका श्रेष्ट अना प्रिय से।कारण मोला कर्मप्रधान व्यक्ति खूब प्रिय से।ओको मा मां बाप की सेवा जो व्यक्ती करसे वू व्यक्ती मोरो परम धाम को पुरो अधिकारी रवसे।

तात्पर्य:-

निस्वार्थ भाव लका किया हुआ कर्म अना सेवा भगवान की सच्ची अना श्रेष्ठ भक्ति आय

शेषराव वासुदेव येळेकर

सिंदीपार भंडारा

दि ०६/१०/२०

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13.  पाय धरती पर

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                आमर गाव मा चवथी वरी शिकन की सोय से,शिक्षण भयेव परा नौकरी साठी गाव क बाहेर जाणो जरूरी होतो, सण त्योहार ला गावमा कभी कभी आवनो होय. पर बहुत दिवस मा गाव जानो भयेव.गावमा गयेव परा  जुना पुराना संगी -साथी की मुलाखत होसे. गावकी नाळ नही टुटी.

       माणुस मोठो होयेव परा भी, आपलो गाव को संबध टिकायशारी ठेयीस,ओन् माणुस मा घमंड आवन की गुंजाइस कमी रव्ह से. यव समजे पायजे म्हणून खाल्या की एक कहाणी आजी बाई सागंत रव्ह. वोको वान नही पर गुण लगेव.

            एक राजा होतो. राजा कऽदरबार मा वजीर होतो. वू इमानदार होतो. राजाको विश्वास पात्र होतो. वजीर रोज रात्री भेष बदल शारी बाहेर जात होतो. वजीर कऽ इमानदारी, लका दरबार मा दुश्मन भी तयार भया.स्वाभाविकच से. राजा जवळ चुगली करीन.  वजीर,  तुमर विरूद्ध कटकारस्थान कर से.रोज राजवाडा क बाहेर जासे. राजा का कान भरनोमा आया. मोठा माणुस कान का कच्चा रव्ह सेती. राजान वजीर पर नजर ठेयीस. राजा राती वजीर क् मंग मंग चुचचाप गयेव. वजीर आपल खोपडीमा गयेव व वापस आयेव. राजान वजीर की चोरी धरीस. राजा  कसे" यहां कोणत काम साठी रोज आव सेस?"  खरो खरो सांग. वजीर नऽ मंग मंग आवन को इसारा करीस.राजा मंग मंग खोली मा गयेव. वजीर न आपलो पुरानो संदुक व संदुक मा को  फाटेव कोट राजाला देखाइस. मोर अजीन ऽमेहनत करशारी मोला सिकाइस व मोठो करीस. अज को मोरो अस्तित्व, गरीबी मा लक, आयी से.अज कऽ पद को घमंड  नही आये पायजे, ओक साठी रोज ,मी ,यहां आवसू, संदुक ,व फाटेव कोट का दरशन कर सू, ओक कारण मोरा पाय जमिन पर सेती. अहंकार नही आयेव.  राजा ला आपल वजीर पर को विश्वास अधिक पक्को भयेव..

         माणुस केतो भी पैसा-अडका, मान-मर्यादा, पद प्रतिष्ठा लका मोठो होयेव पर भी, आपल जनम भूमी की याद मरतवरी ठेये पायजे. सोनो क लंका दून भी मायकी भूमी अनमोल से.

सीख आकाश ला गवसणी करो,आपला पाय जमिन पर रह्या  तऽ खाल्या आपटन को भेवच नही रव्ह.

प्रा.मुन्नालाल रहांगडाले

133 प्रसारक ओंकार नगर मानेवाडा रिंग रोड नागपूर9172150832..9422136957

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कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...