गावखारी को खेत
मोठी मोठी बांधी
प-हा की पाथ
मस्त गाना
गावत
बाई
जी.
लंबा लंबा कडपा
धुरो धुरो ओरी
बांधन बोझा
मजदूर
रोजीका
आया
जी.
ख-यान मा पूंजना
रचसेत बुगी
भरके मोळा
करसेत
चुरना
सब
जी.
खलिहान मा रास
सुपडो की हवा
कचरा साफ
धान जमा
उडासे
भूसा
जी.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
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