Monday, October 12, 2020

खऱ्यान (द्रोणकाव्य) chiranjiv bisen 32


गावखारी को खेत
मोठी मोठी बांधी 
प-हा की पाथ 
मस्त गाना 
गावत 
बाई 
जी. 

लंबा लंबा कडपा 
धुरो धुरो ओरी 
बांधन बोझा 
मजदूर 
रोजीका
आया 
जी. 

ख-यान मा पूंजना 
रचसेत बुगी 
भरके मोळा
करसेत 
चुरना 
सब 
जी. 

खलिहान मा रास 
सुपडो की हवा 
कचरा साफ
धान जमा 
उडासे 
भूसा 
जी. 

                     - चिरंजीव बिसेन 
                                  गोंदिया

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